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5 min read | अपडेटेड June 06, 2025, 11:54 IST
सारांश
RBI MPC: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने 6 जून को रेपो रेट में 0.50% यानी 50 बेसिस पॉइंट की कटौती का ऐलान किया। अब नई रेपो रेट 5.5% हो गई है। यह कटौती बाजार की उम्मीद से अधिक रही और इसका मकसद आर्थिक विकास को गति देना है।
RBI MPC: कैश रिजर्व रेशियो (CRR) में भी एक फीसदी की कटौती का निर्णय लिया गया है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने 6 जून को रेपो रेट में 0.50% यानी 50 बेसिस पॉइंट की कटौती का ऐलान किया। अब नई रेपो रेट 5.5% हो गई है। यह कटौती बाजार की उम्मीद से अधिक रही और इसका मकसद आर्थिक विकास को गति देना है।
रेपो रेट वह ब्याज दर है, जिस पर RBI देश के बैंकों को शॉर्ट टर्म के लिए कर्ज देता है। इसका मतलब है कि इसमें कटौती से बैंकों के लिए लोन सस्ता हो जाता है। इसी तरह ग्राहकों के लिए भी लोन सस्ता होता है, जिससे डिमांड बढ़ती है और ग्रोथ को बढ़ावा मिलता है।
केंद्रीय बैंक ने कैश रिजर्व रेशियो (CRR) में भी एक फीसदी की कटौती की है। CRR यानी Cash Reserve Ratio के तहत हर बैंक को अपनी कुल जमा का एक निश्चित हिस्सा नकद रूप में RBI के पास रखना पड़ता है, जिस पर कोई ब्याज भी नहीं मिलता। कटौती के बाद अब बैंकों को कम पैसे RBI के पास रखने होंगे, यानी बैंकों के पास ज्यादा पैसा बचेगा। इसे आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए बड़ा कदम माना जा रहा है।
रेपो रेट में बदलाव के साथ ही अन्य दरें भी बदली गई हैं। स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी (SDF) अब 5.25% और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (MSF) और बैंक रेट अब 5.75% हो गए हैं। FY26 के लिए महंगाई का अनुमान 3.7 फीसदी तय किया गया है।
SDF रेट में कटौती से बैंकों को अब RBI में पैसा रखने से कम ब्याज मिलेगा। वहीं, MSF में कटौती का मतलब है कि बैंकों को संकट के समय में सस्ता कर्ज मिलेगा।
आरबीआई ने मौद्रिक नीति की स्थिति को 'अकोमोडेटिव' से बदलकर अब 'न्यूट्रल' कर दिया है। इसका मतलब है कि अब नीतिगत रुख न पूरी तरह उदार रहेगा, न सख्त। यह बदलाव इसलिए किया गया है क्योंकि आगे ज्यादा कटौती की गुंजाइश सीमित है।
CRR में कटौती को 25-25 बेसिस प्वॉइंट्स की चार किस्तों में लागू किया जाएगा। इस कदम से बैंकिंग सिस्टम में 2.5 लाख करोड़ रुपये आने की उम्मीद है, जिससे लिक्विडिटी बढ़ेगी और क्रेडिट फ्लो को समर्थन मिलेगा। RBI गवर्नर ने कहा कि CRR में कटौती 6 सितंबर, 4 अक्टूबर, 1 नवंबर और 29 नवंबर, 2025 से शुरू होने वाले पखवाड़े से शुरू होगी।
गवर्नर ने कहा कि खाद्य महंगाई यानी फूड इंफ्लेशन अब नियंत्रण में रहने की उम्मीद है। अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कच्चे माल की कीमतों में नरमी देखने को मिल रही है, जिससे राहत मिल सकती है। वहीं चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति के अनुमान को चार प्रतिशत से घटाकर 3.7 फीसदी कर दिया गया है।
आरबीआई ने 2025-26 के लिए आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। संजय मल्होत्रा ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था तीनों स्तरों — मूल्य (महंगाई), वित्तीय और राजनीतिक — पर स्थिरता दिखा रही है। हालांकि उन्होंने माना कि महंगाई को पूरी तरह काबू में लाना अब भी थोड़ा चुनौतीपूर्ण है।
केंद्रीय बैंक ने वित्त वर्ष 26 की दूसरी छमाही के लिए अपने रियल जीडीपी ग्रोथ अनुमानों में कोई बदलाव नहीं किया है, जो कि Q2FY26 के लिए 6.7%, Q3FY26 के लिए 6.6% और Q4FY26 के लिए 6.3% है।
गवर्नर ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था में विदेशी और घरेलू निवेशकों के लिए अपार संभावनाएं हैं। भारत एक स्थिर और भरोसेमंद निवेश गंतव्य बनकर उभर रहा है। गवर्नर ने यह भी कहा कि वैश्विक आर्थिक हालात अब भी नाजुक और तेजी से बदलने वाले हैं। इसलिए नीति निर्धारण में सतर्कता जरूरी है। आने वाले समय में RBI आर्थिक आंकड़ों के आधार पर आगे का फैसला करेगा।
RBI के फैसले के बाद होम लोन की ब्याज दरों में कमी आने का रास्ता साफ हो गया है। RBI की रेपो दर में कटौती से होम लोन बॉरोअर्स, विशेष रूप से मौजूदा उधारकर्ताओं को सीधे तौर पर लाभ होगा, क्योंकि इससे उनका ब्याज बोझ कम होगा।
RBI की घोषणाओं के बाद भारतीय शेयर बाजार में जमकर खरीदारी देखने को मिल रही है। आज के कारोबार में BSE Sensex में करीब 700 अंकों की मजबूत रैली देखी गई और यह 82,125 के करीब ट्रेड कर रहा है। इसके अलावा, Nifty 50 में भी 220 अंकों की बढ़त है और यह 24971 के करीब पहुंच गया है। बैंकिंग-ऑटो शेयरों में सबसे ज्यादा उछाल आया है।
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