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  1. GST सुधार से महंगाई को कंट्रोल करने में कितनी मदद मिलेगी? सामने आई बड़ी जानकारी

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GST सुधार से महंगाई को कंट्रोल करने में कितनी मदद मिलेगी? सामने आई बड़ी जानकारी

Upstox

2 min read | अपडेटेड September 10, 2025, 13:14 IST

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सारांश

मूडीज ने कहा है कि GST सुधार परिवारों को सीधा फायदा देंगे और खपत बढ़ाने में मदद करेंगे। रिपोर्ट के मुताबिक टैक्स घटने से कीमतें कम होंगी जिससे महंगाई पर नियंत्रण पाना आसान होगा। हालांकि, सरकार की रेवेन्यू में 48,000 करोड़ रुपए तक की कमी हो सकती है।

GST

GST काउंसिल ने चार टैक्स स्लैब की जगह अब सिर्फ दो स्लैब करने का फैसला किया है।

भारत में हाल ही में GST सुधार को लेकर बड़ा कदम उठाया गया है। सरकार ने टैक्स स्लैब को कम करते हुए आम लोगों को राहत देने की कोशिश की है। अब मूडीज की रिपोर्ट आई है जिसमें कहा गया है कि यह सुधार महंगाई को कंट्रोल करने और खपत बढ़ाने में अहम रोल निभाएगा। हालांकि, इसका असर सरकार के रेवेन्यू पर नकारात्मक हो सकता है।

जीएसटी काउंसिल ने चार टैक्स स्लैब की जगह अब सिर्फ दो स्लैब करने का फैसला किया है। अब दरें 5% और 18% होंगी जबकि विलासिता की चीजों और तंबाकू जैसे उत्पादों पर 40% की विशेष दर लागू रहेगी। बाकी ज्यादातर वस्तुओं पर नई दरें 22 सितंबर से लागू हो जाएंगी।

मूडीज का क्या है अनुमान?

मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जीएसटी में की गई यह कटौती परिवारों के लिए फिस्कल सपोर्ट की तरह काम करेगी। फरवरी में इनकम टैक्स सीमा बढ़ाने का जो कदम उठाया गया था, यह सुधार उसी का पूरक माना जा सकता है। दोनों कदम मिलकर घरेलू उपभोग को बढ़ावा देंगे और आर्थिक गतिविधियों को तेज करेंगे।

महंगाई पर कैसा दिखेगा इसका असर

रिपोर्ट में कहा गया है कि टैक्स दरें घटने से सीधे तौर पर कीमतों में कमी आएगी। इससे महंगाई पर काबू पाने में मदद मिलेगी। आम परिवारों के लिए रोजमर्रा की चीजें सस्ती होंगी और उनकी क्रयशक्ति बढ़ेगी।

हालांकि, इस सुधार का एक नकारात्मक पहलू भी है। सरकार का अनुमान है कि जीएसटी दरों में कटौती से इस साल लगभग 48,000 करोड़ रुपए का रेवेन्यू घाटा होगा। वित्त वर्ष 2024-25 की तुलना में अब तक टैक्स कलेक्शन में केवल 0।8% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है जबकि पिछले साल यही वृद्धि 21।3% थी।

खर्च और घाटे की स्थिति

केंद्र सरकार का खर्च इस साल 20% से ज्यादा बढ़ गया है जिससे वित्तीय घाटा भी बढ़कर 4,700 अरब रुपए तक पहुंच गया है। हालांकि, यह खर्च मुख्य रूप से पूंजीगत खर्च की कमी को पूरा करने के लिए किया गया है। मूडीज का अनुमान है कि आने वाले महीनों में खर्च की गति धीमी होगी ताकि वित्तीय अनुशासन बनाए रखा जा सके।

(डिस्क्लेमर: यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना के लिए दी जा रही है। यहां बताना जरूरी है कि यह राय एक्सपर्ट्स के अपने हैं।)
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लेखकों के बारे में

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Upstox Hindi News Desk पत्रकारों की एक टीम है जो शेयर बाजारों, अर्थव्यवस्था, वस्तुओं, नवीनतम व्यावसायिक रुझानों और व्यक्तिगत वित्त को उत्साहपूर्वक कवर करती है।