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UP सरकार 'कालानमक' चावल के लिए बनाएगी रिसर्च सेंटर, विदेशों में बढ़ रही है जबर्दस्त मांग

Upstox

3 min read | अपडेटेड June 10, 2025, 16:26 IST

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सारांश

उत्तर प्रदेश के चावलों की किस्मों की जब भी बात होती है, तब कालानमक चावल का जिक्र जरूर होता है, जो अपनी सुगंध और स्वाद के लिए काफी मशहूर है। इस चावल के लिए यूपी सरकार एक रिसर्च सेंटर बनाने का मन बना चुकी है।

चावल की खेती

कालानमक चावल के लिए यूपी सरकार स्थापित करेगी रिसर्च सेंटर

उत्तर प्रदेश का मशहूर चावल ‘कालानमक’ काफी ज्यादा पसंद किया जाता है और इसकी बिक्री भी जमकर होती है। यूपी सरकार 'कालानमक' चावल के लिए अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (International Rice Research Institute, IRRI) के साथ साझेदारी में एक शोध केंद्र स्थापित करने की योजना बना रही है। उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास मंत्री नंदगोपाल गुप्ता नंदी ने मंगलवार को इसको लेकर जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इसके पीछे मकसद इस सुगंधित चावल के प्रोडक्शन और इंपोर्ट को बढ़ावा देना है। नंदी ने कहा कि सिद्धार्थनगर जिले में स्थापित होने वाला यह रिसर्च सेंटर कालानमक चावल की कीट प्रतिरोधी किस्मों को विकसित करने और खास चावल के लिए बीज की गुणवत्ता में सुधार करने पर फोकस करेगा।

600 ईसा पूर्व से होती है इसकी खेती

अपने खास स्वाद के लिए मशहूर चावल की इस किस्म की खेती 600 ईसा पूर्व से की जाती रही है और इसे प्रतिष्ठित भौगोलिक संकेत (Geographical Indication, GI) टैग भी मिला हुआ है। घरेलू बाजारों में यह चावल 250-300 रुपये प्रति किलोग्राम के रेट से बेचा जाता है, जो चावल की आम किस्मों की तुलना में काफी अधिक है। नंदी ने कहा, ‘हम यह रिसर्च सेंटर स्थापित करने के प्रोसेस में हैं। इसका उद्देश्य कालानमक चावल की खेती का रकबा बढ़ाना और उसके इंपोर्ट को बढ़ावा देना है।’

हेल्थ के लिए भी कालानमक माना जाता है फायदेमंद

राज्य सरकार ने अगले महीने से शुरू होने वाले 2025-26 खरीफ सत्र में खेती के क्षेत्र को 82,000 हेक्टेयर से बढ़ाकर 1,00,000 हेक्टेयर करने का लक्ष्य रखा है, क्योंकि काले छिलके वाले इस अनाज की मांग बढ़ रही है। कालानमक में नियमित चावल की किस्मों की तुलना में उच्च एंटीऑक्सीडेंट सामग्री होती है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2024-25 फसल सत्र के दौरान इसका उत्पादन 32.8 लाख टन तक पहुंच गया, जिसमें औसत उपज चार टन प्रति हेक्टेयर थी। उत्तर प्रदेश ने पिछले साल सिंगापुर और नेपाल को लगभग 500 टन कालानमक चावल का निर्यात किया था।

गौतम बुद्ध से है इस चावल का ऐतिहासिक संबंध

इस चावल को लेकर थाईलैंड, वियतनाम, श्रीलंका और जापान की दिलचस्पी भी बढ़ रही है, जहां अनाज का बुद्ध से ऐतिहासिक संबंध इसके सांस्कृतिक आकर्षण को बढ़ाता है। लोक मान्यता है कि भगवान बुद्ध ने इस चावल को कपिलवस्तु में लोगों को आशीर्वाद के रूप में गिफ्ट में दिया था। इसी वजह से इसे 'बुद्ध चावल' के नाम से भी जाना जाता है। उत्तर प्रदेश सरकार ने 'एक जिला एक उत्पाद' (ओडीओपी) पहल के तहत कालानमक चावल को एक प्रमुख उत्पाद के रूप में पेश किया है। इसे निर्यात के लिए तैयार करने के इरादे से 80% सरकारी वित्तपोषण के साथ एक प्रसंस्करण सुविधा भी स्थापित की गई है। गैर-बासमती किस्म के इस चावल की खेती खास रूप से मानसून के समय अनाज की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए की जाती है।

भाषा इनपुट के साथ

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