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4 min read | अपडेटेड December 26, 2025, 12:42 IST
सारांश
Defence Sector Stocks: आज डिफेंस सेक्टर के शेयरों में तेजी देखने को मिल रही है। आज होने वाली वार्षिक रक्षा अधिग्रहण परिषद (Defence Acquisition Council, DAC) की बैठक से पहले यह रुझान देखने को मिल रहा है। इस बैठक की अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह करेंगे।
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आज क्यों दहाड़ रहे हैं डिफेंस सेक्टर के स्टॉक्स, किस खबर का दिख रहा असर?
डिफेंस उपकरण बनाने वाली कंपनियों के शेयरों में आज हलचल देखने को मिल रही है। शुरुआती कारोबार में Bharat Dynamics, Mazagon Dock और HAL जैसे शेयरों में तेजी देखी गई है। आज होने वाली वार्षिक रक्षा अधिग्रहण परिषद (Defence Acquisition Council, DAC) की बैठक से पहले यह रुझान देखने को मिल रहा है। इस बैठक की अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह करेंगे। खबरों के मुताबिक बैठक के मुख्य एजेंडा मदों में टी-90 टैंकों की चार रेजिमेंटों का नवीनीकरण, नौसेना की क्षमताओं को दस नए टग और एसडीआर सॉफ्टवेयर रेडियो से बढ़ाना और वायु सेना के लिए सात ईंधन मिशन सिमुलेटर खरीदना शामिल है।
इस खबर का असर जिन स्टॉक्स पर देखने को मिल रहा है, उनमें मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स का शेयर है, जो 2.58% बढ़कर 2,605.90 रुपये पर, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स (HAL) का शेयर 1% बढ़कर 4,465.20 रुपये पर और भारत डायनेमिक्स का शेयर 2% बढ़कर 1,512.80 रुपये पर और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स का शेयर एनएसई पर लगभग 1.5% बढ़कर 405 रुपये पर ट्रेड हो रहा था। निफ्टी इंडिया डिफेंस इंडेक्स 1.2% से अधिक की बढ़त के साथ 7,887.60 के स्तर पर कारोबार कर रहा था।
निफ्टी इंडिया डिफेंस इंडेक्स का उद्देश्य डिफेंस सेक्टर से जुड़े शेयरों के पोर्टफोलियो के प्रदर्शन पर नजर रखना है। निफ्टी टोटल मार्केट इंडेक्स से, योग्य बुनियादी उद्योगों का हिस्सा बनने वाले या डिफेंस इंडस्ट्री से कम से कम 10% रेवेन्यू हासिल करने वाले शेयर इस इंडेक्स में शामिल होने के पात्र हैं और इनका चयन 6 महीने के औसत फ्री-फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन के आधार पर किया जाता है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के मुताबिक, ‘इंडेक्स में शेयरों का भार उनके फ्री-फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन पर आधारित है। शेयरों का भार 20% तक सीमित है।’
सितंबर 2025 में, एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने कहा कि सरकार प्राइवेट सेक्टर के जरिए देश में डिफेंस प्रोडक्शन इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए गंभीर है और नीति और प्रक्रियाओं पर इसके सार्थक सुझावों को शामिल करने के लिए तैयार है।
आईसीसी ग्लोबल समिट 2025 में वर्चुअल रूप से आयोजित एक सत्र को संबोधित करते हुए रक्षा उत्पादन सचिव संजीव कुमार ने कहा कि आत्मनिर्भरता का प्राथमिक उद्देश्य युद्ध की स्थिति में देश को विदेशी एजेंसियों पर निर्भरता से मुक्त करना है। कुमार ने कहा, ‘सरकार प्राइवेट सेक्टर के जरिए देश में डिफेंस प्रोडक्शन इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए गंभीर रूप से प्रतिबद्ध है और आगे भी ऐसा करती रहेगी। हम अपनी नीतियों और प्रक्रियाओं में शामिल करने के लिए सभी सार्थक सुझावों का स्वागत करते हैं ताकि प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी अधिक प्रभावी और सार्थक हो सके।’
विनिर्माण इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन (आईबीईएफ) के अनुसार, भारत दुनिया की सबसे शक्तिशाली सैन्य शक्तियों में से एक का घर है और रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान रखता है। भारतीय डिफेंस सेक्टर में कई प्रमुख मार्केट सेगमेंट शामिल हैं, जिनमें सैन्य स्थिर-पंख विमान, नौसेना पोत और सतह युद्धपोत, और मिसाइलें और मिसाइल रक्षा प्रणालियां शीर्ष तीन स्थान रखती हैं। डिफेंस मैनुफैक्चरिंग इंडस्ट्री भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है और बढ़ती राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं के कारण तीव्र वृद्धि के लिए तैयार है।
भारत के डिफेंस एक्सपोर्ट में जबरदस्त उछाल आया है, जो फाइनेंशियल ईयर 2014 में 686 करोड़ रुपये (81.1 मिलियन अमेरिकी डॉलर) से बढ़कर फाइनेंशियल ईयर 2025 में 23,622 करोड़ रुपये (2.76 बिलियन अमेरिकी डॉलर) हो गया है। प्राइवेट सेक्टर के उपक्रमों का योगदान 15,233 करोड़ रुपये (1.80 बिलियन अमेरिकी डॉलर) रहा, जबकि डिफेंस पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्स (डीपीएसयू) का योगदान 8,389 करोड़ रुपये (992.2 मिलियन अमेरिकी डॉलर) था। फाइनेंशियल ईयर 2025 में डिफेंस एक्सपोर्ट में पिछले साल की तुलना में 12% की वृद्धि दर्ज की गई, और फाइनेंशियल ईयर 2026 (अप्रैल-सितंबर 2025) में एक्सपोर्ट 9,131 करोड़ रुपये (1.07 बिलियन अमेरिकी डॉलर) तक पहुंच गया है, जो ग्लोबल डिफेंस मार्केट में भारत की बढ़ती उपस्थिति को दर्शाता है।
फाइनेंशियल ईयर 2026 में रक्षा मंत्रालय (MoD) को कुल 6.81 लाख करोड़ रुपये (US$78.7 बिलियन) का बजट आवंटित किया गया, जो फाइनेंशियल ईयर 2025 के बजट से 9.5% अधिक है।
इसमें से 1.80 लाख करोड़ रुपये (US$20.8 बिलियन) पूंजीगत व्यय के लिए अलॉट किए गए, जिसमें नए हथियार, विमान, युद्धपोत और अन्य सैन्य उपकरण खरीदना शामिल है।
सीमा सड़क संगठन (Border Roads Organization, BRO) के पूंजीगत व्यय के लिए 7,146 करोड़ रुपये (US$825.7 मिलियन) की घोषणा की गई।
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