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Petrol-Diesel Price: OPEC+ ने बढ़ाया तेल उत्पादन, समझिए भारत में पेट्रोल-डीजल के दामों पर क्या होगा असर?

Upstox

3 min read | अपडेटेड October 07, 2025, 14:25 IST

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सारांश

OPEC+ ने नवंबर से रोजाना 1.37 लाख बैरल उत्पादन बढ़ाने का फैसला लिया है। हालांकि कीमतों पर बड़ा असर नहीं दिखा क्योंकि डिमांड सुस्ती और सप्लाई बढ़ने से ग्लोबल मार्केट दबाव में है। अब सवाल ये है कि क्या भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर इसका असर आने वाले हफ्तों में दिख सकता है?

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Petrol-Diesel की कीमतों पर दिखेगा असर?

Petrol-Diesel Price: OPEC+ की ओर से वैश्विक तेल बाजार से जुड़ी सबसे बड़ी खबर आई है। संगठन ने नवंबर से रोजाना 1.37 लाख बैरल कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने का निर्णय लिया है। यह बढ़ोतरी अनुमान से कम रही, जिसके चलते कीमतों पर फिलहाल बड़ा असर देखने को नहीं मिला। ब्रेंट क्रूड मामूली बढ़त के साथ $65.48 प्रति बैरल पर और अमेरिकी WTI $61.69 प्रति बैरल पर स्थिर रहा।

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ग्लोबल डिमांड और सप्लाई ग्लट की चिंता?

विश्लेषकों का मानना है कि इस समय दुनिया भर में मांग कमजोर हो रही है। अमेरिकी व्यापारिक नीतियों और वैश्विक आर्थिक सुस्ती से तेल खपत पर दबाव आ सकता है। वहीं, OPEC+ के साथ-साथ गैर-OPEC+ देशों ने भी उत्पादन बढ़ा दिया है, जिससे आने वाले महीनों में सप्लाई ग्लट यानी अधिशेष की आशंका और बढ़ रही है।

रूस-यूक्रेन तनाव और तेल सप्लाई

रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से भी बाजार में अस्थिरता बनी हुई है। रूस के किरीशी रिफाइनरी पर हालिया ड्रोन हमले से उत्पादन प्रभावित हुआ है। हालांकि इसे एक महीने में सामान्य होने की उम्मीद है, लेकिन इससे तेल सप्लाई चेन पर अनिश्चितता कायम है। यही कारण है कि तेल कीमतों में भारी गिरावट रोकने के लिए भू-राजनीतिक कारक एक सहारा बने हुए हैं।

भारत पर असर होगा?

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है और यहां पेट्रोल-डीजल की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार से सीधे प्रभावित होती हैं। कच्चे तेल की मौजूदा स्थिर कीमतों से संकेत मिलता है कि भारतीय उपभोक्ताओं को फिलहाल बड़ी राहत नहीं मिलेगी, लेकिन कीमतों में अचानक उछाल भी नहीं आएगा। यदि आने वाले महीनों में वैश्विक डिमांड और कमजोर होती है और सप्लाई अधिशेष रहता है, तो भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में स्थिरता या मामूली कमी संभव है।

भारत में पहले से ही ईंधन पर टैक्स का बड़ा हिस्सा वसूला जाता है। यदि वैश्विक कीमतें स्थिर रहती हैं या घटती हैं, तो सरकार को वित्तीय संतुलन साधने में मदद मिलेगी। वहीं उपभोक्ताओं को महंगाई से आंशिक राहत मिल सकती है। खासकर त्योहारों के मौसम में पेट्रोल-डीजल की कीमतें स्थिर रहना खुदरा महंगाई पर काबू पाने में भी सहायक होगा।

बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले महीनों में तेल की कीमतें मुख्य रूप से तीन कारकों पर निर्भर करेंगी. वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर, रूस-यूक्रेन युद्ध का असर और OPEC+ की भविष्य की उत्पादन रणनीति। यदि मांग कमजोर रहती है और उत्पादन लगातार बढ़ता है, तो भारत जैसे देशों को पेट्रोल-डीजल की कीमतों में राहत मिल सकती है। हालांकि किसी भी भू-राजनीतिक संकट या सप्लाई में बड़ी बाधा कीमतों को अचानक ऊपर भी ले जा सकती है।

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लेखकों के बारे में

Upstox
Upstox Hindi News Desk पत्रकारों की एक टीम है जो शेयर बाजारों, अर्थव्यवस्था, वस्तुओं, नवीनतम व्यावसायिक रुझानों और व्यक्तिगत वित्त को उत्साहपूर्वक कवर करती है।

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