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Green Hydrogen: भारत का 2030 तक ग्लोबल हाइड्रोजन एक्सपोर्ट में 10% हिस्सेदारी हासिल करने का लक्ष्य, क्या है पूरा प्लान?

Upstox

3 min read | अपडेटेड August 19, 2025, 17:18 IST

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सारांश

राज्यमंत्री श्रीपद येसो नाइक ने कहा कि 5 राज्यों ने अपनी ग्रीन हाइड्रोजन नीतियों को पहले ही अधिसूचित कर दिया है और कई अन्य इस दिशा में सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। ये राज्य भूमि आवंटन को सुगम बना रहे हैं, जल उपलब्धता सुनिश्चित कर रहे हैं, रिन्यूएबल एनर्जी को बढ़ावा दे रहे हैं और विशेष रूप से हाइड्रोजन हब के विकास के माध्यम से इनोवेशन को बढ़ावा दे रहे हैं।

Green Hydrogen

Green Hydrogen: देश की नजर वैश्विक मांग का लगभग 10 फीसदी हिस्सा हासिल करने पर है।

Green Hydrogen: न्यू एड रिन्यूएबल एनर्जी के राज्यमंत्री श्रीपद येसो नाइक ने मंगलवार को कहा कि भारत 2030 तक ग्रीन हाइड्रोजन एक्सपोर्ट का ग्लोबल हब बनने का लक्ष्य लेकर चल रहा है। देश की नजर वैश्विक मांग का लगभग 10 फीसदी हिस्सा हासिल करने पर है। नाइक ने फिक्की ग्रीन हाइड्रोजन समिट 2025 को संबोधित करते हुए कहा कि 19 कंपनियों को 8.62 लाख टन वार्षिक हाइड्रोजन प्रोडक्शन कैपिसिटी प्रदान की गई है।
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नाइक ने कहा कि 5 राज्यों ने अपनी ग्रीन हाइड्रोजन नीतियों को पहले ही अधिसूचित कर दिया है और कई अन्य इस दिशा में सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। ये राज्य भूमि आवंटन को सुगम बना रहे हैं, जल उपलब्धता सुनिश्चित कर रहे हैं, रिन्यूएबल एनर्जी को बढ़ावा दे रहे हैं और विशेष रूप से हाइड्रोजन हब के विकास के माध्यम से इनोवेशन को बढ़ावा दे रहे हैं।

नाइक ने बताया कि क्वालिटी और सेफ्टी सुनिश्चित करने के लिए 100 से अधिक ग्रीन हाइड्रोजन स्टैंडर्ड और प्रोटोकॉल को अपनाया जा चुका है या उन पर काम जारी है। उन्होंने कहा, ‘‘हम भारत को न केवल एक प्रमुख उत्पादक, बल्कि ग्रीन हाइड्रोजन निर्यात का एक ग्लोबल हब भी बनाना चाहते हैं। इसका लक्ष्य वैश्विक मांग का लगभग 10 फीसदी हिस्सा हासिल करना है।’’

कई कंपनियां लागत प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने और वैश्विक बाजार में भारत को एक भरोसेमंद निर्यातक के रूप में स्थापित करने के लिए ग्लोबल पार्टनरशिप कर रही हैं। वैश्विक बाजार के 2030 तक 10 करोड़ टन से अधिक होने की संभावना है।

उन्होंने लक्ष्य प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहन और वित्तीय सुविधा प्रदान करने का संकेत देते हुए कहा, ‘‘इसके लिए हमें इनोवेशन जारी रखने, सर्टिफिकेशन और ट्रेडिंग प्रणाली को मजबूत करने, उठाव को निश्चित बनाने और परियोजना को व्यवहारिक बनाने के लिए फंडिंग, ग्रीन बॉन्ड और बहुपक्षीय बैंक सपोर्ट जैसे साधनों के माध्यम से ग्रनीन फाइनेंस का रास्ता खोलने की जरूरत होगी।’’

सरकार ने 2023 में 19,744 करोड़ रुपये के शुरुआती खर्च के साथ राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन की शुरुआत की। मंत्री ने कहा कि ग्रिड इंटीग्रेशन, स्टोरेज सॉल्यूशन, भूमि उपलब्धता और कॉस्ट कंपटीटिवनेस अहम मुद्दे बने हुए हैं। लेकिन इन चुनौतियों का समाधान संभव है।

उन्होंने कहा कि सोलर पीवी, ऑफशोर विंड और इलेक्ट्रोलाइजर एफिशिएंसी के क्षेत्र में, ग्रीन हाइड्रोजन की लागत पहले से ही कम हो रही है और आगे भी कम होती रहेगी। नाइक ने कहा, ‘‘हमने इस्पात, परिवहन और पोत परिवहन जैसे अहम क्षेत्रों में ग्रीन हाइड्रोजन के उपयोग की संभावनाओं का पता लगाने के लिए पायलट प्रोजेक्ट्स शुरू की हैं।’’

रिसर्च एंड डेवलपमेंट के तहत कुल 23 प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी गई है। साथ ही उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने के लिए 100 से अधिक प्रस्तावों का मूल्यांकन किया जा रहा है। मंत्री ने बताया, ‘‘हम भारत में ग्रीन हाइड्रोजन परीक्षण सुविधाएं भी स्थापित कर रहे हैं। इस संबंध में तीन प्रोजेक्ट्स पहले ही प्रदान की जा चुकी हैं।’’

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