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  1. पहली बार $1 की कीमत पहुंची ₹90 के पार, नीति आयोग पूर्व उपाध्यक्ष ने क्यों बताया इसे भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा?

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पहली बार $1 की कीमत पहुंची ₹90 के पार, नीति आयोग पूर्व उपाध्यक्ष ने क्यों बताया इसे भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा?

Upstox

2 min read | अपडेटेड December 03, 2025, 10:19 IST

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सारांश

मंगलवार को, भारतीय रुपया दिन के कारोबार में 90 डॉलर के साइक्लॉजिकल लेवल को छू गया था, और फिर 43 पैसे की गिरावट के साथ 89.96 के ऑल-टाइम लोएस्ट लेवल पर बंद हुआ था।

डॉलर वर्सेस रुपया

डॉलर के मुकाबले कितना और टूटा रुपया?

रुपया शुरुआती कारोबार में 9 पैसे टूटकर अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 90.05 के रिकॉर्ड लोएस्ट लेवल पर पहुंच गया है। यह पहला मौका है, जब एक डॉलर की कीमत 90 रुपये से ज्यादा हो गई है। मंगलवार को, भारतीय रुपया दिन के कारोबार में 90 डॉलर के साइक्लॉजिकल लेवल को छू गया था, और फिर 43 पैसे की गिरावट के साथ 89.96 के ऑल-टाइम लोएस्ट लेवल पर बंद हुआ था। यह सट्टेबाजों की लगातार शॉर्ट-कवरिंग और अमेरिकी मुद्रा के लिए आयातकों की निरंतर मांग के कारण हुआ। विदेशी मुद्रा व्यापारियों ने कहा कि शेयरों से विदेशी पूंजी की निकासी और भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर बनी अनिश्चितता जैसे कई दबाव निवेशकों की धारणा को कमजोर बनाए हुए हैं।

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अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में, रुपया 89.70 पर खुला, फिर अपनी गति खोते हुए अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 90 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया, जो पिछले बंद भाव से 47 पैसे कम था। मंगलवार को कारोबार के अंत में, रुपया डॉलर के मुकाबले 89.96 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ, जो पिछले बंद भाव से 43 पैसे कम था। सोमवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले आठ पैसे की गिरावट के साथ 89.53 पर बंद हुआ।

क्या बोले नीती आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष

नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने मंगलवार को कहा कि दुनिया की प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले रुपये का कमजोर होना अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा है, क्योंकि यह भारत से श्रम-प्रधान निर्यात को बढ़ावा देता है, विदेशी मुद्रा आय बढ़ाता है और अधिक रोजगार पैदा करता है। प्रख्यात अर्थशास्त्री ने आगे कहा कि अब समय आ गया है कि तथाकथित 'मजबूत रुपये' को आर्थिक मजबूती का प्रतीक माना जाए।

कुमार ने X पर एक पोस्ट में कहा, ‘दुनिया की प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले रुपये के कमजोर होने से चिंता की कोई बात नहीं है। वास्तव में, यह अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा है, क्योंकि यह भारत से श्रम-प्रधान निर्यात को बढ़ावा देता है, विदेशी मुद्रा आय बढ़ाता है और अधिक रोजगार पैदा करता है।’ कुमार ने आगे कहा, ‘माचो रुपया सिंड्रोम को तुरंत त्याग दिया जाना चाहिए। आइए इस पब्लिक नायरेटिव को बदलने की कोशिश करें, जो देश के लिए हानिकारक है।’

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लेखकों के बारे में

Upstox
Upstox Hindi News Desk पत्रकारों की एक टीम है जो शेयर बाजारों, अर्थव्यवस्था, वस्तुओं, नवीनतम व्यावसायिक रुझानों और व्यक्तिगत वित्त को उत्साहपूर्वक कवर करती है।

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