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अमेरिका से ट्रे़ड डील करने में क्यों भारत को बरतनी चाहिए सावधानी? GTRI ने चेताया

Upstox

3 min read | अपडेटेड July 08, 2025, 14:34 IST

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सारांश

आर्थिक शोध संस्थान टैंक जीटीआरआई ने मंगलवार को कहा कि अमेरिका के साथ ट्रेड डील को अंतिम रूप देते समय भारत को सावधानी से आगे बढ़ना चाहिए। ‘ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव’ (जीटीआरआई) ने कहा, ‘अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का ‘मॉडल’ मुक्त ट्रेड डील का नहीं बल्कि अमेरिकी रेसिप्रोकल टैरिफ के सामने झुकने का है।’

अमेरिका और भारत

भारत-अमेरिका ट्रेड वार्ता

भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड वार्ता का नतीजा जल्द ही सामने आ सकता है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने 14 देशों पर जवाबी टैरिफ लगा दिया है और 1 अगस्त से इसको लागू करने की बात कही है और इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि भारत के साथ ट्रेड डील जल्द ही क्लोज होने वाली है। इन सबके बीच आर्थिक शोध संस्थान टैंक जीटीआरआई ने मंगलवार को कहा कि अमेरिका के साथ ट्रेड डील को अंतिम रूप देते समय भारत को सावधानी से आगे बढ़ना चाहिए। ‘ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव’ (जीटीआरआई) ने कहा, ‘अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का ‘मॉडल’ मुक्त ट्रेड डील का नहीं बल्कि अमेरिकी रेसिप्रोकल टैरिफ के सामने झुकने का है।’

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शोध संस्थान ने कहा कि अमेरिका ने बढ़ाए गए टैरिफ लागू करने की डेडलाइन को 9 जुलाई से बढ़ाकर 1 अगस्त कर दिया है, जिससे देश-विशिष्ट टैरिफ लागू होने से पहले अंतिम तीन सप्ताह का समय मिल जाएगा। गौरतलब है कि अमेरिका के राष्ट्रपति ने कार्यकारी आदेश में कई अन्य देशों पर बढ़ाए गए टैरिफ को टालने की डेडलाइन 1 अगस्त तक बढ़ा दी है। टैरिफ पर यह 90 दिवसीय निलंबन 9 जुलाई को खत्म होना था। हालांकि ट्रंप प्रशासन ने सोमवार को विभिन्न देशों को ‘पत्र’ भेजे जिसमें उन देशों के प्रोडक्ट्स पर अमेरिका द्वारा लगाए जाने वाले टैरिफ का ब्योरा है। इन देशों में हालांकि भारत को शामिल नहीं किया गया।

अब दबाव बढ़ा रहे हैं ट्रंप

जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘अब ट्रंप दबाव बढ़ा रहे हैं। 7 जुलाई को उन्होंने 14 देशों को भेजे गए औपचारिक पत्र पर हस्ताक्षर किए, जिसमें बताया गया कि अगर वे समझौता करने में फेल रहे तो 1 अगस्त से उन्हें कितने टैरिफ का सामना करना पड़ेगा।’ ट्रपं प्रशासन ने जापान, दक्षिण कोरिया, कजाकिस्तान, मलेशिया, ट्यूनीशिया पर सोमवार को 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की। दक्षिण अफ्रीका, बोस्निया एंड हर्जेगोविना पर 30%, इंडोनेशिया पर 32%, बांग्लादेश और सर्बिया पर 35%, कंबोडिया और थाईलैंड पर 36% और लाओस और म्यांमार से आयातित सामान पर 40% टैरिफ लगाने की घोषणा की गई है।

भारत को क्यों बरतनी चाहिए सावधानी?

श्रीवास्तव ने कहा कि अमेरिका के ‘अंतिम नोटिस’ में दी गई चेतावनियों के कारण देशों के पास दो विकल्प रह गए हैं कि वे अमेरिकी शर्तों पर समझौते पर हस्ताक्षर करें या रेसिप्रोकल टैरिफ का सामना करने के लिए तैयार रहें। उन्होंने कहा कि टैरिफ वृद्धि से ट्रेड फ्लो बाधित होने, अमेरिका में उपभोक्ता कीमतों में वृद्धि होने और ग्लोबल लेवल पर सप्लाई चेन में काफी मुश्किलें पैदा होने की आशंका है। चीन से अमेरिका का आयात मई 2025 में सालाना आधार पर 35% कम था। उन्होंने कहा, ‘समयसीमा के खत्म होने की ओर बढ़ते हुए.. आगामी दिनों में समझौते की घोषणा करने वालों की लिस्ट में भारत सबसे आगे नजर आ रहा है लेकिन उसे सावधानी से आगे बढ़ना होगा।’ श्रीवास्तव ने आगाह किया कि समझौतों को दरकिनार करने और ब्रिक्स सदस्यों पर एकतरफा शर्तें थोपने की अमेरिका द्वारा इच्छा जाहिर किए जाने के मद्देनजर भारत को किसी असंतुलित समझौते के जोखिमों और संबंधों के सामरिक महत्व पर गौर करना चाहिए।

भाषा इनपुट के साथ
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