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  1. सिर्फ भारत सरकार के बॉन्ड्स में निवेश करने वाले FPIs को नियमों में मिले ढील, क्या कहता है SEBI का प्रस्ताव?

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सिर्फ भारत सरकार के बॉन्ड्स में निवेश करने वाले FPIs को नियमों में मिले ढील, क्या कहता है SEBI का प्रस्ताव?

Upstox

2 min read | अपडेटेड May 14, 2025, 14:04 IST

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सारांश

FPIs Rules: सिक्यॉरिटीज ऐंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया ने प्रस्ताव दिया है कि ऐसे FPI (विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक) जो सिर्फ भारत सरकार के बॉन्ड्स में निवेश करते हैं, उनके लिए रजिस्ट्रेशन से लेकर KYC तक के नियमों में ढील दी जाए। ऐसा करके ज्यादा से ज्यादा FPIs को भारत में निवेश की ओर आकर्षित करने का लक्ष्य है।

फिलहाल तीन तरीकों से निवेश कर सकते हैं FPI, खास कैटिगिरी बनाने का भी प्रस्ताव।

फिलहाल तीन तरीकों से निवेश कर सकते हैं FPI, खास कैटिगिरी बनाने का भी प्रस्ताव।

सिक्यॉरिटीज मार्केट के रेग्युलेटर SEBI (सिक्यॉरिटीज ऐंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) ने कुछ विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (Foreign Portfolio Investors, FPIs) को नियमों में ढील दी है। सेबी ने ऐसे FPIs के लिए नियमों का आसान किया है और रेग्युलेटरी प्रोसेस में ढील दी है, जो सिर्फ भारत सरकार के बॉन्ड्स में ही निवेश करते हैं।

इसके पीछे लक्ष्य है ज्यादा से ज्यादा लॉन्ग-टर्म बॉन्ड निवेशकों को भारत की ओर आकर्षित करने का। ऐसे निवेशक जो वॉलंटरी रिटेंशन रूट (voluntary retention route, VRR) और फुली एक्सेसेबल रूट (fully accessible route, FAR) के जरिए सिर्फ भारत सरकार के बॉन्ड्स में निवेश करते हैं, उनके लिए निवेश को आसान किया गया है।

फिलहाल जो नियम हैं, उनके मुताबिक विदेशी निवेशक तीन तरीकों से भारतीय डेट मार्केट में निवेशक कर सकते हैं- जनरल, VRR और FAR जहां VRR और FAR में बिना ज्यादा प्रतिबंधों के निवेश किया जा सकता है।

अपने कंसल्टेशन पेपर में सेबी ने प्रस्ताव दिया है कि नई FPI कैटिगिरी IGB-FPIs के लिए रजिस्ट्रेशन और आसान किया जाए और नियमों के पालन में ढील दी जाए। इस कैटिगिरी के निवेशक सिर्फ भारत सरकार के बॉन्ड्स में निवेश करेंगे।

सेबी ने सुझाव दिया है कि IGB-FPIs को निवेशकों के समूह की डीटेल नहीं देनी होगी क्योंकि FAR/VRR के तहत बॉन्ड निवेश के लिए ऐसी कोई लिमिट नहीं है। आमतौर पर FPIs को ग्रुप के ढांचे की जानकारी उजागर करनी होती है। इससे निवेश की सीमा को मॉनिटर किया जाता है।

वहीं, फिलहाल, NRIs, OCIs और भारत के निवासी, सब मिलाकर 50% से ज्यादा FPI में निवेश नहीं कर सकते हैं और ना ही उसे कंट्रोल कर सकते हैं। इस नियम को भी IGB-FPIs पर ना लागू करने का प्रस्ताव दिया गया है। सेबी का कहना है कि IGB-FPIs के लिए इन नियमों में ढील देनी चाहिए, NRIs/OCIs/RIs का IGB-FPIs में निवेश आसान करना चाहिए और IGB-FPIs पर कंट्रोल देना चाहिए।

इसके अलावा सेबी नेयह भी प्रस्ताव दिया है कि IGB-FPIs के लिए KYC रिव्यू की टाइमलाइन को भी भारतीय रिजर्व बैंक के निर्देशों के मुताबिक जोखिम के आधार पर 2, 8, या 10 साल करना चाहिए। अभी सालाना या हर तीन साल पर रिव्यू का प्रावधान है।

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Upstox Hindi News Desk पत्रकारों की एक टीम है जो शेयर बाजारों, अर्थव्यवस्था, वस्तुओं, नवीनतम व्यावसायिक रुझानों और व्यक्तिगत वित्त को उत्साहपूर्वक कवर करती है।