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4 min read | अपडेटेड October 13, 2025, 14:28 IST
सारांश
Dhanteras 2025: दिवाली और धनतेरस जैसे त्योहारों में परंपरागत रूप से सोने की खरीद बढ़ जाती है। कीमतें भले ही ऊंची हों, लेकिन शादी और त्योहारों की मांग के कारण सोने की कीमतें टिक सकती हैं। 2025 में अब तक गोल्ड ने बेंचमार्क इंडेक्स से बेहतर प्रदर्शन किया है।
Gold Price: एक्सपर्ट्स का कहना है कि सोने और चांदी की कीमत अभी और ऊपर जा सकती है।
वैश्विक स्तर पर सुरक्षित निवेश की डिमांड, जियो-पॉलिटिकल अनिश्चितता और अमेरिकी ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदों के चलते सोने की कीमतों को बढ़ावा मिल रहा है। इसके चलते सोने की कीमत पहली बार 4,000 डॉलर प्रति औंस के पार पहुंच गई। भारत में सोना रिकॉर्ड ऊंचाई पर कारोबार कर रहा है। कई क्षेत्रों में हाल के सत्रों में इसकी कीमत ₹1,20,000 प्रति 10 ग्राम को पार कर गई है।
घरेलू मोर्चे पर एनालिस्ट्स को सोने पर दबाव जारी रहने की उम्मीद है। ICICI Bank ने 2025 के शेष समय में सोने की कीमत ₹99,500 से ₹1,10,000 प्रति 10 ग्राम के दायरे में रहने का अनुमान लगाया है।
टाटा म्यूचुअल फंड की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार शॉर्ट टर्म में सोने की कीमतें 3500 डॉलर से 4000 डॉलर प्रति औंस के व्यापक दायरे में स्थिर हो सकती हैं। यह स्थिति बदलती अमेरिकी व्यापार नीतियों, बढ़ती जियो-पॉलिटिकल अनिश्चितता और अमेरिकी आर्थिक विकास को लेकर जारी चिंताओं के बीच देखने को मिल रही है।
फंड हाउस का कहना है कि निवेशकों को गोल्ड (सोना) में निवेश बनाए रखना चाहिए और अगर कभी छोटी अवधि में कीमतें थोड़ी गिरती हैं (यानी शॉर्ट-टर्म वोलैटिलिटी के कारण डिप आता है), तो उसे खरीदने का अच्छा मौका मानना चाहिए। लंबे समय में सोना एक बेहतर निवेश माना जाता है क्योंकि यह महंगाई, भू-राजनीतिक जोखिम और करेंसी की कमजोरी से बचाव करता है।
ऑप्टिमा मनी मैनेजर्स के एमडी और सीईओ पंकज माथपाल ने कहा, “पिछले एक साल में गोल्ड ने 50% से ज्यादा रिटर्न दिए हैं, जो ग्लोबल ट्रेड अनिश्चितता, बढ़ते कर्ज और सेंट्रल बैंकों की खरीद के कारण हुआ। हालांकि, अब इस ऊंचे स्तर पर निवेश करते समय सावधानी रखनी चाहिए, क्योंकि शॉर्ट टर्म में रिस्क रह सकता है।”
यानी अभी जल्दबाजी में गोल्ड खरीदने की जरूरत नहीं है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि दिवाली के बाद गोल्ड की कीमतों में कुछ गिरावट देखने को मिल सकती है। यानी दिवाली के बाद खरीदना बेहतर मौका हो सकता है, जिससे निवेशक सस्ते दाम पर खरीदारी कर पाएंगे। वेल्थ ग्लोबल के डायरेक्टर अनुज गुप्ता के अनुसार, “दिवाली के बाद संभावित गिरावट का इंतजार करना समझदारी होगी।”
टाटा म्यूचुअल फंड की राय है कि सोने और चांदी में निवेश का संतुलित तरीका अपनाना चाहिए, यानी 50:50 का अनुपात रखना चाहिए। कारण यह है कि जहां सोना एक स्थिर और रणनीतिक एसेट है, वहीं चांदी में भी अच्छे रिटर्न की संभावना दिख रही है।
दिवाली और धनतेरस जैसे त्योहारों में परंपरागत रूप से सोने की खरीद बढ़ जाती है। कीमतें भले ही ऊंची हों, लेकिन शादी और त्योहारों की मांग के कारण सोने की कीमतें टिक सकती हैं। 2025 में अब तक गोल्ड ने बेंचमार्क इंडेक्स से बेहतर प्रदर्शन किया है और करीब 40% से ज्यादा रिटर्न दिए हैं। ETF में बढ़ता निवेश, सेंट्रल बैंकों की खरीद और बाजार की अनिश्चितता गोल्ड को सपोर्ट दे रहे हैं। एक्सपर्ट्स के अनुसार अपने कुल निवेश पोर्टफोलियो का 5–10% हिस्सा सोने में रखना चाहिए ताकि जोखिम कम हो और पोर्टफोलियो में संतुलन बना रहे।
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