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3 min read | अपडेटेड August 07, 2025, 14:14 IST
सारांश
India-USA Tariff Talks: उद्योग जगत के एक्सपर्ट्स ने चेताते हुए कहा नया अमेरिकी टैरिफ, कपड़ा, रत्न और आभूषण, झींगा, चमड़ा, जूते और रसायन सहित प्रमुख भारतीय इंपोर्ट सेक्टर्स पर गंभीर असर डालेगा।
भारत-अमेरिका टैरिफ विवाद
भारत पर अमेरिका ने 25% अतिरिक्त टैरिफ का ऐलान किया और पहले से 25% टैरिफ लगा हुआ था, जिसका मतलब अमेरिका ने भारत से आयातित होने वाली चीजों पर कुल 50% का टैरिफ ठोक दिया है। अब सवाल यह उठता है कि अमेरिका के फैसले के बाद भारत में किन सेक्टर्स पर सबसे ज्यादा असर पड़ने वाला है? उद्योग जगत के एक्सपर्ट्स ने चेताते हुए कहा नया अमेरिकी टैरिफ, कपड़ा, रत्न और आभूषण, झींगा, चमड़ा, जूते और रसायन सहित प्रमुख भारतीय इंपोर्ट सेक्टर्स पर गंभीर असर डालेगा। टैरिफ में यह बढ़ोतरी, जो 27 अगस्त से मौजूदा 25% टैरिफ को बढ़ाकर 50% कर देती है, दरअसल अमेरिका ने भारत पर अतिरिक्त 25% टैरिफ जुर्माने के तौर पर लगाया है, जो उसे रूस से तेल खरीदने के चलते भरना होगा।
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) का अनुमान है कि टैरिफ भारत के अमेरिका-आधारित निर्यात में 40-50% की कमी ला सकते हैं, जिससे भारतीय उत्पाद काफी महंगे हो जाएंगे।
ऑर्गेनिक केमिकल्स (54%)
कालीन (52.9%)
बुने हुए कपड़े (Knitted apparel) (63.9%)
बुने हुए कपड़े (Woven apparel) (60.3%)
टेक्सटाइल (59%)
हीरे और सोने के प्रोडक्ट्स (52.1%)
मशीनरी (51.3%)
फर्नीचर (52.3%)
2024-25 में, अमेरिका-भारत द्विपक्षीय व्यापार 131.8 अरब डॉलर तक पहुंच गया था, जिसमें भारत 86.5 अरब डॉलर मूल्य की वस्तुओं का निर्यात किया, जिसमें वस्त्र और परिधान ($10.3 अरब), रत्न और आभूषण ($12 अरब), झींगा ($2.24 अरब), चमड़ा और जूते ($1.18 अरब), रसायन ($2.34 अरब), और मशीनरी ($9 अरब) शामिल रहे। कोलकाता स्थित समुद्री खाद्य निर्यातक मेगा मोडा के प्रबंध निदेशक योगेश गुप्ता ने कहा कि टैरिफ भारतीय झींगा को अप्रतिस्पर्धी बना देंगे, उन्होंने बताया कि इस सेक्टर पर पहले से ही 2.49% एंटी-डंपिंग ड्यूटी और 5.77% प्रतिकारी ड्यूटी लगती है। गुप्ता ने कहा, ‘हमें पहले से ही इक्वाडोर से भारी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि उस पर केवल 15% टैरिफ है। भारतीय झींगा पर पहले से ही 2.49% एंटी-डंपिंग शुल्क और 5.77% प्रतिकारी ड्यूटी लगती है। इस 25% के बाद, टैरिफ 33.26% हो जाएगा।’ भारतीय वस्त्र उद्योग परिसंघ (CITI) ने गहरी चिंता व्यक्त करते हुए इस टैरिफ को भारत के कपड़ा और परिधान निर्यातकों के लिए एक बड़ा झटका बताया, जो अमेरिका को अपना सबसे बड़ा बाजार मानते हैं। इसने उस चुनौतीपूर्ण स्थिति को और जटिल बना दिया है जिससे हम पहले से ही जूझ रहे थे और अमेरिकी बाजार में बड़े हिस्से के लिए कई अन्य देशों के साथ प्रभावी ढंग से प्रतिस्पर्धा करने की हमारी क्षमता को काफी कमजोर कर देगा।
कामा ज्वेलरी के प्रबंध निदेशक कॉलिन शाह ने टैरिफ को एक गंभीर झटका बताया, जिससे भारत के 55% अमेरिकी निर्यात प्रभावित होंगे। उन्होंने चेतावनी दी कि कम टैरिफ वाले देशों की तुलना में 30-35% प्रतिस्पर्धात्मक नुकसान निर्यातकों, खासतौर से छोटे और मध्यम उद्यमों को ग्राहकों को खोने के लिए मजबूर कर सकता है, क्योंकि खरीदार उच्च लागत के कारण सोर्सिंग का पुनर्मूल्यांकन करते हैं। भारत और अमेरिका के बीच एक अंतरिम व्यापार समझौते पर बातचीत अभी भी जारी है, हालांकि, कृषि वस्तुओं, डेयरी और आनुवंशिक रूप से संशोधित (genetically modified, GM) प्रोडक्ट्स पर शुल्क रियायतों के बारे में लाल रेखाओं पर कोई समझौता होने की संभावना नहीं है।
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