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4 min read | अपडेटेड November 14, 2025, 13:57 IST
सारांश
Mule Accounts: सीबीआई ने 8.5 लाख 'म्यूल अकाउंट' की पहचान की है, जो फ्रॉड के पैसे छिपाने में इस्तेमाल होते हैं। मुंबई में एक बैंक मैनेजर को भी ऐसे खाते खुलवाने में मदद करने के लिए गिरफ्तार किया गया है। जानें क्या हैं ये खाते और आप कैसे बच सकते हैं।

सीबीआई ने देश भर में 8.5 लाख म्यूल अकाउंट की पहचान की है।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने देश में चल रहे एक बड़े बैंकिंग फ्रॉड नेटवर्क पर शिकंजा कसा है। सीबीआई ने इस साल देश भर में 700 से ज्यादा बैंक ब्रांचों में 8.5 लाख से ज्यादा 'म्यूल अकाउंट' (Mule Accounts) की पहचान की है। इन खातों का इस्तेमाल साइबर अपराधी फ्रॉड के पैसे को इधर-उधर करने और छिपाने के लिए कर रहे थे। इसी सिलसिले में, सीबीआई ने 12 नवंबर को मुंबई में एक प्राइवेट बैंक के मैनेजर को भी गिरफ्तार किया है। इस मैनेजर पर पैसों के लालच में इन 'खच्चर' खातों को खुलवाने में मदद करने का आरोप है।
'म्यूल अकाउंट' या 'खच्चर खाता' एक ऐसा बैंक खाता होता है, जिसका इस्तेमाल अपराधी अवैध रूप से कमाए गए पैसे को लेने, ट्रांसफर करने या छिपाने के लिए करते हैं। 'म्यूल' (खच्चर) उस व्यक्ति को कहा जाता है जो अपना बैंक खाता इस काम के लिए इस्तेमाल होने देता है, और बदले में अक्सर कुछ कमीशन या पैसा लेता है। इन खातों का इस्तेमाल फाइनेंसियल फ्रॉड, ऑनलाइन चोरी, मानव तस्करी जैसे गंभीर अपराधों में किया जाता है। इससे अधिकारियों को पैसे के असली स्रोत और अपराधी तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है।
अपराधी पहले फिशिंग, लॉटरी फ्रॉड या ऑनलाइन चोरी जैसे तरीकों से पैसा जमा करते हैं। यह पैसा सीधे म्यूल अकाउंट में डाला जाता है। इसके बाद, जिसका यह खाता होता है (मनी म्यूल), वह इस पैसे को तुरंत दूसरे खाते में ट्रांसफर कर देता है। कई बार पैसे को पकड़ से बाहर करने के लिए, इसे एक म्यूल अकाउंट से दूसरे, फिर तीसरे, ऐसे कई खातों की चेन से गुजारा जाता है। आखिर में पैसा मुख्य अपराधी तक पहुंचता है। सीबीआई ने पाया है कि ज्यादातर मामलों में अपराधी एक म्यूल अकाउंट को सिर्फ एक बार इस्तेमाल करते हैं। पैसा आते ही उसे बांट दिया जाता है और फिर वह 'मदर अकाउंट' बंद कर दिया जाता है, जिससे अपराधी को पकड़ना बहुत मुश्किल हो जाता है।
कई बार लोग जानबूझकर थोड़े से कमीशन या पैसे के लालच में यह काम करते हैं। लेकिन ज्यादातर मामलों में आम लोगों को धोखे से फंसाया जाता है।
सीबीआई प्रवक्ता के मुताबिक, जांच में पता चला है कि ये 8.5 लाख खाते देश भर के 700 से ज्यादा ब्रांचों में खोले गए। इन खातों को या तो बिना सही केवाईसी (KYC Norms) के, या ग्राहक की उचित जांच (ड्यू डिलिजेंस) किए बिना ही खोल दिया गया। जांच में यह भी सामने आया कि जब सिस्टम द्वारा कुछ संदिग्ध लेनदेन (सस्पिशियस ट्रांजैक्शन) के अलर्ट जारी किए गए, तब भी इन बैंकों के ब्रांच मैनेजरों ने उन पर ध्यान नहीं दिया या जरूरी जांच नहीं की। मुंबई में गिरफ्तार मैनेजर भी अपने पद का दुरुपयोग करके इन खातों को खोलने में मदद कर रहा था।
यह ध्यान रखना जरूरी है कि अगर आपका खाता इस तरह के अवैध काम में इस्तेमाल होता है, तो भले ही आपको इसकी जानकारी न हो, फिर भी आपके खिलाफ जांच हो सकती है और आपको कानूनी परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। बैंक भी अब इस तरह की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसे टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहे हैं।
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