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  1. आउटस्टैंडिंग सरकारी प्रतिभूतियों में RBI की हिस्सेदारी बढ़ी, पांच पॉइंट्स में समझें क्या कुछ है SBI की रिपोर्ट में

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आउटस्टैंडिंग सरकारी प्रतिभूतियों में RBI की हिस्सेदारी बढ़ी, पांच पॉइंट्स में समझें क्या कुछ है SBI की रिपोर्ट में

Upstox

3 min read | अपडेटेड November 17, 2025, 09:32 IST

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सारांश

भारतीय स्टेट बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक बकाया सरकारी प्रतिभूतियों (जी-सेक) में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की हिस्सेदारी पिछले एक साल में काफी बढ़ी है। रिपोर्ट में बताया गया है कि जून 2025 में आरबीआई की हिस्सेदारी बढ़कर 14.2% हो गई, जबकि जून 2024 में यह 11.9% और दिसंबर 2025 में 10.6% थी।

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया

आउटस्टैंडिंग गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में आरबीआई की हिस्सेदारी बढ़ी है।

State Bank of India (SBI) यानी कि भारतीय स्टेट बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक बकाया सरकारी प्रतिभूतियों (जी-सेक) में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की हिस्सेदारी पिछले एक साल में काफी बढ़ी है। रिपोर्ट में बताया गया है कि जून 2025 में आरबीआई की हिस्सेदारी बढ़कर 14.2% हो गई, जबकि जून 2024 में यह 11.9% और दिसंबर 2025 में 10.6% थी। ANI की खबर के मुताबिक इसमें कहा गया है, ‘बकाया सरकारी प्रतिभूतियों में आरबीआई की हिस्सेदारी जून 2025 में बढ़कर 14.2% हो गई, जो जून 2024 में 11.9% और दिसंबर 2025 में 10.6% थी।’ इसके उलट, बैंकों की हिस्सेदारी में गिरावट आई है, जबकि बीमा कंपनियों की हिस्सेदारी इसी पीरियड में मोटे तौर पर पहले जैसी ही रही है। एक नजर डालते हैं एसबीआई की इस रिपोर्ट की अहम बातों पर-

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1- रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्र सरकार द्वारा फरवरी 2026 तक हर महीने लगभग 1 लाख करोड़ रुपये उधार लेने की उम्मीद है, जिसमें मार्च के लिए केवल एक छोटी राशि निर्धारित है। साथ ही, अपेक्षाकृत बड़े राज्य विकास ऋण (State Development Loan, SDL एसडीएल) जारी करने से शॉर्ट-टर्म सरकारी उधारी के साथ प्रतिस्पर्धा करने की संभावना है। इस सप्लाई परिदृश्य को देखते हुए, रिपोर्ट का मानना ​​है कि बॉन्ड प्रतिफल सीमित दायरे में रह सकता है और आने वाले दिनों में स्थिर रह सकता है। हालांकि बैंक और म्यूचुअल फंड हाल के महीनों में सरकारी प्रतिभूतियों के शुद्ध विक्रेता (Net seller) रहे हैं, ‘अन्य’ कैटेगरी प्रमुख खरीदार के रूप में उभरी है, जिससे बाजार में सप्लाई को ऑब्जर्ब करने में मदद मिली है।
2- रिपोर्ट में विदेशी मुद्रा बाजार (फॉरेन एक्सचेंज मार्केट) में आरबीआई की गतिविधि पर भी प्रकाश डाला गया है। केंद्रीय बैंक ने अत्यधिक सट्टेबाजी पर अंकुश लगाने और रुपये की डिफेंड करने के लिए अपने पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार के खिलाफ हस्तक्षेप किया। जून और अगस्त 2025 के बीच, विदेशी मुद्रा की शुद्ध बिक्री लगभग 14 अरब अमेरिकी डॉलर रही, जिससे बैंकिंग सिस्टम से 1.2 लाख करोड़ रुपये की स्थायी नकदी निकासी हुई। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार, जो जून 2025 में 703 अरब अमेरिकी डॉलर था, अक्टूबर के अंत तक घटकर 690 अरब अमेरिकी डॉलर रह गया।
3- सोने और विशेष आहरण अधिकार (Special Drawing Rights, SDR) को छोड़कर, इसी पीरियड के दौरान भंडार 30 अरब अमेरिकी डॉलर घटकर 599 अरब अमेरिकी डॉलर से 569 अरब अमेरिकी डॉलर रह गया। रुपये में गिरावट के रुझान को देखते हुए, रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि आरबीआई का हस्तक्षेप अगस्त के बाद भी जारी रहने की संभावना है और अब तक यह इन आंकड़ों को पार कर चुका होगा।
4- इसमें यह भी कहा गया है कि द्वितीयक बाजार में आरबीआई के खुले बाजार परिचालन (Open Market Operations, OMO) का हालिया दौर विदेशी मुद्रा हस्तक्षेप के कारण घटी नकदी की भरपाई के लिए स्थायी नकदी डालने का एक रणनीतिक कदम हो सकता है।
5- रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आरबीआई ने अपनी हस्तक्षेप रणनीति का एक हिस्सा हाजिर बाजार परिचालनों के बजाय नॉन-डिलिवरेबल फॉरवर्ड (एनडीएफ) बाजारों की ओर ट्रांसफर कर दिया है, क्योंकि यह दृष्टिकोण बैंकिंग सिस्टम की लिक्विडिटी को प्रभावित किए बिना मुद्रा अस्थिरता को प्रबंधित करने में मदद करता है।
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Upstox Hindi News Desk पत्रकारों की एक टीम है जो शेयर बाजारों, अर्थव्यवस्था, वस्तुओं, नवीनतम व्यावसायिक रुझानों और व्यक्तिगत वित्त को उत्साहपूर्वक कवर करती है।

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