return to news
  1. स्विगी या जोमैटो से एक गिग वर्कर की कितनी होती है कमाई? समझिए क्यों कर रहे 31 दिसंबर को महा-हड़ताल करने की तैयारी

बिजनेस न्यूज़

स्विगी या जोमैटो से एक गिग वर्कर की कितनी होती है कमाई? समझिए क्यों कर रहे 31 दिसंबर को महा-हड़ताल करने की तैयारी

Upstox

4 min read | अपडेटेड December 26, 2025, 12:46 IST

Twitter Page
Linkedin Page
Whatsapp Page

सारांश

ऑनलाइन डिलीवरी और कैब सेवाओं ने हमारी जिंदगी आसान बना दी है, लेकिन इन्हें चलाने वाले गिग वर्कर्स आज संघर्ष कर रहे हैं। कम कमाई, लंबे काम के घंटे और 10 मिनट डिलीवरी के दबाव के कारण ये वर्कर्स 31 दिसंबर को देशव्यापी हड़ताल पर जा रहे हैं। सर्वे के अनुसार, अधिकांश वर्कर्स की मासिक आय 15,000 रुपये से भी कम है।

Zomato gig workers

गिग वर्कर्स ने हड़ताल करने की ठान ली है।

आज के डिजिटल दौर में मोबाइल पर एक क्लिक करते ही खाना, राशन या कैब घर के दरवाजे पर हाजिर हो जाती है। इस आधुनिक सुविधा ने आम आदमी की जिंदगी को बहुत आसान बना दिया है, लेकिन इस चमक-धमक के पीछे उन लाखों लोगों का पसीना है जिन्हें हम गिग वर्कर्स कहते हैं। ये वर्कर्स अपनी मांगों को लेकर बीते 25 दिसंबर को हड़ताल कर चुके हैं और अब 31 दिसंबर को भी बड़े आंदोलन की तैयारी में हैं। मुख्य सवाल यह है कि जो लोग हमारी सुविधा के लिए दिन-रात एक करते हैं, उनके हालात इतने खराब क्यों हैं। असल में गिग वर्कर्स वे होते हैं जो किसी कंपनी में पक्के कर्मचारी नहीं होते, बल्कि एक स्वतंत्र ठेकेदार की तरह काम करते हैं। उन्हें लगता है कि उनके पास काम करने की आजादी है, लेकिन हकीकत में वे कंपनियों के कड़े नियमों और एल्गोरिदम के जाल में फंसे हुए हैं।

Open FREE Demat Account within minutes!
Join now

काम के घंटों का कोई हिसाब नहीं

पीपल्स एसोसिएशन इन ग्रासरूट्स एक्शन एंड मूवमेंट्स और इंडियन फेडरेशन के सर्वे के मुताबिक, गिग वर्कर्स के काम करने का कोई तय समय नहीं है। जहां एक सामान्य दफ्तर में 8-9 घंटे काम होता है, वहीं ये डिलीवरी पार्टनर्स और ड्राइवर दिन में 10 से 14 घंटे तक काम करने को मजबूर हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि अनुसूचित जाति और जनजाति से आने वाले वर्कर्स की स्थिति और भी खराब है, क्योंकि उनमें से 60 प्रतिशत से ज्यादा लोग 14 घंटे से अधिक समय तक सड़कों पर रहते हैं। इतनी मेहनत के बाद भी उन्हें वह सम्मान और सुरक्षा नहीं मिल पाती जिसके वे हकदार हैं। यही वजह है कि अब वे नौकरी की सुरक्षा और बेहतर कार्य परिस्थितियों की मांग कर रहे हैं।

कमाई और खर्च का बिगड़ता गणित

कमाई की बात करें तो आंकड़े बेहद डराने वाले हैं। रिपोर्ट बताती है कि लगभग 43 प्रतिशत गिग वर्कर्स दिन भर की भागदौड़ और खर्च काटने के बाद 500 रुपये भी नहीं बचा पाते। महीने भर की उनकी कुल कमाई 15,000 रुपये से भी कम रह जाती है। इसमें से 34 प्रतिशत लोग तो ऐसे हैं जो महीने में 10,000 रुपये का आंकड़ा भी नहीं छू पाते। शहरों में बढ़ती महंगाई के बीच इतनी कम रकम में परिवार पालना नामुमकिन सा हो गया है। करीब 76 प्रतिशत डिलीवरी पार्टनर्स ने स्वीकार किया है कि उन्हें अपना घर चलाने में भारी परेशानी हो रही है और कई लोग तो अपनी कमाई से ज्यादा खर्च होने के कारण कर्ज के बोझ तले दबते जा रहे हैं।

कमीशन और सुरक्षा की अनदेखी

कंपनियों के कमीशन को लेकर भी वर्कर्स में काफी नाराजगी है। कंपनियां दावा करती हैं कि वे केवल 20 प्रतिशत हिस्सा काटती हैं, लेकिन ड्राइवरों का कहना है कि असलियत में हर राइड पर उनकी कमाई से 31 से 40 प्रतिशत तक हिस्सा काट लिया जाता है। इसके अलावा 10 मिनट में डिलीवरी देने वाली नई नीतियों ने उनकी जान को जोखिम में डाल दिया है। जल्दी पहुंचने के चक्कर में वे शारीरिक रूप से थक जाते हैं और सड़क हादसों का शिकार हो जाते हैं। कंपनियों की ओर से उन्हें कोई एक्सीडेंट इंश्योरेंस या पर्याप्त मेडिकल कवर भी नहीं मिलता है।

प्लेटफार्म की मनमानी है कारण?

रिपोर्ट में कहा गया है कि गिग वर्कर्स को केवल आर्थिक ही नहीं, बल्कि मानसिक परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है। बिना किसी ठोस कारण के उनकी आईडी ब्लॉक कर दी जाती है, जिससे उनकी कमाई का जरिया रातों-रात छिन जाता है। इसके अलावा ग्राहकों के बुरे बर्ताव और तकनीकी खराबियों के कारण भी उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है। इन तमाम मुद्दों पर कंपनियों की ओर से कोई सुनवाई नहीं होती है। इन्हीं सब कारणों से तंग आकर अब इन वर्कर्स ने 31 दिसंबर को महा-हड़ताल का फैसला किया है ताकि सरकार और कंपनियां उनकी आवाज सुन सकें और उनके भविष्य को सुरक्षित बनाने के लिए कड़े कदम उठाएं।

मार्केट में हलचल?
स्मार्ट टूल्स के साथ आगे बढ़ें
promotion image

लेखकों के बारे में

Upstox
Upstox Hindi News Desk पत्रकारों की एक टीम है जो शेयर बाजारों, अर्थव्यवस्था, वस्तुओं, नवीनतम व्यावसायिक रुझानों और व्यक्तिगत वित्त को उत्साहपूर्वक कवर करती है।

अगला लेख