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AMC Stocks: SEBI ने ऐसा क्या कर दिया, जो HDFC AMC और Nippon जैसे शेयर बन गए रॉकेट, समझिए पूरा मामला

Upstox

3 min read | अपडेटेड December 18, 2025, 11:52 IST

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सारांश

HDFC AMC के शेयरों में करीब 5 फीसदी की बढ़त है और यह 2666.50 रुपये के भाव पर ट्रेड कर रहा है। इसके अलावा UTI AMC में 2.23 फीसदी और Nippon India में 4.01 फीसदी की तेजी नजर आई। वहीं Nuvama Wealth Management में 2 फीसदी और Angel One में 0.14 फीसदी की बढ़त है।

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AMC Stocks: SEBI ने म्यूचुअल फंड से जुड़े नियमों में बदलाव किया है, जिसका असर इन शेयरों में पर दिख रहा है।

AMC Stocks: आज 18 दिसंबर को एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMC) के शेयरों में जमकर खरीदारी हो रही है। HDFC AMC, UTI AMC और Nippon India जैसे शेयरों में तेजी नजर आ रही है। इसके अलावा Nuvama और Angel One जैसी ब्रोकिंग फर्मों के शेयर भी हरे निशान पर ट्रेड कर रहे थे। दरअसल, SEBI ने म्यूचुअल फंड से जुड़े नियमों में बदलाव किया है, जिसका असर इन शेयरों में पर दिख रहा है।
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रिपोर्ट लिखे जाने के समय HDFC AMC के शेयरों में करीब 5 फीसदी की बढ़त थी और यह 2666.50 रुपये के भाव पर ट्रेड कर रहा था। इसके अलावा UTI AMC में 2.23 फीसदी और Nippon India में 4.01 फीसदी की तेजी नजर आई। वहीं Nuvama Wealth Management में 2 फीसदी और Angel One में 0.14 फीसदी की बढ़त थी।

म्यूचुअल फंड से जुड़े नियमों में बदलाव

SEBI बोर्ड ने म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री के खर्च ढांचे में बदलाव करते हुए Base Expense Ratio (BER) की व्यवस्था लागू करने का फैसला किया है। अब खर्चों को BER के जरिए देखा जाएगा, जिसमें STT और GST जैसे सरकारी टैक्स शामिल नहीं होंगे। यह मौजूदा Total Expense Ratio (TER) सिस्टम से अलग है।

SEBI ने साफ किया है कि TER खत्म नहीं किया गया है। अब TER में BER के साथ ब्रोकरेज चार्ज, रेगुलेटरी फीस और सरकारी टैक्स जोड़े जाएंगे। यानी कुल TER = BER + अन्य सभी चार्ज।

SEBI चेयरमैन तुहिन कांत पांडे ने कहा कि टैक्स और लेवी समय-समय पर बदलते रहते हैं, इसलिए खर्च को समझने के लिए BER ज्यादा बेहतर तरीका है। उन्होंने यह भी कहा कि रेगुलेटर ने पहले आए “कठोर” प्रस्तावों की बजाय संतुलित नियम अपनाए हैं, जिससे निवेशकों की चिंता कम हुई है।

ब्रोकरेज कंपनियों के लिए क्या बदला?

SEBI ने ब्रोकरेज चार्ज की सीमा को तर्कसंगत बनाया है। कैश मार्केट में ब्रोकरेज की अधिकतम सीमा 0.12% से घटाकर 0.06% कर दी गई है। वहीं डेरिवेटिव्स में यह 0.05% से घटाकर 0.02% कर दी गई है। यह कंपनियों के लिए पॉजिटिव माना जा रहा है, क्योंकि पहले प्रस्ताव इससे ज्यादा सख्त थे। SEBI ने 2018 में लागू किया गया अतिरिक्त 0.05% एग्जिट लोड भी खत्म कर दिया है। ये सभी नए नियम 1 अप्रैल से लागू होंगे।

SEBI बोर्ड ने स्टॉकब्रोकिंग इंडस्ट्री से जुड़े 30 साल पुराने नियमों में भी बदलाव किए हैं, ताकि वे ज्यादा सरल और पारदर्शी बन सकें। इसके अलावा निवेशकों की सुविधा बढ़ाने, कंप्लायंस आसान करने और कैपिटल व डेट मार्केट में भागीदारी बढ़ाने के लिए भी कई कदम मंजूर किए गए हैं।

क्या है एक्सपर्ट्स की राय

ब्रोकरेज फर्म CLSA का कहना है कि SEBI के नए नियमों का AMC कंपनियों की कमाई पर ज्यादा नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा। नए TER ढांचे से कुल मिलाकर कंपनियों की मुनाफाखोरी लगभग पहले जैसी ही रहने की उम्मीद है।

(डिस्क्लेमर: यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना के लिए दी जा रही है। यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें।)
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लेखकों के बारे में

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Upstox Hindi News Desk पत्रकारों की एक टीम है जो शेयर बाजारों, अर्थव्यवस्था, वस्तुओं, नवीनतम व्यावसायिक रुझानों और व्यक्तिगत वित्त को उत्साहपूर्वक कवर करती है।

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