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3 min read | अपडेटेड October 23, 2025, 09:27 IST
सारांश
दिवाली के बाद सोने की कीमतों में भारी गिरावट आई है। 22 अक्टूबर को 24 कैरेट सोना ₹3,300 से ज्यादा सस्ता हो गया। अंतरराष्ट्रीय बाजार में मुनाफावसूली और अमेरिका-चीन के बीच ट्रेड डील की उम्मीद से कीमतों पर दबाव बढ़ा।

दिवाली के बाद सोने-चांदी की कीमतों में तेज गिरावट दर्ज की गई।
गुरुवार सुबह की तेजी के साथ कीमती धातुओं में भी मजबूती देखने को मिली। सोना 0.77% चढ़कर ₹1,22,801 प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया, जो पिछले सेशन से ₹944 अधिक है। वहीं चांदी में भी तेजी दर्ज की गई और यह ₹1,004 बढ़कर ₹1,46,562 प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई। सोना और चांदी दोनों में यह बढ़त वैश्विक बाजारों में मजबूत रुझान और घरेलू मांग में सुधार के संकेतों के कारण देखने को मिली।
रिटेल बाजार में क्या है हाल?
जो सोना दिवाली और धनतेरस पर रिकॉर्ड ऊंचाई पर बिक रहा था, वह एक ही दिन में हजारों रुपये सस्ता हो गया। चांदी की चमक भी इस गिरावट में फीकी पड़ गई।
बुधवार को बाजार खुलते ही सोने में तेज बिकवाली देखी गई। अलग-अलग रिपोर्ट्स के मुताबिक, 22 अक्टूबर को 24 कैरेट (999 शुद्धता) सोने का भाव ₹3,380 गिरकर ₹1,27,200 प्रति 10 ग्राम पर आ गया। यह हाल के समय की सबसे बड़ी एक दिन की गिरावटों में से एक है।
इसी तरह, ज्वैलरी के लिए इस्तेमाल होने वाले 22 कैरेट सोने की कीमत भी ₹3,100 घटकर ₹1,16,600 प्रति 10 ग्राम हो गई। 18 कैरेट सोना भी ₹2,540 सस्ता होकर ₹95,400 के स्तर पर कारोबार कर रहा था। सिर्फ सोना ही नहीं, चांदी की कीमतों में भी तेज गिरावट आई और यह भी सस्ती हो गई। वायदा बाजार (MCX) पर भी शाम के सत्र में भारी गिरावट देखी गई, जो अंतरराष्ट्रीय बाजारों के रुख को दिखा रहा था।
इस भारी गिरावट के पीछे सबसे बड़ा कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में मुनाफावसूली (Profit Booking) है। सोना सोमवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में $4,381 प्रति औंस के अपने ऑल-टाइम हाई (सर्वकालिक उच्च) स्तर पर पहुंच गया था। रिकॉर्ड तेजी के बाद निवेशकों ने बड़े पैमाने पर मुनाफा वसूलना शुरू कर दिया, जिससे बिकवाली का दबाव बन गया।
इसके अलावा, अमेरिका और चीन के बीच व्यापार तनाव कम होने की उम्मीदों ने भी सोने की 'सेफ हेवन' (Safe Haven) अपील को कम कर दिया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा चीन के साथ एक निष्पक्ष ट्रेड डील होने की उम्मीद जताने से निवेशकों का रुझान वापस जोखिम भरे निवेशों की तरफ बढ़ा। मजबूत होते डॉलर ने भी सोने की कीमतों पर अतिरिक्त दबाव डाला। घरेलू बाजार में भी दिवाली की त्योहारी मांग खत्म होने के बाद रिटेल खरीदारी सुस्त पड़ गई, जिसने गिरावट को और गहरा कर दिया।
सोने में इस बड़ी गिरावट के बाद निवेशकों के मन में सवाल है कि क्या सोने की तेजी का दौर खत्म हो गया है। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि यह एक करेक्शन (Correction) यानी सुधार है, न कि मंदी की शुरुआत। उनका कहना है कि सोना बहुत तेजी से भागा था, इसलिए यह मुनाफावसूली होना तय था।
भले ही कीमतें गिरी हैं, लेकिन सोना अभी भी पिछले साल की दिवाली की तुलना में 50% से 60% तक महंगा है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि जब तक वैश्विक बाजार में भू-राजनीतिक तनाव और आर्थिक अनिश्चितता बनी हुई है, तब तक सोने को निचले स्तरों पर सपोर्ट मिलता रहेगा। अब निवेशकों की नजर अमेरिकी महंगाई (CPI) के आंकड़ों पर है, जिससे यह तय होगा कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दरों पर अगला कदम क्या उठाता है। भारत में अब बाजार की नजरें शादियों के सीजन (Wedding Season) पर टिक गई हैं, जहां फिजिकल गोल्ड की मांग फिर से बढ़ सकती है।
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