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4 min read | अपडेटेड August 28, 2025, 08:38 IST
सारांश
India-USA Tariff Talks: भारत और अमेरिका के बीच फिलहाल टैरिफ वार्ता स्थगित है, लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि जल्द ही दोनों देशों के बीच टैरिफ को लेकर चल रही टेंशन का उपयुक्त समाधान निकाल लिया जाएगा। चलिए समझते हैं कि भारत हाइ टैरिफ से निपटने के लिए क्या कुछ कर रहा है।
अमेरिका और भारत के बीच टैरिफ टेंशन कैसे होगी खत्म?
India-USA trade talks: भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड वार्ता का रास्ता खुला और दोनों देशों ने लॉन्ग-टर्म संबंधों को देखते हुए यह मुश्किल समय के साथ सुलझ जाएगी, सरकारी सूत्रों का ऐसा मानना है। इंडियन प्रोडक्ट्स पर 50% अमेरिकी टैरिफ बुधवार से लागू हो जोने के साथ इससे अरबों डॉलर का भारतीय एक्सपोर्ट खतरे में आ जाने के बीच यह बात कही गई है। सूत्रों ने कहा, ‘निर्यातकों को इससे घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि भारतीय एक्सपोर्ट की विविधता इस बढ़े हुए टैरिफ के प्रभाव को कम कर सकती है।’ उन्होंने यह भी कहा कि मौजूदा फाइनेंशियल ईयर के पहले चार महीनों में अमेरिका को भारत का निर्यात 21.64% की वृद्धि के साथ 33.53 अरब डॉलर रहा है। अगर यह रुझान आगे भी कायम रहता है, तो पिछले फाइनेंशियल ईयर के 86.5 अरब डॉलर की सालाना एक्सपोर्ट फंड को भी पार किया जा सकता है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस से तेल खरीद जारी रखने के जुर्माने के तौर पर इंडियन प्रोडक्ट्स पर 25% एडिशनल टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। यह टैरिफ 27 अगस्त से लागू होने के साथ ही कुल ड्यूटी भारतीय इंपोर्ट पर बढ़कर 50% हो चुकी है। अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने 'फॉक्स बिजनेस' के साथ बातचीत में भारत-अमेरिका संबंध को बेहद जटिल बताने के साथ ही उम्मीद जताई कि आखिरकार दोनों देश एक साथ आएंगे। बेसेंट ने कहा, ‘राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच व्यक्तिगत स्तर पर अच्छे संबंध हैं और यह केवल रूसी तेल का मामला नहीं है।’ इस बीच, सरकार ने निर्यातकों को सुरक्षा कवच देने के लिए कई कदम उठाने के संकेत दिए हैं। सूत्रों ने कहा कि वाणिज्य मंत्रालय इस सप्ताह केमिकल्स, रत्न-आभूषण जैसे सेक्टरों के प्रतिनिधियों के साथ समीक्षा बैठकें आयोजित कर रहा है। इसके अतिरिक्त, बजट 2025–26 में घोषित ‘एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन’ पर तेजी से काम हो रहा है।
एक अधिकारी ने कहा, ‘अगले दो-तीन दिनों में वाणिज्य मंत्रालय अलग-अलग सेक्टरों में निर्यात को बढ़ावा देने की योजनाओं पर संबंधित पक्षों से मुलाकात करेगा।’ दूसरी तरफ, सरकार ब्रिटेन, जापान, दक्षिण कोरिया जैसे 40 देशों में टेक्सटाइल एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए खास अभियान चलाने जा रही है। ये देश मिलकर 590 अरब डॉलर से अधिक कपड़ा और परिधान का आयात करते हैं, जबकि भारत की हिस्सेदारी महज 5-6% है। व्यापार संगठनों ने चिंता जताई है कि ये हाइ टैरिफ निर्यात की लागत को बढ़ाकर ग्लोबल मार्केट में भारतीय प्रोडक्ट्स की प्रतिस्पर्धात्मकता को कमजोर कर सकते हैं। इसकी वजह यह है कि बांग्लादेश और वियतनाम जैसे प्रमुख टेक्सटाइल एक्सपोर्टरों को कम टैरिफ का फायदा मिल रहा है।
परिधान निर्यात प्रोत्साहन परिषद (एईपीसी) के महासचिव मिथिलेश्वर ठाकुर ने कहा कि अमेरिका को 10.3 अरब डॉलर का निर्यात करने वाला टेक्सटाइल सेक्टर ट्रंप टैरिफ से सबसे अधिक प्रभावित होने वाला सेक्टर है। इसी तरह एक चमड़ा निर्यातक ने कहा कि अमेरिकी खरीदार पहले से दिए जा चुके ऑर्डर को बनाए रखने के लिए भी लगभग 20% तक की छूट मांग रहे हैं। शोध संस्थान 'ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इंस्टीट्यूट' के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने आगाह करते हुए कहा कि नए अमेरिकी टैरिफ से भारतीय निर्यात का 66% हिस्सा प्रभावित होगा। ऐसी स्थिति में वित्त वर्ष 2025-26 में भारत का अमेरिका को निर्यात घटकर 49.6 अरब डॉलर तक आ जाएगा।
निर्यात संगठनों ने सरकार से कर्ज चुकाने में सहूलियत, पीएलआई योजनाओं का विस्तार, कोल्ड स्टोरेज और लॉजिस्टिक ढांचे में निवेश और यूरोपीय संघ, खाड़ी देशों और अफ्रीका के साथ मुक्त व्यापार समझौतों पर तेजी से कदम उठाने की मांग रखी है। निर्यातक संगठनों के निकाय फियो ने कहा कि यह निर्यात जगत, रोजगार और ग्लोबल व्यापार संबंधों को सुरक्षा देने का समय है।
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