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GST 2.0 से होगा ₹85000 करोड़ का रेवेन्यू लॉस, लेकिन खपत में ₹1.98 लाख करोड़ की वृद्धि की उम्मीद

Upstox

3 min read | अपडेटेड August 20, 2025, 14:15 IST

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सारांश

SBI रिसर्च की रिपोर्ट में कहा गया है कि GST में सुधार से रेवेन्यू में औसतन ₹85000 करोड़ का सालाना नुकसान हो सकता है, लेकिन इसकी भरपाई अधिक खपत और सेस एडजस्टमेंट से होने की संभावना है। इससे कंजप्शन में लगभग ₹1.98 लाख करोड़ की वृद्धि होने की उम्मीद है।

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SBI रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार की इस पहल से खपत में भारी बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।

GST 2.0: केंद्र सरकार टैक्स स्ट्रक्चर को सरल बनाने और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) में सुधार करने जा रही है। SBI रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार की इस पहल से खपत में भारी बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। रिपोर्ट के मुताबिक इससे रेवेन्यू में वृद्धि और महंगाई का दबाव कम होने का अनुमान है, जबकि राजकोषीय घाटे पर इसका न्यूनतम प्रभाव पड़ेगा।

SBI रिसर्च की रिपोर्ट में कहा गया है कि GST में सुधार से रेवेन्यू में औसतन ₹85000 करोड़ का सालाना नुकसान हो सकता है, लेकिन इसकी भरपाई अधिक खपत और सेस एडजस्टमेंट से होने की संभावना है। इससे कंजप्शन में लगभग ₹1.98 लाख करोड़ की वृद्धि होने की उम्मीद है।

सालाना ₹60,000 करोड़ से ₹1.1 लाख करोड़ तक का नुकसान का अनुमान

प्रधानमंत्री मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर GST सुधार का ऐलान किया था। इससे औसत GST दर 11.6% से घटकर 9.5% हो जाएगी। SBI रिसर्च ने दो परिदृश्यों का अध्ययन किया, जिसमें सरकार को सालाना ₹60,000 करोड़ से ₹1.1 लाख करोड़ तक का नुकसान हो सकता है। FY26 में यह घाटा घटकर करीब ₹45000 करोड़ तक रह जाएगा, क्योंकि शराब, तंबाकू जैसे ‘सिन गुड्स’ पर टैक्स 28% से बढ़ाकर 40% किया जा सकता है।

GST दर घटने से परिवारों की खपत बढ़ेगी। रिपोर्ट कहती है कि औसतन ₹85000 करोड़ का नुकसान होगा, लेकिन इसके बदले में खपत ₹1.98 लाख करोड़ बढ़ेगी। इनकम टैक्स कटौती मिलाकर कुल खपत ₹5.31 लाख करोड़ तक बढ़ेगी, यानी GDP का लगभग 1.6%। अतिरिक्त खर्च से सरकार को करीब ₹52,000 करोड़ GST की अतिरिक्त कमाई होगी, जिसे केंद्र और राज्यों में बराबर बांटा जाएगा।

महंगाई पर क्या होगा असर?

रिपोर्ट में कहा गया है कि CPI महंगाई भी थोड़ी घटेगी। जरूरी सामान जैसे खाना और कपड़ों पर टैक्स 12% से घटाकर 5% करने से महंगाई 20–25 आधार अंक तक कम हो सकती है। इस कैटेगरी में 10–15 आधार अंक की राहत मिलेगी।

फिस्कल डेफिसिट (राजकोषीय घाटा) पर भी ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। क्योंकि कंपनसेशन सेस फंड में ₹45000 करोड़ पहले से है और ज्यादा खपत से टैक्स वसूली भी बढ़ेगी। सितंबर में GST काउंसिल की बैठक होगी, जिसमें टैक्स दरों में बदलाव, सेस में सुधार और टैक्स अनुपालन आसान बनाने जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी।

GST जुलाई 2017 में लागू हुआ था ताकि अलग-अलग टैक्स की जगह एक टैक्स सिस्टम हो। अब GST 2.0 सुधारों का मकसद दर संरचना को और सरल बनाना और टैक्स प्रणाली को अधिक प्रभावी बनाना है।

क्या है सरकार का प्लान

वर्तमान में अलग-अलग सामानों पर 5%, 12%, 18% और 28% का GST लगता है। हालांकि, नई व्यवस्था में सिर्फ दो स्लैब 5% और 18% होंगे। 12% और 28% वाले बहुत से सामान अब 5% या 18% वाले स्लैब में चले जाएंगे। जैसे – पैक्ड फूड, एसी, वॉशिंग मशीन जैसी चीजें सस्ती हो सकती हैं। दूसरी तरफ तम्बाकू जैसे नुकसानदायक सामान पर 40% तक का टैक्स लगाने का विचार है। यानी सिगरेट, पान मसाला और शुगर ड्रिंक्स महंगे हो सकते हैं।

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Upstox Hindi News Desk पत्रकारों की एक टीम है जो शेयर बाजारों, अर्थव्यवस्था, वस्तुओं, नवीनतम व्यावसायिक रुझानों और व्यक्तिगत वित्त को उत्साहपूर्वक कवर करती है।

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