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8 min read | अपडेटेड October 01, 2025, 10:42 IST
सारांश
RBI MPC Live Updates: इसके पहले अगस्त 2025 की समीक्षा में RBI की MPC ने रेपो रेट को 5.50% पर बरकरार रखा था और न्यूट्रल आउटलुक जारी किया था। यह फैसला अमेरिका के नए टैरिफ लागू होने से ठीक पहले आया था, जिसमें शुल्क 50% तक दोगुना कर दिया गया।
RBI MPC
इसके पहले अगस्त 2025 की समीक्षा में RBI की MPC ने रेपो रेट को 5.50% पर बरकरार रखा था और न्यूट्रल आउटलुक जारी किया था। यह फैसला अमेरिका के नए टैरिफ लागू होने से ठीक पहले आया था, जिसमें शुल्क 50% तक दोगुना कर दिया गया। तब RBI ने कहा था कि अच्छा मॉनसून, महंगाई में कमी, बेहतर इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन और अनुकूल वित्तीय माहौल भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती दे रहे हैं। RBI ने 2025-26 के लिए GDP ग्रोथ अनुमान 6.5% पर बरकरार रखा और कहा कि भारत वैश्विक अस्थिरता का सामना करने में सक्षम है।
ज्यादातर एक्सपर्ट्स का अनुमान था कि RBI इस बार भी रेपो रेट स्थिर रखेगा। हालांकि, कुछ एनालिस्ट्स 25 bps की कटौती की संभावना भी जता रहे थे। SBI की रिपोर्ट कहती है कि सितंबर में 25 bps कटौती करना “RBI के लिए सबसे अच्छा विकल्प” होगा। इससे RBI को एक आगे की सोच रखने वाला केंद्रीय बैंक माना जाएगा। दूसरी तरफ, Bloomberg के सर्वे में शामिल 37 अर्थशास्त्रियों में से 11 का मानना था कि RBI रेपो रेट को बरकरार रखेगा। वहीं, बाकी का मानना था कि 25 bps की कटौती होगी।
अनिल रेगो ने कहा कि MPC का रेपो रेट 5.50% पर स्थिर रखने और "न्यूट्रल" रुख अपनाने का फैसला उम्मीद के मुताबिक था, लेकिन इसका असर बाजार, लिक्विडिटी और अर्थव्यवस्था पर बड़ा है। इस साल की शुरुआत में 100 बेसिस पॉइंट (bps) की तेज कटौती और CRR में कमी के बाद अब रिजर्व बैंक इंतजार-देखो (assessment) की स्थिति में है, ताकि पहले उठाए गए कदमों का पूरा असर दिख सके।
FY26 के लिए CPI महंगाई का अनुमान 3.1% से घटाकर 2.6% करना इस बात को दिखाता है कि महंगाई का दबाव अब काबू में है। इसमें GST दरों में बदलाव और इनपुट कॉस्ट घटने का बड़ा योगदान है। इससे आगे चलकर और मौद्रिक सहूलियत (rate cut) की गुंजाइश बन सकती है, संभव है कि दिसंबर की बैठक में ही कुछ राहत मिल जाए।
साथ ही, FY26 की GDP ग्रोथ का अनुमान 6.8% तक बढ़ाना RBI के भरोसे को दिखाता है। यह वृद्धि सरकार के मज़बूत कैपेक्स, ग्रामीण मांग में स्थिरता और मैन्युफैक्चरिंग में धीरे-धीरे सुधार से आ रही है। हालांकि, अमेरिकी टैरिफ, रुपये की अस्थिरता और भू-राजनीतिक तनाव जैसे बाहरी जोखिम अब भी मौजूद हैं, लेकिन घरेलू नीति का समर्थन इनसे बचाव में मदद करता है।
रेगो ने कहा कि बाजार के लिए यह विराम और नरम (dovish) रुख सकारात्मक माना जाएगा। ऑटो, हाउसिंग फाइनेंस, रियल एस्टेट और कंजम्पशन जैसे सेक्टर में मांग बढ़ सकती है क्योंकि लोन रेट स्थिर रहेंगे और ट्रांसमिशन तेज होगा। इक्विटी बाजार को लगातार लिक्विडिटी, कम महंगाई और बेहतर होती कमाई से फायदा होगा, वहीं बॉन्ड बाजार भी आने वाले समय में ब्याज दरों में नरमी की उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन कर सकता है।
उन्होंने आगे कहा कि एक्सपेक्टेड क्रेडिट लॉस (ECL) फ्रेमवर्क 1 अप्रैल 2027 से बैंकों और वित्तीय संस्थानों पर लागू होगा और इसे पूरी तरह लागू करने के लिए पांच साल का समय दिया जाएगा। उसी तारीख से संशोधित बेसल-III नियम भी लागू होंगे। साथ ही, कुछ क्षेत्रों के लिए कम जोखिम भार तय किया जाएगा ताकि बैंकों को पूंजी की आवश्यकता कम हो।
संजय मल्होत्रा ने कहा कि बेसल-III (Basel III) के तहत मार्केट रिस्क के लिए पूंजी संबंधी नियम अभी अंतिम रूप दिए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि बैंकों से वाणिज्यिक क्षेत्र को कुल 2.66 लाख करोड़ रुपये का प्रवाह हुआ है।
