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US Fed FOMC Meeting: आज रात 11.30 बजे हो जाएगा ब्याज दरों पर फैसला, कैसे रिएक्ट कर सकता है शेयर बाजार?

Shubham Singh Thakur

4 min read | अपडेटेड September 17, 2025, 11:20 IST

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सारांश

US Fed FOMC Meeting: ज्यादातर एक्सपर्ट्स का मानना है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल 2025 में पहली ब्याज दर कटौती की घोषणा कर सकते हैं। उम्मीद की जा रही है कि ब्याज दरों में 25 बेसिस प्वॉइंट्स की कमी हो सकती है। जॉब ग्रोथ में मंदी ने फेड के लिए ब्याज दर में कटौती करने का एक मजबूत आधार प्रदान किया है।

US Fed FOMC Meeting

US Fed FOMC Meeting: बाजार की नजर अब फेडरल रिजर्व की मीटिंग पर टिकी हुई है।

US Fed FOMC Meeting: अमेरिकी फेडरल रिजर्व की दो दिवसीय मीटिंग का आज 17 सितंबर को आखिरी दिन है। उम्मीद की जा रही है कि फेड के चेयरमैन जेरोम पॉवेल साल 2025 में पहली ब्याज दर कटौती की घोषणा कर सकते हैं। ऐसे में बाजार की नजर अब फेडरल रिजर्व की मीटिंग पर टिकी हुई है। बता दें कि लेबर मार्केट के खराब आंकड़ों के साथ ही ब्याज दरों में ढील देने की राजनीतिक मांगों ने पॉवेल पर रेट कट का दबाव बढ़ा दिया है।

जेरोम पॉवेल की स्पीच कब और कहां देख सकेंगे?

यूएस फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (FOMC) की 16-17 सितंबर को होने वाली दो दिन की बैठक फिलहाल जारी है। जेरोम पॉवेल का निर्णय 17 सितंबर की रात 11.30 बजे (भारतीय समय) घोषित किया जाएगा, साथ ही आर्थिक अनुमानों की समीक्षा भी की जाएगी। सितंबर की FOMC बैठक फेडरल रिजर्व के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर देखी जा सकती है।

फेडरल रिजर्व से क्या है उम्मीदें?

ज्यादातर एक्सपर्ट्स का मानना है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल 2025 में पहली ब्याज दर कटौती की घोषणा कर सकते हैं। उम्मीद की जा रही है कि ब्याज दरों में 25 बेसिस प्वॉइंट्स की कमी हो सकती है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक जॉब ग्रोथ में मंदी और बढ़ी हुई लेकिन कुछ हद तक नियंत्रित मुद्रास्फीति ने फेड के लिए ब्याज दर में कटौती करने का एक मजबूत आधार प्रदान किया है।

अगस्त में अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सिर्फ 22000 नई नौकरियां जुड़ीं, जो महामारी के बाद का सबसे कमजोर आंकड़ा है। बेरोजगारी भी चार साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। FOMC ने पिछली बार दिसंबर 2024 में ब्याज दरों में 50 बेसिस प्वॉइंट्स की कटौती की थी। तब से दरें 4.25%-4.5% के बीच स्थिर रही हैं। इस बात की चिंता भी है कि अमेरिकी राष्ट्रपति की टैरिफ पॉलिसी मुद्रास्फीति का कारण बन सकते हैं।

जेरोम पॉवेल के सामने कई मुश्किलें

जेरोम पॉवेल पर ब्याज दरों में कटौती को लेकर लगातार राजनीतिक दबाव बनाया गया है। ट्रंप महीनों से दरों में कटौती की मांग कर रहे हैं। अब वे इस बैठक में कम से कम 50 बेसिस प्वॉइंट्स की बड़ी कटौती चाहते हैं। इसी बीच, सीनेट ने स्टीफन मिरन को फेड बोर्ड में नियुक्त किया है। मिरन अभी व्हाइट हाउस काउंसिल ऑफ इकोनॉमिक एडवाइजर्स के चेयर भी हैं, इसलिए यह नियुक्ति फेड की स्वतंत्रता पर सवाल खड़े करती है। दूसरी तरफ, अदालत ने ट्रंप की याचिका खारिज कर दी है और लिसा कुक अपनी गवर्नर की कुर्सी पर बनी रहेंगी।

दरों में कटौती से जहां ग्रोथ को सहारा मिलेगा, वहीं टैरिफ के चलते महंगाई बढ़ने का खतरा भी है। ऐसे में यह फैसला आसान नहीं होगा। अगर फेड दरें घटाता है तो गिरती नौकरियों और कमजोर अर्थव्यवस्था को सहारा मिल सकता है, लेकिन जब महंगाई पूरी तरह नियंत्रण में नहीं है, उस समय कटौती करने से उल्टा असर भी हो सकता है। यही वजह है कि पॉवेल के लिए यह निर्णय पेचीदा है।

मार्केट पर क्या हो सकता है असर?

बाजार को उम्मीद है कि इस बार 25 बेसिस पॉइंट की कटौती होगी। अगर फेड 50 बेसिस पॉइंट की कटौती करता है तो इसे निवेशक गंभीर संकट का संकेत मान सकते हैं। इससे शेयर बाजार अल्पावधि में ऊपर जा सकते हैं, लेकिन बाद में गिरावट की आशंका भी है।

पिछले लगातार 10 में से 9 ट्रेडिंग सेशन में सेंसेक्स और निफ्टी ऊपर गए हैं। फेड की कटौती इस पॉजिटिव ट्रेंड को और मजबूती दे सकती है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि रेट कट का कदम भारत के फाइनेंशियल और आईटी सेक्टर के लिए पॉजिटिव हो सकता है। वहीं, RBI को भी दरें घटाने का मौका मिल सकता है।

विदेशी निवेशक रेट कट पर कैसे करेंगे रिएक्ट?

विदेशी निवेशकों (FIIs) ने भारतीय शेयर बाजार में साल 2025 में लगातार बिकवाली की है। FII ने सितंबर में अब तक 10,204.54 करोड़ रुपये के शेयर बेच दिए हैं। इसके पहले अगस्त में उन्होंने 46,902.92 करोड़ रुपये और जुलाई में 47,666.68 करोड़ रुपये की निकासी की है।

इसकी वजह थी अमेरिका-भारत के बीच बढ़ते व्यापारिक तनाव और ट्रंप सरकार द्वारा भारत पर 50% तक टैरिफ लगाना। हालांकि, अब अमेरिकी प्रशासन का भारत के प्रति रुख बदला है। ट्रंप ने भारत को "अहम साझेदार" बताया है और ट्रेड डील पर बातचीत फिर शुरू की है। इससे विदेशी निवेशकों का आउटफ्लो कम हो सकता है।

(डिस्क्लेमर: यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना के लिए दी जा रही है। निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें।)
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लेखकों के बारे में

Shubham Singh Thakur
Shubham Singh Thakur is a business journalist with a focus on stock market and personal finance. An alumnus of the Indian Institute of Mass Communication (IIMC), he is passionate about making financial topics accessible and relevant for everyday readers.