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4 min read | अपडेटेड November 14, 2025, 14:32 IST
सारांश
अक्टूबर में आम आदमी को महंगाई से बड़ी राहत मिली है। थोक महंगाई दर गिरकर शून्य से 1.21 प्रतिशत नीचे चली गई है। दाल, सब्जी, आलू, प्याज जैसी खाने-पीने की चीजों के दाम घटने से यह गिरावट आई है। ईंधन और बिजली के दाम भी कम हुए हैं।

अक्टूबर में थोक महंगाई दर शून्य से नीचे गिरने से बाजार में सब्जियों और दालों के दाम कम हुए हैं।
WPI Oct 2025: आम आदमी और अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर शुक्रवार को एक बड़ी राहत भरी खबर आई है। खाने-पीने की चीजों से लेकर ईंधन तक की कीमतों में गिरावट के चलते थोक महंगाई दर (डब्ल्यूपीआई) अक्टूबर 2025 में शून्य से भी नीचे चली गई है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर इस महीने घटकर शून्य से 1.21 प्रतिशत (-1.21%) पर आ गई है। यह लगातार दूसरा महीना है जब थोक महंगाई में गिरावट देखी गई है।
सितंबर 2025 में यह दर 0.13 प्रतिशत थी, जबकि पिछले साल यानी अक्टूबर 2024 में यह 2.75 प्रतिशत के ऊंचे स्तर पर थी। इस बड़ी गिरावट का मतलब है कि थोक बाजार में वस्तुओं की औसत कीमतें बढ़ने के बजाय घटी हैं, जिसने खुदरा बाजार में भी नरमी लाने का काम किया है।
उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि अक्टूबर में महंगाई दर में इस तेज गिरावट की मुख्य वजह खाद्य पदार्थों की कीमतों में आई भारी कमी है। इसके अलावा, कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, बिजली, खनिज तेलों और बुनियादी धातुओं के विनिर्माण की कीमतों में भी नरमी आई है।
आंकड़े बताते हैं कि खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर, जो सितंबर में 5.22 प्रतिशत थी, वह अक्टूबर में नाटकीय रूप से गिरकर 8.31 प्रतिशत (-8.31%) हो गई। इसका सीधा मतलब है कि खाने-पीने की थाली सस्ती हुई है।
अगर हम रोजमर्रा के इस्तेमाल वाली चीजों की बात करें, तो सब्जियों की कीमतों ने सबसे बड़ी राहत दी है। सब्जियों की महंगाई दर में अक्टूबर के दौरान 34.97 प्रतिशत की बड़ी गिरावट दर्ज की गई, जबकि सितंबर में यह 24.41 प्रतिशत थी।
लोगों को रुलाने वाले प्याज की कीमतों में 65.43 प्रतिशत की भारी गिरावट आई है। इसी तरह, आलू के दाम 39.88 प्रतिशत कम हुए हैं। प्रोटीन का मुख्य स्रोत मानी जाने वाली दालों की कीमतों में भी 16.50 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है। इन प्रमुख वस्तुओं के दाम घटने से थोक महंगाई का आंकड़ा शून्य से नीचे चला गया।
महंगाई में गिरावट सिर्फ खाने-पीने की चीजों तक सीमित नहीं है। मैन्यूफैक्चर किए गए प्रोडक्ट के मामले में भी महंगाई दर सितंबर के 2.33 प्रतिशत से घटकर अक्टूबर में 1.54 प्रतिशत रह गई है। यह दिखाता है कि फैक्ट्रियों में बनने वाले सामान की लागत भी कम हुई है।
इसके अलावा, ईंधन और बिजली की कीमतों में भी नरमी जारी है। अक्टूबर में इस श्रेणी की कीमतें 2.55 प्रतिशत कम हुईं, जबकि पिछले महीने सितंबर में इनमें 2.58 प्रतिशत की गिरावट आई थी।
बाजार के जानकारों का मानना है कि थोक महंगाई में यह गिरावट काफी हद तक अपेक्षित थी। इसकी एक बड़ी वजह 22 सितंबर से लागू हुईं माल एवं सेवा कर (GST) की नई दरें हैं। सरकार ने कर दरों को युक्तिसंगत बनाते हुए दैनिक उपयोग की कई वस्तुओं पर जीएसटी घटाया था।
इसके तहत चार-स्तरीय कर ढांचे को सरल बनाते हुए पांच और 18 प्रतिशत की दो मुख्य श्रेणियों में लाया गया था। इस कर कटौती से वस्तुओं की कीमतें सीधे तौर पर कम हुईं। साथ ही, पिछले साल का ऊंचा आधार (High Base Effect) भी इस गिरावट की एक वजह बना।
थोक महंगाई से पहले, पिछले हफ्ते खुदरा महंगाई के आंकड़े भी जारी हुए थे। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित खुदरा महंगाई अक्टूबर में 0.25 प्रतिशत के सर्वकालिक निचले स्तर पर आ गई थी। सितंबर में यह 1.44 प्रतिशत थी।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) अपनी मौद्रिक नीति तय करते समय मुख्य रूप से खुदरा महंगाई के आंकड़ों पर नजर रखता है। अब जब थोक और खुदरा, दोनों ही महंगाई दरें इतने निचले स्तर पर आ गई हैं, तब आरबीआई पर ब्याज दरें घटाने का दबाव काफी बढ़ गया है। तीन से पांच दिसंबर को आरबीआई की अगली मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक होनी है। उम्मीद की जा रही है कि अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए केंद्रीय बैंक रेपो रेट में कटौती का ऐलान कर सकता है।
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