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US Tariffs: अमेरिकी टैरिफ का इंडियन इकनॉमी पर क्या होगा असर? RBI गवर्नर से समझिए

Upstox

3 min read | अपडेटेड August 06, 2025, 13:27 IST

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सारांश

US Tariffs: आज गवर्नर के भाषण के दौरान बढ़ते ग्लोबल ट्रेड टेंशन पर RBI गवर्नर की टिप्पणी फोकस में रही। हाल ही में टैरिफ की घोषणाओं और चल रही व्यापार वार्ताओं पर बात करते हुए गवर्नर मल्होत्रा ने कहा कि ये घटनाएं आगे चलकर भारत के विकास को प्रभावित कर सकते हैं।

RBI MPC

RBI MPC के सभी सदस्य रेपो रेट को 5.50 फीसदी पर बरकरार रखने के पक्ष में रहे।

US Tariffs: कई एक्सपर्ट्स ने यह उम्मीद जताई थी कि अमेरिकी टैरिफ से GDP को होने वाले संभावित नुकसान की भरपाई के लिए एक बार फिर ब्याज दरों में कटौती की जा सकती है। ब्याज दरों में कटौती से डिमांड को बढ़ावा मिलता। हालांकि, RBI MPC के सभी सदस्य रेपो रेट को 5.50 फीसदी पर बरकरार रखने के पक्ष में रहे। इसके पहले पिछली 3 बैठकों में रेपो रेट में 1 फीसदी की कटौती की गई है।

गवर्नर संजय मल्होत्रा ने आज 6 अगस्त को अपनी स्पीच में भारतीय अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी दी। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि ग्लोबल ट्रेड में हो रहे बदलावों का इंडियन इकनॉमी पर क्या असर पड़ सकता है।

अमेरिकी टैरिफ ग्रोथ के लिए चिंता की बात: गवर्नर

आज गवर्नर के भाषण के दौरान बढ़ते ग्लोबल ट्रेड टेंशन पर उनकी टिप्पणी फोकस में रही। हाल ही में टैरिफ की घोषणाओं और चल रही व्यापार वार्ताओं पर बात करते हुए गवर्नर मल्होत्रा ने कहा कि ये घटनाएं आगे चलकर भारत के विकास को प्रभावित कर सकते हैं।

उन्होंने कहा, "वर्तमान टैरिफ घोषणाओं और व्यापार वार्ताओं के बीच बाहरी डिमांड की संभावनाएं अनिश्चित बनी हुई हैं। लंबे समय से चल रहे जियो-पॉलिटिकल टेंशन, वैश्विक अनिश्चितताओं और ग्लोबल फाइनेंशियल मार्केट्स में अस्थिरता से उपजी प्रतिकूल परिस्थितियां विकास के लिए जोखिम पैदा करती हैं।"

उन्होंने आगे कहा कि भारत की घरेलू अर्थव्यवस्था में मजबूती दिख रही है, लेकिन टैरिफ जैसे वैश्विक व्यापार मुद्दे चुनौतियां ला सकते हैं। गवर्नर ने कहा, "विकास दर मजबूत है और पहले के अनुमानों के अनुसार ही है, हालांकि यह हमारी उम्मीदों से कम है। टैरिफ की अनिश्चितताएं अभी भी उभर रही हैं। मौद्रिक नीति का प्रभाव जारी है।"

विकास दर का अनुमान 6.5% पर बरकरार

अनिश्चितता के बावजूद RBI ने पूरे वर्ष 2025-26 के लिए अपने सकल घरेलू उत्पाद (GDP) विकास अनुमान को 6.5% पर बनाए रखा है। तिमाही अनुमान की बात करें तो पहली तिमाही के लिए 6.5%, दूसरी तिमाही के लिए 6.7%, तीसरी तिमाही के लिए 6.6% और चौथी तिमाही के लिए 6.3% हैं। RBI ने 2026-27 की पहली तिमाही के लिए भी 6.6% की विकास दर का अनुमान लगाया है।

गवर्नर ने कहा कि मुख्य मुद्रास्फीति में तेजी से गिरावट आई है, जिससे केंद्रीय बैंक को फिलहाल दरों में और कटौती रोकने की गुंजाइश मिली है। उन्होंने कहा, "मुख्य मुद्रास्फीति पहले के अनुमान से काफी कम है, जिसका मुख्य कारण खाने-पीने की चीजों, खासकर सब्जियों की कीमतों में उतार-चढ़ाव है। दूसरी ओर, कोर मुद्रास्फीति, जैसा कि अनुमान था, 4% के आसपास स्थिर बनी हुई है। इस वित्तीय वर्ष की अंतिम तिमाही से मुद्रास्फीति बढ़ने का अनुमान है।"

RBI ने इससे पहले फरवरी 2025 से ब्याज दरों में 100 बेसिस प्वॉइंट्स की कटौती की थी और गवर्नर ने कहा कि इन कटौतियों का असर व्यापक अर्थव्यवस्था में अभी भी महसूस किया जा रहा है। उन्होंने कहा, "फरवरी 2025 से ब्याज दरों में 100 आधार अंकों की कटौती का अर्थव्यवस्था पर असर अभी भी दिख रहा है।"

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