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2 min read | अपडेटेड March 03, 2025, 13:01 IST
सारांश
Manufacturing Sector Activity: HSBC के PMI के मुताबिक फरवरी में विनिर्माणक्षेत्र में विस्तार दर्ज किया गया लेकिन सेक्टर में ग्रोथ 14 महीने में सबसे कम रही। एक्सपोर्ट डिमांड, टेक्नॉलजी और नौकरियों में इजाफे के साथ सेक्टर ऊपर की ओर बढ़ा है। वहीं, कच्चे माल के स्टॉक में भी इजाफा हुआ है ताकि डिमांड को पूरा करने में रुकावट ना पैदा हो।
50 के ऊपर PMI दिखाता है मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में विस्तार।
भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में फरवरी के महीने में विस्तार देखा गया है। हालांकि, जनवरी से तुलना करने पर इसमें गिरावट नजर आती है। HSBC इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) जनवरी में 57.7 से गिरकर फरवरी में 56.3 पर आ गया। यह सूचकांक S&P Global जारी करता है।
इस सूचकांक का 50 से ऊपर होने दिखाता है कि निर्माणक्षेत्र में विस्तार तो हुआ है, भले ही रफ्तार में सुस्ती आई हो। रिपोर्ट में यह भी पता चला है कि बिक्री और आउटपुट की ग्रोथ 14 महीने के अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंची है। बावजूद इसके मांग मजबूत रही है जिसने टेक्नॉलजी के बेहतर होने और नए प्रॉजेक्ट्स के लॉन्च के साथ मिलकर सेक्टर को विस्तार दिया है।
HSBC के भारत में मुख्य अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी का भी कहना है कि दिसंबर 2023 के बाद से उत्पादन वृद्धि सबसे कमजोर स्तर पर आ गई है, लेकिन भारत के विनिर्माण क्षेत्र में कुल मिलाकर गति फरवरी में व्यापक रूप से सकारात्मक रही।
सर्वे में यह भी कहा गया कि फरवरी में नए निर्यात ऑर्डर में जोरदार वृद्धि हुई, क्योंकि निर्माताओं ने अपने माल की मजबूत वैश्विक मांग का लाभ उठाना जारी रखा। वहीं, नौकरी के मोर्चे पर भी, विनिर्माताओं ने फरवरी में अपने कर्मचारियों की संख्या में विस्तार करना जारी रखा।
यही नहीं, फरवरी में नौकरियां पैदा होने की रफ्तार जनवरी के बाद सर्वे के इतिहास में सबसे ज्यादा रही है। करीब 10% कंपनियों ने ज्यादा कर्मचारी हायर करने की बात कही जबकि सिर्फ 1% ने अपनी वर्कफोर्स कम की।
रिपोर्ट के मुताबिक व्यापार की स्थित में बेहतरी मैन्युफैक्चरिंग के तीनों सेगमेंट्स में देखी गई है। उपभोग वस्तुएं, इंटरमीडिएट गुड्स और निवेश की वस्तुएं, तीनों में विस्तार देखा गया है। वहीं, ग्रोथ रेट के पिछले महीने की तुलना में कमजोर होने के बावजूद इसका लॉन्ग-टर्म औसत से ज्यादा होना सकारात्मक संकेत देता है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि मैन्युफैक्चरर्स की परचेजिंग ऐक्टिविटी भी तेज हुई है। हालांकि, यह भी 14 महीने में सबसे कम रफ्तार पर रही। कंपनियों ने स्टॉक्स तैयार किए और सप्लाई का इंतजाम भी किया ताकि इनपुट की कमी ना हो। हालांकि, डिमांड को पूरा करने के लिए बन चुके उत्पादों के स्टॉक में गिरावट दर्ज की गई।
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