मार्केट न्यूज़
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3 min read | अपडेटेड April 29, 2025, 12:35 IST
सारांश
लिए समझते हैं कि क्यों ऑटो सेक्टर्स के शेयरों में यह तेजी देखने को मिल रही है। ये कंपनियां ऑटो कंपोनेंट और उपकरण मैनुफैक्चरिंग का काम करती हैं। दरअसल सोमवार देर रात रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ऑटो टैरिफ को लेकर यू-टर्न लेने वाले हैं।
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अमेरिका की किस खबर से भारत के ऑटो सेक्टर के स्टॉक्स भागे?
शेयर मार्केट जब मंगलवार यानी कि आज 29 अप्रैल को खुला तो ऑटो शेयर्स जैसे कि Samvardhana Motherson (संवर्धन मदरसन), Sona BLW (सोना बीएलडब्ल्यू), Bharat Forge (भारत फोर्ज) में तेजी देखने को मिली। चलिए समझते हैं कि क्यों ऑटो सेक्टर्स के शेयरों में यह तेजी देखने को मिल रही है। ये कंपनियां ऑटो कंपोनेंट और उपकरण मैनुफैक्चरिंग का काम करती हैं। दरअसल सोमवार देर रात रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ऑटो टैरिफ को लेकर यू-टर्न लेने वाले हैं। मतलब अमेरिका में बनने वाली गाड़ियों में इस्तेमाल होने वाले कुछ विदेशी भागों पर इंपोर्ट ड्यूटी कम करने की बात चल रही है और इसकी जल्द ही घोषणा की जा सकती है। ट्रंप के कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने पर मिशिगन में होने वाली रैली से पहले मंगलवार को औपचारिक घोषणा की उम्मीद है।
टैरिफ पर ट्रंप के उतार-चढ़ाव ने दुनिया भर के तमाम देशों की इकॉमनी में उथल-पुथल मचा दी है और विदेशी मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, ज्यादातर सर्वे से पता चलता है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था को संभालने के ट्रंप के तरीके को लेकर चिंतित हैं। अमेरिकी मीडिया संगठन एनपीआर (नेशनल पब्लिक रेडियो) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह कदम यह सुनिश्चित करेगा कि ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए जाने वाले अलग-अलग तरह के टैरिफ विदेशी कारों के आयात पर भारी न पड़ें। वॉल स्ट्रीट जर्नल ने सोमवार को सबसे पहले इस बदलाव की सूचना दी।
रिपोर्ट्स में कहा गया है कि विदेशी ऑटो पार्ट्स के आयातकों को अगले दो सालों के लिए टैरिफ के लिए सरकार से कुछ प्रतिपूर्ति मिल सकेगी। यह ऑटो सेक्टर के लिए एक पॉजिटिव डेवलपमेंट है। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, आयातित कारों और ऑटो कंपोनेंट्स पर ट्रंप के 25% टैरिफ के बाद, अमेरिका में ऑटो इंडस्ट्री ग्रुप ने प्रशासन को एक लेटर में लिखा, ‘ऑटो पार्ट्स पर टैरिफ ग्लोबल ऑटोमोटिव सप्लाई सीरीज को अस्त-व्यस्त कर देगा और एक डोमिनो प्रभाव पैदा करेगा जिससे उपभोक्ताओं के लिए ऑटो की कीमतें बढ़ जाएंगी, डीलरशिप पर बिक्री कम हो जाएगी और वाहनों की सर्विसिंग और मरम्मत दोनों अधिक महंगी हो जाएगी।’
4 मार्च, 2025 को प्रकाशित ऑटो वर्ल्ड जर्नल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2024 (FY24) में भारत का ऑटो कंपोनेंट निर्यात 21.2 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जो वित्त वर्ष 19 में 2.5 बिलियन डॉलर के घाटे से 300 मिलियन डॉलर के सरप्लस में अहम बदलाव दर्शाता है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि स्थानीयकरण में वृद्धि के जरिए उभरते इलेक्ट्रिक वाहन (EV) और इलेक्ट्रॉनिक वैल्यू चेन का फायदा उठाकर, भारत निर्यात में अतिरिक्त 15-20 बिलियन डॉलर हासिल सकता है। बैटरी प्रबंधन प्रणाली, टेलीमैटिक्स यूनिट, इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर और एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम (ABS) जैसे प्रमुख कंपोनेंट्स से इस वृद्धि को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘ग्लोबल ऑटो कंपोनेंट बिजनेस का मूल्य 1.2 ट्रिलियन डॉलर है, अमेरिका और यूरोप सबसे बड़े आयातक बने हुए हैं। इन सेक्टर्स में भारत का निर्यात हिस्सा लगभग 4.5% है, जो विस्तार की महत्वपूर्ण क्षमता को दर्शाता है।’ इसलिए, भारत में ऑटो सेक्टर्स के स्टॉक्स में तेजी देखने को मिल रही है।
सोना बीएलडब्ल्यू के मामले में, कंपनी का लगभग 66% रेवेन्यू अमेरिका और यूरोपीय बाजारों से आता है, जबकि संवर्धन मदरसन इंटरनेशनल भारत के सबसे बड़े ऑटो कंपोनेंट निर्माताओं में से एक है। इसके कुछ प्रमुख क्लाइंट्स में डेमलर, वोक्सवैगन, बीएमडब्ल्यू, ऑडी और फोर्ड जैसी ऑटोमोटिव दिग्गज कंपनियां शामिल हैं।
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