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3 min read | अपडेटेड November 19, 2025, 18:01 IST
सारांश
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आगामी बजट के दौरान भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं और भारत से आयातित वस्तुओं पर अमेरिका के 50% के टैरिफ की पृष्ठभूमि में वार्षिक लेखा-जोखा पेश करेंगी। बजट 1 फरवरी 2026 को पेश किया जा सकता है।

बजट 2026 में क्या कर्ज वसूली कानूनों में किया जाएगा बदलाव?
बजट 2026 पेश होने में अब ज्यादा समय नहीं बचा है और इसकी तैयारी शुरू हो चुकी है। इस दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने Banking, Financial Services, and Insurance (BFSI) सेक्टर के प्रतिनिधियों के साथ आज बजट पूर्व बैठक की। इसमें प्रतिनिधियों ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (Non banking financial companies, NBFC) के लिए एनएचबी की तर्ज पर समर्पित रिफाइनेंस फैसिलिटी एंड डिपॉजिट्स जुटाने को बढ़ावा देने के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट के साथ लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स को जोड़ने जैसे कुछ सुझाव दिए। वित्त उद्योग विकास परिषद के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) रमण अग्रवाल ने बैठक के बाद कहा कि एनबीएफसी के लिए एक समर्पित रिफाइनेंसिंग प्लैटफॉर्म बनाने की आवश्यकता है, जिससे फंड का सुचारु और स्थायी फ्लो सुनिश्चित किया जा सके। साथ ही इस सिस्टम के जरिए जुटाए गए संसाधनों का इस्तेमाल खासतौर से सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई) और प्राथमिकता वाले सेक्टरों की फाइनेंसिंग के लिए किया जा सके।
उन्होंने कहा कि वसूली के मामले में फाइनेंशियल एसेट्स के प्रतिभूतिकरण, पुनर्निर्माण और प्रतिभूति हित प्रवर्तन (Securitisation and Reconstruction of Financial Assets and Enforcement of Security Interest, SARFAESI) ऐक्ट में बदलाव का सुझाव दिया गया है, ताकि एनबीएफसी को इसका फायदा मिल सके। अग्रवाल ने कहा कि मौजूदा समय में SARFAESI Act के तहत सीमा 20 लाख रुपये है, जिसे कम किया जा सकता है ताकि छोटी एनबीएफसी कंपनियों को इस ऋण वसूली कानून के तहत शामिल किया जा सके।
सूत्रों ने बताया कि वित्त उद्योग विकास परिषद (एफआईडीसी) ने सीमा को वर्तमान 20 लाख रुपये से घटाकर 1 लाख रुपये करने का मामला उठाया है, ताकि छोटी एनबीएफसी को इसका फायदा मिल सके। अग्रवाल ने यह भी कहा कि सरकार गैर-व्यक्तिगत उधारकर्ताओं पर टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) हटाने पर विचार कर सकती है क्योंकि इस प्रावधान से कोई अतिरिक्त रेवेन्यू हासिल नहीं होता है। एजुकेशन लोन के ब्याज पर धारा 80ई के तहत टैक्स योग्य आय में कटौती के लिए एनबीएफसी के लिए अधिसूचना जारी करने की भी सिफारिश की गई। सूत्रों के अनुसार, बैंकों के प्रतिनिधियों ने लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स को फिक्स्ड डिपॉजिट के साथ जोड़ने का सुझाव दिया ताकि जमा राशि जुटाने को बढ़ावा मिल सके। फिक्स्ड डिपॉजिट से मिले रिटर्न पर टैक्स लगाया जाता है जिससे लोग अपनी बचत फिक्स्ड डिपॉजिट में लगाने से डिस्करेज होते हैं। यह बजट पूर्व परामर्श की सीरीज में सातवां परामर्श है, जिसे वित्त मंत्रालय बजट 2026-27 को अंतिम रूप देने से पहले हर साल आयोजित करता है।
बैठक में केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी, आर्थिक मामलों के विभाग की सचिव अनुराधा ठाकुर, मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन और वित्त मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे। वित्त मंत्री ने अर्थशास्त्रियों, कृषि क्षेत्र के प्रमुख प्रतिनिधियों और एमएसएमई क्षेत्र के दिग्गजों के साथ पिछले सप्ताह क्रम से पहले, दूसरे और तीसरे दौर की चर्चा की थी। मंगलवार को, पूंजी बाजार और स्टार्टअप के प्रतिनिधियों सहित तीन बजट-पूर्व परामर्श बैठकें आयोजित की गईं।
सीतारमण आगामी बजट के दौरान भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं और भारत से आयातित वस्तुओं पर अमेरिका के 50% के टैरिफ की पृष्ठभूमि में वार्षिक लेखा-जोखा पेश करेंगी। बजट 1 फरवरी 2026 को पेश किया जा सकता है। अगर निर्मला सीतारमण इस बार भी बजट पेश करती हैं, तो यह लगातार बजट पेश करने का उनका 9वां बजट होगा। FY 2026-27 के बजट में मांग बढ़ाने, रोजगार सृजन और अर्थव्यवस्था को 8% से अधिक की निरंतर वृद्धि दर पर लाने के मुद्दों पर ध्यान दिए जाने की संभावना है। सरकार का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था 6.3-6.8% की दर से बढ़ेगी।
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