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3 min read | अपडेटेड December 01, 2025, 13:51 IST
सारांश
मौसमी रूप से समायोजित एचएसबीसी इंडिया विनिर्माण खरीद प्रबंधक सूचकांक (HSBC India Manufacturing Purchasing Managers’ Index, PMI) अक्टूबर के 59.2 से नवंबर में 56.6 पर आ गया। यह फरवरी के बाद से ऑपरेटिंग स्थितियों में सबसे धीमी गति का संकेत देता है।

पीएमआई डेटा से बढ़ी चिंता
भारत के मैनुफैक्चरिंग सेक्टर की गतिविधियां नवंबर में नौ महीने के निचले स्तर पर आ गईं। चुनौतीपूर्ण मार्केट स्थितियों की खबरों के बीच बिक्री और प्रोडक्शन में धीमी वृद्धि इसकी मुख्य वजह रही। सोमवार को जारी एक मासिक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई। मौसमी रूप से समायोजित एचएसबीसी इंडिया विनिर्माण खरीद प्रबंधक सूचकांक (HSBC India Manufacturing Purchasing Managers’ Index, PMI) अक्टूबर के 59.2 से नवंबर में 56.6 पर आ गया। यह फरवरी के बाद से ऑपरेटिंग स्थितियों में सबसे धीमी गति का संकेत देता है। खरीद प्रबंधक सूचकांक (Purchasing Managers' Index, PMI) की भाषा में 50 से ऊपर का अंक विस्तार जबकि 50 से नीचे का अंक संकुचन दर्शाता है।
एचएसबीसी के मुख्य भारत अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी ने कहा, ‘नवंबर के पीएमआई आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि अमेरिकी टैरिफ के कारण मैनुफैक्चरिंग विस्तार धीमा हुआ है।’ इसमें कहा गया कि कंपनियों ने हालांकि सुझाव दिया कि अंतरराष्ट्रीय बिक्री का रुझान अनुकूल बना हुआ है जो अफ्रीका, एशिया, यूरोप और पश्चिम एशिया में ग्राहकों को अधिक बिक्री को दर्शाता है। दूसरी ओर समग्र वृद्धि की गति में मामूली गिरावट आई है। नए निर्यात ऑर्डर औसतन एक साल से अधिक समय में सबसे कम गति से बढ़े हैं। कीमतों के मोर्चे पर नवंबर में मुद्रास्फीति की दर में कमी आई, जबकि कच्चे माल की लागत और बिक्री शुल्क क्रम से नौ और आठ महीनों में सबसे धीमी गति से बढ़े। रोजगार के मोर्चे पर, भारत में विनिर्माताओं ने नए ऑर्डर वृद्धि में मंदी के अनुरूप अपनी भर्ती और क्रय गतिविधियों को समायोजित किया। भंडारी ने कहा, ‘नए निर्यात ऑर्डर पीएमआई 13 महीने के निचले स्तर पर आ गए। भविष्य के उत्पादन की उम्मीदों के अनुसार, नवंबर में व्यावसायिक विश्वास में भारी गिरावट देखी गई, जो हो सकता है टैरिफ के प्रभाव को लेकर बढ़ती चिंताओं को दर्शाता है।’
28 नवंबर को, वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल ने कहा कि भारत को इसी साल अमेरिका के साथ एक रूपरेखा व्यापार समझौते पर पहुंचने की उम्मीद है, जिससे भारतीय निर्यातकों के लाभ के लिए टैरिफ के मुद्दे का समाधान हो जाएगा। दोनों देश लंबे समय से बातचीत कर रहे हैं, और द्विपक्षीय व्यापार समझौते का पहला चरण 2025 की शरद ऋतु तक होने की उम्मीद थी, लेकिन ट्रम्प प्रशासन द्वारा भारतीय निर्यात पर टैरिफ लगाने से बाधाएं पैदा हो गई हैं। यह कहते हुए कि द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) में समय लगेगा, अग्रवाल ने कहा कि भारत अमेरिका के साथ एक रूपरेखा व्यापार समझौते पर लंबी बातचीत कर रहा है जो भारतीय निर्यातकों के सामने आने वाली पारस्परिक टैरिफ चुनौती का समाधान करेगा।
भंडारी ने कहा, ‘वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में कटौती से प्राप्त प्रोत्साहन कम हो सकता है, और यह मांग पर टैरिफ की प्रतिकूलता को संतुलित करने के लिए अपर्याप्त हो सकता है।’ एचएसबीसी इंडिया विनिर्माण पीएमआई को एसएंडपी ग्लोबल ने करीब 400 कंपनियों के एक समूह में क्रय प्रबंधकों को भेजे गए सवालों के जवाबों के आधार पर तैयार किया है।
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