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  1. RBI MPC Meeting: 10 प्वाइंट्स में समझें आरबीआई गवर्नर के बातों का पूरा सार, बैठक में आम जनता को राहत मिली या टेंशन

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RBI MPC Meeting: 10 प्वाइंट्स में समझें आरबीआई गवर्नर के बातों का पूरा सार, बैठक में आम जनता को राहत मिली या टेंशन

विकास तिवारी

3 min read | अपडेटेड October 01, 2025, 10:56 IST

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सारांश

RBI MPC Meeting: RBI ने अपनी तिमाही मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो रेट 5.5% पर स्थिर रखने का निर्णय लिया। महंगाई को घटाकर 2.6% किया गया और FY26 के लिए GDP वृद्धि का अनुमान 6.8% तक बढ़ाया गया। चलिए अब 10 प्वाइंट्स में पूरा डीटेल समझ लेते हैं।

RBI MPC Meeting details

रुपये की चाल पर पर गवर्नर ने कही बड़ी बात

RBI MPC Meeting: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने अपनी तिमाही मौद्रिक नीति समिति (MPC) बैठक में रेपो रेट को न्यूट्रल रखने का फैसला किया है। बैठक में RBI ने न केवल महंगाई और GDP वृद्धि के नए अनुमान पेश किए, बल्कि बैंकिंग और क्रेडिट सेक्टर की स्थिति, विदेशी मुद्रा भंडार और वित्तीय स्थिरता जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर भी विस्तार से चर्चा की। केंद्रीय बैंक ने यह स्पष्ट किया कि वर्तमान आर्थिक संकेतकों के मद्देनजर वह सतर्क रहते हुए स्थिरता और विकास को प्राथमिकता देगा।

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10 प्वाइंट्स में समझें बैठक की पूरी डीटेल

  1. भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट को 5.5% पर स्थिर रखने का निर्णय लिया है। इसका मतलब है कि होम लोन, कार लोन और अन्य क्रेडिट उत्पादों की EMI में फिलहाल कोई बदलाव नहीं आएगा। MPC ने मौद्रिक नीति को न्यूट्रल रखा है, यानी जरूरत पड़ने पर भविष्य में कोई कदम उठाया जा सकता है, लेकिन फिलहाल मौजूदा स्थिति बनाए रखने पर जोर दिया गया है।
  2. RBI ने पूरे वित्त वर्ष के लिए महंगाई (CPI) का अनुमान 3.1% से घटाकर 2.6% कर दिया है। इसमें खाद्य और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में गिरावट मुख्य कारण रही। महंगाई में यह कमी आम उपभोक्ताओं के लिए राहत की खबर है, क्योंकि उनकी खरीद शक्ति पर दबाव कम होगा।
  3. वित्त वर्ष 2026 के लिए वास्तविक GDP वृद्धि का अनुमान भी 6.5% से बढ़ाकर 6.8% किया गया। घरेलू मांग मजबूत बनी हुई है और अनुकूल मानसून के चलते कृषि एवं ग्रामीण मांग में तेजी देखी गई है, जिससे अर्थव्यवस्था की वृद्धि में मदद मिली।
  4. विदेशी मुद्रा भंडार भी मजबूत स्थिति में है। RBI ने बताया कि देश का विदेशी मुद्रा भंडार 700.2 अरब अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गया है, जो लगभग 11 महीने के आयात के लिए पर्याप्त है। इस मजबूत भंडार से भारतीय रुपये की स्थिरता बनी रहती है और विदेशी निवेशकों के भरोसे को भी समर्थन मिलता है।
  5. बैंकिंग और क्रेडिट सेक्टर में सुधार जारी है। बैंकों और NBFCs की स्थिति बेहतर है। CC/OD खाता खोलने और क्रेडिट देने में अधिक लिक्विडिटी प्रदान किया गया है। बैंकों ने कमर्शियल सेक्टर में कुल 2.66 लाख करोड़ रुपये का क्रेडिट जारी किया है।
  6. सिक्योरिटीज और कर्ज के नियमों में भी बदलाव किए गए हैं। लिस्टेड डेब्ट सिक्योरिटीज पर कर्ज की सीमा हटाई गई है, वहीं शेयर के बदले कर्ज की सीमा 1 करोड़ रुपये प्रति व्यक्ति कर दी गई है। IPO फाइनेंसिंग की लिमिट भी 10 लाख से बढ़ाकर 25 लाख रुपये प्रति व्यक्ति कर दी गई है।
  7. बीमा सेक्टर में उच्च-रेटिंग वाले बैंकों के लिए रिस्क बेस्ड डिपॉजिट इंश्योरेंस प्रीमियम लागू किया जाएगा, जिससे उनकी लागत कम होगी और वित्तीय स्थिरता बढ़ेगी।
  8. बेसल-III और ECL (Expected Credit Loss) फ्रेमवर्क के नियम 1 अप्रैल 2027 से लागू होंगे। RBI ने इसे लागू करने के लिए पांच साल का समय दिया है, ताकि बैंक नए नियमों के अनुरूप तैयारी कर सकें। बता दें कि यह बैंकिंग पर्यवेक्षण पर बेसल समिति' (BCBS) द्वारा विकसित एक अंतरराष्ट्रीय नियामक ढांचा है, जो 2007-08 के वैश्विक वित्तीय संकट के जवाब में तैयार किया गया था।
  9. आर्थिक गतिविधियों की बात करें तो घरेलू मांग मजबूत बनी हुई है और मनी मार्केट रेट स्थिर हैं। सिस्टम में पर्याप्त तरलता मौजूद है। वैश्विक अनिश्चितताओं और टैरिफ/शुल्क के बावजूद घरेलू आर्थिक गतिविधियों में सुधार जारी है।
  10. MPC की इस बैठक से स्पष्ट हुआ कि RBI मौद्रिक नीति में सतर्क है, लेकिन वर्तमान आर्थिक संकेतकों को देखते हुए स्थिर रेट और मजबूत आर्थिक आधार बनाए रखना प्राथमिकता है।
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लेखकों के बारे में

विकास तिवारी
Vikash Tiwary is a finance journalist with 6+ years of newsroom experience. He is currently growing Upstox Hindi, crafting data-driven stories on stocks, personal finance, mutual funds, and global markets, while exploring how AI can simplify finance. His work spans Zee Business, TV9 Bharatvarsh, ABP News, India TV, and Inshorts. He also holds NISM certification.

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