मार्केट न्यूज़
4 min read | अपडेटेड October 14, 2025, 13:52 IST
सारांश
दिवाली का त्योहार समृद्धि का प्रतीक है। जैसे आप घर की सफाई करते हैं, वैसे ही अपने निवेश पोर्टफोलियो से कमजोर स्टॉक्स और फंड्स को हटाना जरूरी है। इससे आपका पोर्टफोलियो हल्का होगा और भविष्य में बेहतर रिटर्न के लिए तैयार होगा। आज हम इसी पर डीटेल में बात करने वाले हैं।
इस दिवाली जानें अपने पोर्टफोलियो को री-बैलेंस करने का सही तरीका।
Diwali Portfolio: दिवाली का त्योहार नजदीक है और हम सभी अपने घरों की साफ-सफाई में जुट गए हैं ताकि देवी लक्ष्मी का स्वागत कर सकें। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस दिवाली घर के साथ-साथ अपने निवेश पोर्टफोलियो की सफाई भी उतनी ही जरूरी है? जिस तरह घर में पड़ा गैर-जरूरी सामान जगह घेरता है, ठीक उसी तरह आपके पोर्टफोलियो में पड़े कमजोर प्रदर्शन करने वाले स्टॉक्स और म्यूचुअल फंड्स आपके वित्तीय लक्ष्यों की रफ्तार को धीमा कर देते हैं। आइए, जानते हैं कि इस दिवाली आप अपने पोर्टफोलियो की 'स्प्रिंग क्लीनिंग' कैसे कर सकते हैं और इसे भविष्य के लिए चमकदार बना सकते हैं।
पोर्टफोलियो की सफाई का पहला कदम उन स्टॉक्स को पहचानना है जो आपके लिए बोझ बन गए हैं। सबसे पहले उन शेयरों की लिस्ट बनाएं जो लंबे समय से एक ही दायरे में कारोबार कर रहे हैं (रेंज-बाउंड) और उनमें कोई ग्रोथ नहीं दिख रही है। ऐसे स्टॉक्स आपकी पूंजी को ब्लॉक करके रखते हैं। इनकी जगह उन शेयरों में निवेश करें जिनमें एक मजबूत अपट्रेंड दिख रहा हो। किसी भी स्टॉक को रखने या खरीदने से पहले उसकी प्रॉफिट ग्रोथ, रेवेन्यू और सेल्स ग्रोथ को हर तिमाही देखें। अगर ये लगातार बढ़ रहे हैं, तो यह एक अच्छा संकेत है। भविष्य की क्षमता वाले सेक्टर जैसे कि रिन्यूएबल एनर्जी, सोलर, ईवी बैटरी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और डिफेंस से जुड़ी कंपनियों पर नजर रखना और भी बेहतर रणनीति हो सकती है।
अक्सर निवेशक डायवर्सिफिकेशन के नाम पर एक ही जैसी कई म्यूचुअल फंड स्कीमें खरीद लेते हैं। उदाहरण के लिए, हो सकता है आपके पास दो अलग-अलग फंड हाउस के लार्ज-कैप फंड हों, लेकिन उन दोनों के पोर्टफोलियो में HDFC Bank, Reliance, और ICICI Bank जैसे कॉमन स्टॉक ही भरे हों। इसे 'ओवरलैपिंग' कहते हैं। इससे आपका पोर्टफोलियो सही मायने में डायवर्सिफाई नहीं हो पाता और जोखिम कम होने की बजाय एक ही जगह केंद्रित हो जाता है। आप ऑनलाइन टूल की मदद से अपने फंड्स का ओवरलैप प्रतिशत चेक कर सकते हैं। अगर यह 30-40% से ज्यादा है, तो किसी एक कमजोर फंड को हटाकर पोर्टफोलियो को सरल बनाना समझदारी है।
बाजार की चाल के साथ आपका एसेट एलोकेशन (Asset Allocation) बिगड़ जाता है। मान लीजिए आपने 60% इक्विटी और 40% डेट में निवेश का लक्ष्य रखा था, लेकिन बाजार में आई तेजी के कारण अब आपका इक्विटी निवेश बढ़कर 75% हो गया है। इसे ही 'री-बैलेंसिंग' कहते हैं, जिसमें आप बढ़े हुए हिस्से (इक्विटी) को बेचकर उस पैसे को कम हुए हिस्से (डेट) में निवेश करते हैं ताकि आपका मूल एलोकेशन फिर से 60:40 का हो जाए। यह प्रक्रिया आपको "Buy Low, Sell High" के सिद्धांत का पालन करने में मदद करती है और जोखिम को नियंत्रित रखती है। साल में कम से कम एक बार री-बैलेंसिंग जरूर करनी चाहिए और दिवाली इसके लिए एक बेहतरीन मौका है।
अगर आपका कोई म्यूचुअल फंड लगातार अपने बेंचमार्क इंडेक्स और अपनी कैटेगरी के दूसरे फंड्स से खराब प्रदर्शन कर रहा है, तो उसे पोर्टफोलियो में रखने का कोई मतलब नहीं है। ऐसे फंड से बाहर निकलना ही बेहतर है। एक अच्छी बात यह है कि अगर आप उसी फंड हाउस के किसी दूसरे, बेहतर प्रदर्शन करने वाले फंड में अपना पैसा लगाना चाहते हैं, तो आप 'स्विचिंग' का विकल्प चुन सकते हैं। इसमें आपको पैसा निकालकर दोबारा निवेश करने की लंबी प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़ता। स्विचिंग की प्रक्रिया तेज होती है और इसमें खर्च भी अक्सर कम आता है। हालांकि, ध्यान रहे कि इस पर कैपिटल गेन टैक्स के नियम लागू होंगे।
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