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3 min read | अपडेटेड December 15, 2025, 10:32 IST
सारांश
फार्मा कंपनी कोरोना रेमेडीज ने शेयर बाजार में धमाकेदार एंट्री की है। कंपनी का शेयर 38.42 फीसदी प्रीमियम के साथ 1470 रुपये पर लिस्ट हुआ है। निवेशकों को प्रति शेयर 408 रुपये का सीधा मुनाफा हुआ है। कंपनी का बिजनेस मॉडल और फ्यूचर प्लान काफी मजबूत नजर आ रहा है।

कोरोना रेमेडीज की शेयर बाजार में शानदार लिस्टिंग हुई है।
शेयर बाजार में आज फार्मा सेक्टर की कंपनी कोरोना रेमेडीज (Corona Remedies) ने धमाकेदार एंट्री मारी है। जिन निवेशकों को इस कंपनी का आईपीओ अलॉट हुआ था, उनकी खुशी का ठिकाना नहीं है। कंपनी का शेयर बीएसई और एनएसई पर 38.42 फीसदी के जबरदस्त प्रीमियम के साथ लिस्ट हुआ है। जहां आईपीओ का इश्यू प्राइस 1062 रुपये तय किया गया था, वहीं आज इसकी लिस्टिंग 1470 रुपये पर हुई है। इसका सीधा मतलब है कि निवेशकों को लिस्टिंग होते ही एक शेयर पर 408 रुपये का बंपर मुनाफा हो गया है।
कोरोना रेमेडीज के वित्तीय आंकड़े काफी अच्छे हैं। रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (RHP) के मुताबिक, वित्त वर्ष 2025 में कंपनी का कुल रेवेन्यू (Revenue) 1,202.35 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल के मुकाबले करीब 18 फीसदी ज्यादा है। कंपनी का नेट प्रॉफिट 65 फीसदी की छलांग लगाकर 149.43 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। कंपनी का EBITDA मार्जिन 20.55 फीसदी और PAT मार्जिन करीब 12.49 फीसदी है, जो इंडस्ट्री के हिसाब से काफी बेहतर माना जाता है। कंपनी के पास नकदी की कमी नहीं है। वित्त वर्ष 2025 में कंपनी का ऑपरेटिंग कैश फ्लो 190.49 करोड़ रुपये दर्ज किया गया, जो यह दिखाता है कि कंपनी का मुख्य बिजनेस अच्छा कैश जनरेट कर रहा है।
यह जानना बहुत जरूरी है कि कोरोना रेमेडीज का यह आईपीओ 100% 'ऑफर फॉर सेल' (OFS) था। इसका मतलब है कि आईपीओ से जुटाए गए 655 करोड़ रुपये कंपनी के खाते में नहीं जाएंगे, बल्कि यह पैसा उन पुराने शेयरधारकों (प्रमोटर्स और निवेशकों) को मिलेगा जिन्होंने अपने शेयर बेचे हैं। हालांकि, लिस्टिंग से कंपनी को फायदा यह होगा कि उसकी ब्रांड वैल्यू बढ़ेगी और भविष्य में अगर उसे पैसों की जरूरत होगी, तो वह आसानी से बाजार से फंड जुटा सकेगी। फिलहाल कंपनी अपनी कमाई (Internal Accruals) से ही विस्तार की योजनाएं चलाएगी।
कोरोना रेमेडीज एक खास स्ट्रैटेजी पर काम करती है। यह जेनेरिक दवाओं की भीड़ में नहीं खोती, बल्कि कुछ चुनिंदा बीमारियों के इलाज पर फोकस करती है। कंपनी का सबसे मजबूत पक्ष 'विमेंस हेल्थ' (महिलाओं की सेहत) और 'कार्डियो-मेटाबॉलिक' (हृदय और शुगर से जुड़ी बीमारियां) है। इसके अलावा यह पेन मैनेजमेंट (दर्द निवारक) में भी अच्छा दखल रखती है। इसके अलावा कंपनी के पास 71 ब्रांड्स हैं, लेकिन इनमें से 27 ऐसे 'इंजन ब्रांड्स' हैं जो इसकी कुल कमाई का करीब 70 फीसदी हिस्सा लाते हैं। कंपनी के साथ अच्छी बात ये है कि इसका 96 फीसदी रेवेन्यू भारत से ही आता है, यानी यह एक्सपोर्ट पर ज्यादा निर्भर नहीं है, जो ग्लोबल मंदी के दौर में एक सुरक्षित दांव माना जा सकता है।
भविष्य के लिए कोरोना रेमेडीज का प्लान अपनी मैन्युफैक्चरिंग क्षमता को बढ़ाना है। कंपनी गुजरात में एक नया हार्मोन प्लांट लगा रही है। इसके अलावा, कंपनी का इरादा 'क्रॉनिक थेरेपी' (लंबे समय तक चलने वाली बीमारियों की दवाएं) में अपनी हिस्सेदारी और बढ़ाने का है। मैनेजमेंट का मानना है कि कर्ज कम होने (Debt to Equity Ratio सिर्फ 0.10 है) और अच्छे कैश फ्लो की बदौलत वे आने वाले समय में नई कंपनियों या ब्रांड्स का अधिग्रहण (Acquisition) भी कर सकते हैं।
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