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तो क्या महंगाई की चिंता अब नहीं? 14 महीने के सबसे निचले स्तर पर पहुंची थोक मूल्य मुद्रास्फीति

Upstox

2 min read | अपडेटेड June 16, 2025, 16:10 IST

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सारांश

खाने की चीजें, मैनुफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स और ईंधन की कीमतों में नरमी के बीच मई में थोक मूल्य मुद्रास्फीति (Wholesale Price Inflation, WIP) घटकर 14 महीने के निचले स्तर 0.39% आ गई। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि जियो पॉलिटिकल टेंशन के कारण कीमतें बढ़ सकती हैं।

थोक मूल्य मुद्रास्फीति

थोक मूल्य मुद्रास्फीति 14 महीने के सबसे निचले स्तर पर पहुंची

खाने की चीजें, मैनुफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स और ईंधन की कीमतों में नरमी के बीच मई में थोक मूल्य मुद्रास्फीति (Wholesale Price Inflation, WIP) घटकर 14 महीने के निचले स्तर 0.39% आ गई। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि जियो पॉलिटिकल टेंशन के कारण कीमतें बढ़ सकती हैं। थोक मूल्य सूचकांक (Wholesale Price Index, WPI) आधारित महंगाई अप्रैल में 0.85% और मई 2024 में 2.74% रही थी।

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उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘...मुख्य तौर पर खाने की चीजें, बिजली, अन्य विनिर्माण, रसायनों और रासायनिक उत्पादों, अन्य परिवहन उपकरणों और गैर-खाद्य वस्तुओं के विनिर्माण आदि की कीमतों में वृद्धि इसकी मुख्य वजह रही।’ थोक मूल्य सूचकांक के आंकड़ों के अनुसार, खाद्य वस्तुओं की कीमतों में मई में 1.56% की गिरावट देखी गई, जबकि अप्रैल में इनमें 0.86% की गिरावट आई थी। सब्जियों के दाम में भारी गिरावट आई। सब्जियां मई में 21.62% सस्ती हुईं जबकि अप्रैल में इनकी कीमतें 18.26% घटी थीं। मैनुफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स में मुद्रास्फीति 2.04% रही, जबकि अप्रैल में यह 2.62% थी।

ईंधन और बिजली में भी मई में मुद्रास्फीति 2.27% रही जबकि अप्रैल में यह 2.18% थी। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) मौद्रिक नीति तैयार करते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति पर गौर करता है। खुदरा मुद्रास्फीति मई में घटकर छह साल के निचले स्तर 2.82% पर आ गई, जिसका मुख्य कारण खाद्य कीमतों में नरमी रही। पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों में यह जानकारी मिली।

आरबीआई ने मुद्रास्फीति में नरमी के बीच इस महीने नीतिगत ब्याज दर में 0.50% की भारी कटौती कर इसे 5.50% कर दिया था। रेटिंग एजेंसी इक्रा के वरिष्ठ अर्थशास्त्री राहुल अग्रवाल ने कहा कि दक्षिण-पश्चिम मानसून के शीघ्र आगमन के बावजूद इसकी प्रगति जून की शुरुआत में ही रुक गई, जो 15 जून 2025 तक के सामान्य स्तर से 31% कम रही। मानसून का अस्थायी एवं स्थानिक वितरण फसल के पूर्वानुमान व परिणामस्वरूप खाद्य मुद्रास्फीति के लिए महत्वपूर्ण बना हुआ है।

उन्होंने कहा कि इजराइल और ईरान के बीच तनाव बढ़ने के बाद चालू महीने में कच्चे तेल की कीमतों में काफी तेजी से बढ़ोतरी हुई है। अग्रवाल ने कहा, ‘कच्चे तेल की ऊंची कीमतों के साथ-साथ अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में कुछ गिरावट से जून 2025 के लिए थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति पर दबाव बढ़ेगा, जिसके जून 2025 में 0.6-0.8% के आसपास रहने का अनुमान है।’ उद्योग मंडल पीएचडीसीसीआई ने कहा कि थोक मुद्रास्फीति में गिरावट से कारोबारी धारणा को बढ़ावा मिलेगा क्योंकि इससे उत्पादन की लागत कम होगी।

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Upstox Hindi News Desk पत्रकारों की एक टीम है जो शेयर बाजारों, अर्थव्यवस्था, वस्तुओं, नवीनतम व्यावसायिक रुझानों और व्यक्तिगत वित्त को उत्साहपूर्वक कवर करती है।

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