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3 min read | अपडेटेड November 18, 2025, 16:30 IST
सारांश
रेटिंग एजेंसी इक्रा ने वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही के लिए जीडीपी के आंकड़े अनुमानित किए हैं। एजेंसी का कहना है कि जुलाई-सितंबर तिमाही में आर्थिक विकास दर घटकर 7 प्रतिशत रह सकती है, जो पिछली तिमाही में 7.8 प्रतिशत थी। इस गिरावट के पीछे सबसे बड़ा कारण सरकारी खर्च में कमी को बताया गया है।

India GDP: इक्रा ने कम सरकारी खर्च के चलते दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 7 फीसदी रहने का अनुमान जताया है।
भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार को लेकर रेटिंग एजेंसी इक्रा ने एक नया और अहम अनुमान जारी किया है। एजेंसी ने मंगलवार को जारी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वित्त वर्ष 2025-26 की जुलाई-सितंबर तिमाही में देश की सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी की वृद्धि दर में थोड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है। इक्रा के अनुमान के मुताबिक, दूसरी तिमाही में जीडीपी की ग्रोथ रेट घटकर 7 प्रतिशत रहने की संभावना है। अगर हम इसकी तुलना ठीक इससे पिछली तिमाही यानी अप्रैल-जून से करें, तो तब यह आंकड़ा 7.8 प्रतिशत था। यानी तिमाही आधार पर विकास दर में सुस्ती के संकेत मिल रहे हैं।
इक्रा ने अपनी रिपोर्ट में इस गिरावट के पीछे की मुख्य वजह भी बताई है। एजेंसी का कहना है कि सरकारी खर्च में आई कमी ने आर्थिक वृद्धि की रफ्तार को थोड़ा धीमा किया है। आमतौर पर सरकारी खर्च अर्थव्यवस्था को गति देने में एक बड़े इंजन का काम करता है, लेकिन इस बार इसमें वह तेजी नहीं दिखी जो पहली तिमाही में थी। इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने इस पर विस्तार से बात की है। उनका कहना है कि सरकारी खर्च में सालाना आधार पर कम बढ़ोतरी हुई है, जिसका सीधा असर वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में जीडीपी और जीवीए (सकल मूल्य वर्धन) की वृद्धि की गति पर पड़ा है। यही कारण है कि पहली तिमाही के मुकाबले दूसरी तिमाही के आंकड़े थोड़े कमजोर नजर आ रहे हैं।
भले ही कुल जीडीपी का आंकड़ा थोड़ा नीचे आता दिख रहा हो, लेकिन अर्थव्यवस्था के कुछ हिस्से अब भी पूरी मजबूती से खड़े हैं। इक्रा ने स्पष्ट किया है कि दूसरी तिमाही में सेवा क्षेत्र और कृषि क्षेत्र में कुछ गिरावट आ सकती है, लेकिन औद्योगिक क्षेत्र यानी इंडस्ट्री का प्रदर्शन शानदार रहने की उम्मीद है। विशेष रूप से मैन्यूफैक्चरिंग और निर्माण क्षेत्र में मजबूती बनी रहेगी। इसके अलावा, पिछले साल के बेस इफेक्ट का भी अनुकूल असर पड़ेगा, जिससे औद्योगिक गतिविधियों को बल मिलेगा।
अदिति नायर ने औद्योगिक क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन के पीछे कुछ ठोस कारण गिनाए हैं। उनका कहना है कि देश में त्योहारों की शुरुआत हो चुकी है, जिसके चलते कंपनियों ने अपना माल भंडार बढ़ाया है। इसके अलावा, जीएसटी को युक्तिसंगत बनाए जाने से भी मात्रा में वृद्धि हुई है। एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि अमेरिका को निर्यात की शुरुआत हुई है, जिसका फायदा शुल्क लगने से पहले भारतीय मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को मिल रहा है। इन सभी कारकों से विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा मिला है। इसी का नतीजा है कि चार तिमाहियों के अंतराल के बाद उद्योग की जीवीए वृद्धि, सेवा क्षेत्र से आगे निकलने की उम्मीद है।
अगर हम आंकड़ों की तुलना पिछले वित्त वर्ष से करें, तो तस्वीर थोड़ी राहत भरी नजर आती है। बीते वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में देश की आर्थिक वृद्धि दर 5.6 प्रतिशत रही थी। इस लिहाज से देखें तो इस साल का 7 प्रतिशत का अनुमान पिछले साल के मुकाबले काफी बेहतर स्थिति को दर्शाता है। कुल मिलाकर इक्रा का यह अनुमान बताता है कि भले ही सरकारी खर्च कम होने से थोड़ी सुस्ती आई हो, लेकिन देश का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए तैयार खड़ा है।
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