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4 min read | अपडेटेड November 19, 2025, 16:08 IST
सारांश
देश का केंद्रीय बजट बनाना एक बहुत जरूरी और लंबी प्रक्रिया होती है, जिसकी तैयारी कई महीने पहले शुरू हो जाती है। अगला बजट 1 फरवरी 2026 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पेश करेंगी। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 के तहत, यह पूरे साल की अनुमानित इनकम और खर्च का लेखा-जोखा होता है।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2026 को देश का आम बजट पेश करेंगी
Union Budget 2026: जब हम अपने घर का बजट बनाते हैं, तो इनकम और खर्च का हिसाब लगाते हैं, यह देखते हैं कि कहीं उधार तो नहीं लेना पड़ेगा या कहां खर्च कम किया जा सकता है। लेकिन जब देश का बजट बनाने की बात आती है, तो यह काम बहुत मुश्किल और बड़ा हो जाता है। 1 फरवरी 2026 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण देश का अगला आम बजट पेश करेंगी। आइए, जानते हैं कि आखिर देश का बजट बनता कैसे है और इसकी पूरी प्रोसेस क्या है?
देश के बजट को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 से जोड़ा गया है। इस अनुच्छेद के हिसाब से केंद्रीय बजट किसी एक साल में सरकार की अनुमानित आमदनी (इनकम) और खर्च (एक्सपेंस) का पूरा हिसाब-किताब होता है। इस बजट को तैयार करने की प्रक्रिया बहुत खास होती है और इसकी तैयारी कई महीने पहले शुरू हो जाती है। इस काम में हजारों लोग दिन-रात एक करके पूरा हिसाब-किताब लगाते हैं।
बजट बनाने की मुख्य जिम्मेदारी वित्त मंत्रालय के बजट डिवीजन की होती है। यह डिवीजन मुख्य तौर पर इस काम को देखता है। हालांकि, बजट बनाने में वित्त मंत्रालय के साथ-साथ नीति आयोग और सरकार के दूसरे मंत्रालय भी शामिल होते हैं। वित्त मंत्रालय हर साल खर्च के हिसाब से ज़रूरी नियम जारी करता है। इसके बाद बजट डिवीजन सभी मंत्रालयों, राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और रक्षा बलों को सर्कुलर भेजकर अगले साल के लिए उन्हें कितना पैसा चाहिए, यह बताने को कहता है। आम बजट को बेहतर बनाने के लिए वित्त मंत्रालय आम लोगों से सुझाव मांगता है। इसके अलावा, वित्त मंत्रालय अर्थशास्त्रियों, कारोबारियों, किसानों और सिविल सोसाइटी जैसे बड़े ग्रुपों के साथ बैठकें करके उनके विचार भी लेता है।
जब अलग-अलग मंत्रालयों और विभागों से उनकी खर्च की मांगें वित्त मंत्रालय को मिल जाती हैं, तो इसके बाद खर्च विभाग के साथ लम्बी बातचीत का दौर शुरू होता है। इस बातचीत में यह तय किया जाता है कि किस मंत्रालय की मांग कितनी सही है और सरकार कहाँ कितना पैसा खर्च कर सकती है।
इसके अलावा आर्थिक मामलों का विभाग और रेवेन्यू डिपार्टमेंट भी सभी पक्षों के साथ बैठकें करते हैं, ताकि आर्थिक और टैक्स से जुड़े सभी पहलुओं पर विचार किया जा सके। यह बैठकें खत्म होने के बाद, टैक्स प्रस्तावों पर आखिरी फैसला वित्त मंत्री के साथ लिया जाता है। बजट को अंतिम रूप देने से पहले इन प्रस्तावों पर प्रधानमंत्री के साथ भी बात की जाती है।
बजट के सभी कागजात बहुत खास और चुने हुए अधिकारी ही तैयार करते हैं। इस काम में पूरी तरह से गोपनीयता बरती जाती है। बजट की जानकारी लीक न हो, इसलिए इस काम में लगे सभी कंप्यूटरों को दूसरे नेटवर्क से काट दिया जाता है। बजट पर काम करने वाला लगभग 100 लोगों का स्टाफ करीब 2 से 3 हफ्तों तक दिल्ली के नॉर्थ ब्लॉक ऑफिस में ही बंद रहता है। इस दौरान उन्हें बाहर आने या यहां तक कि अपने परिवार वालों से बात करने या मिलने की भी इजाजत नहीं होती है। नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट में मौजूद प्रिंटिंग प्रेस में ही बजट से जुड़े अधिकारी और कर्मचारी बंद होकर काम करते हैं।
जब पूरा बजट तैयार हो जाता है, तो उसे संसद में पेश किया जाता है। बजट पेश करने की तारीख पर सरकार पहले लोकसभा स्पीकर की मंजूरी लेती है। इसके बाद लोकसभा सचिवालय के महासचिव राष्ट्रपति से आखिरी इजाजत लेते हैं। वित्त मंत्री के बजट पेश करने से ठीक पहले, 'समरी फॉर द कैबिनेट' के जरिए बजट के प्रस्तावों को संक्षेप में कैबिनेट को बताया जाता है। इसके बाद वित्त मंत्री लोकसभा में बजट पेश करती हैं। उनके भाषण के खत्म होने के बाद बजट के कागजात सदन के सामने रखे जाते हैं।
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