RBI ने बीमा प्रीमियम और उधारी की सीमा से जुड़े कई सुधारों का प्रस्ताव रखा है। उच्च-रेटिंग वाले बैंकों के लिए जोखिम-आधारित डिपॉजिट इंश्योरेंस प्रीमियम लागू किया जाएगा, जिससे उनकी लागत कम होगी। इसके अलावा, अधिग्रहण वित्त (acquisition finance) का दायरा भी बढ़ाया जाएगा।
सिक्योरिटीज के बदले कर्ज देने के नियमों में बड़े बदलाव होंगे। अब लिस्टेड डेब्ट सिक्योरिटीज पर कर्ज की सीमा हटा दी जाएगी। शेयरों के बदले कर्ज की सीमा 20 लाख रुपये से बढ़ाकर 1 करोड़ रुपये प्रति व्यक्ति कर दी जाएगी। वहीं, IPO फाइनेंसिंग लिमिट भी 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 25 लाख रुपये प्रति व्यक्ति कर दी जाएगी।
इसके साथ ही, RBI ने कहा है कि अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों (UCBs) के लाइसेंसिंग पर एक चर्चा पत्र प्रकाशित किया जाएगा, क्योंकि 2004 से यह प्रक्रिया रुकी हुई है। बैंकों को उधारकर्ताओं के लिए CC/OD खाते खोलने में भी अधिक लचीलापन दिया जाएगा।
RBI ने 1 अक्टूबर को रेपो रेट को 5.5 प्रतिशत पर स्थिर रखने के निर्णय का मतलब है कि आपके होम लोन की EMI और ब्याज में कोई बदलाव नहीं होगा। इस वर्ष फरवरी और जून के बीच, RBI MPC ने रेपो रेट में 100 आधार अंकों की कमी की थी, जिससे होम लोन की दरें लगभग 7.30 फीसदी तक कम हो गईं, और कई ऋणदाता पात्र उधारकर्ताओं के लिए लगभग 7.50 फीसदी से शुरू होने वाली ब्याज दरें प्रदान कर रहे हैं।
संजय मल्होत्रा ने कहा कि मौद्रिक नीति का असर अब अलग-अलग सेक्टरों में साफ तौर पर दिख रहा है। बची हुई CRR कटौती से इसके प्रभाव और मजबूत होने की उम्मीद है। बैंकों और NBFCs की स्थिति स्वस्थ बनी हुई है और बैंक क्रेडिट ग्रोथ मजबूत है, जिससे आर्थिक गतिविधियों को सहारा मिल रहा है।
मनी मार्केट रेट स्थिर है, जो दिखाता है कि सिस्टम में पर्याप्त तरलता मौजूद है। अगस्त की MPC बैठक के बाद से औसत दैनिक लिक्विडिटी 2.1 लाख करोड़ रुपये सरप्लस में रही है। रुपये की चाल पर भी लगातार नजर रखी जा रही है और जरूरत पड़ने पर उचित कदम उठाए जाएंगे।
अवधि | वर्तमान | पहले |
---|---|---|
FY26 | 2.6% | 3.1% |
Q2FY26 | 1.8% | 2.1% |
Q3FY26 | 1.8% | 3.1% |
Q4FY26 | 4.0% | 4.4% |
Q1FY27 | 4.5% | 4.9% |
अवधि | वर्तमान | पहले |
---|---|---|
FY26 | 6.8% | 6.5% |
Q2FY26 | 7.0% | 6.7% |
Q3FY26 | 6.4% | 6.6% |
Q4FY26 | 6.2% | 6.3% |
Q1FY27 | 6.4% | 6.6% |
वैश्विक अनिश्चितताओं और टैरिफ (शुल्क) से इस साल आर्थिक वृद्धि धीमी पड़ सकती है। फिलहाल MPC का मानना है कि आगे कोई बड़ा कदम उठाने से पहले इन नीतिगत फैसलों के असर को देखना जरूरी है। इसके बावजूद, भारत की घरेलू आर्थिक गतिविधि मजबूत बनी हुई है और दूसरी तिमाही में भी अच्छी रफ्तार जारी है।
MPC (मौद्रिक नीति समिति) ने अपनी नीति को न्यूट्रल रखा है। पूरे साल की औसत महंगाई दर का अनुमान पहले 3.1% था, जिसे घटाकर अब 2.6% कर दिया गया है।
संजय मल्होत्रा ने खाने-पीने की चीजों (Food Prices) पर कहा कि इनकी कीमतों में तेज गिरावट आई है। इसी वजह से अब महंगाई (Inflation) का दबाव पहले से काफी कम हो गया है। पहले से उठाए गए कड़े कदमों का असर अब दिखने लगा है। RBI गवर्नर ने कहा कि घरेलू मांग में बढ़ोतरी दिख रही है।
RBI ने ब्याज दरों में इस बार भी कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया है। रेपो रेट को 5.5 फीसदी पर बरकरार रखा गया है। गवर्नर संजय मल्होत्रा का कहना है कि जीएसटी में बदलाव से मुद्रास्फीति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। अधिक टैरिफ से निर्यात वृद्धि धीमी पड़ने की संभावना है।
RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा की स्पीच शुरू हो गई है। कुछ ही देर में ब्याज दरों, महंगाई और GDP से जुड़े आंकड़ों का ऐलान कर दिया जाएगा।
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