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FY26 के लिए भारत का जीडीपी ग्रोथ अनुमान फिच ने बढ़ाकर किया 7.4%, क्यों हुआ ऐसा, क्या हैं इसके मायने?

Upstox

3 min read | अपडेटेड December 04, 2025, 12:25 IST

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सारांश

जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाए जाने के तहत लगभग 375 वस्तुओं पर टैक्स की दरें कम की गई है। इससे 99% से अधिक उपभोग की वस्तुएं सस्ती हुई हैं। जीएसटी में संशोधित दरें 22 सितंबर से प्रभावी हुई हैं। फिच को उम्मीद है कि फाइनेंशियल ईयर 2026-27 में जीडीपी वृद्धि दर धीमी होकर 6.4% रहेगी।

भारतीय अर्थव्यवस्था

फिच ने FY26 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि अनुमान को बढ़ाकर 7.4% किया

रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स ने गुरुवार को मौजूदा फाइनेंशियल ईयर के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि अनुमान को 6.9% से बढ़ाकर 7.4% कर दिया। मुख्य रूप से उपभोक्ता खर्च में वृद्धि और जीएसटी सुधारों के साथ बेहतर धारणा के कारण वृद्धि अनुमान को बढ़ाया गया है। फिच ने कहा कि घटती मुद्रास्फीति भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को दिसंबर में नीतिगत दरों में एक और कटौती करके इसे 5.25% पर लाने गुंजाइश देती है। आरबीआई इस साल अब तक मुख्य नीतिगत दर रेपो में 1% की कटौती कर चुका है। उसने कहा कि जुलाई-सितंबर तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर बढ़कर 8.2% हो गई, जो इससे पिछली अप्रैल-जून तिमाही के 7.8% थी।

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रेटिंग एजेंसी ने दिसंबर के लिए अपनी ग्लोबल इकोनॉमिक आउटलुक में कहा, ‘फाइनेंशियल ईयर 2025-26 (मार्च के अंत तक) के बचे पीरियड में वृद्धि धीमी रहेगी, लेकिन हमने पूरे साल के लिए आर्थिक वृद्धि अनुमान को सितंबर के 6.9% से बढ़ाकर 7.4% कर दिया है।’ इस साल वृद्धि को मुख्य रूप से निजी उपभोक्ता खर्च गति दे रहा है। इसका कारण मजबूत वास्तविक आय गतिशीलता, उपभोक्ता धारणा में सुधार और हाल ही में लागू किए गए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) सुधारों का प्रभाव है।

जीएसटी संशोधन से क्या कुछ बदला?

जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाए जाने के तहत लगभग 375 वस्तुओं पर टैक्स की दरें कम की गई है। इससे 99% से अधिक उपभोग की वस्तुएं सस्ती हुई हैं। जीएसटी में संशोधित दरें 22 सितंबर से प्रभावी हुई हैं। फिच को उम्मीद है कि फाइनेंशियल ईयर 2026-27 में जीडीपी वृद्धि दर धीमी होकर 6.4% रहेगी। इसने अनुमान लगाया है कि वित्तीय स्थिति में सुधार के साथ अगले फाइनेंशियल ईयर (2026-27) की दूसरी छमाही में निजी निवेश में तेजी आएगी।

फिच को उम्मीद एक और रेपो रेट कट की

खाने-पीने की चीजों की कम कीमतों के कारण अक्टूबर में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 0.3% के अबतक के सबसे निचले स्तर पर आ गई। फिच ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि घटती मुद्रास्फीति भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को दिसंबर में नीतिगत दर में एक और कटौती करके इसे 5.25 प्रतिशत करने की गुंजाइश देगी...।’ आरबीआई शुक्रवार को अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा करेगा। फिच के अनुसार, मुख्य मुद्रास्फीति में सुधार और गतिविधियों के मजबूत बने रहने के अनुमान के साथ आरबीआई नीतिगत दर में कटौती के उच्चतम स्तर तक पहुंच गया है और अगले दो साल तक नीतिगत दर 5.25% पर बनी रहेगी।

PTI इनपुट के साथ
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Upstox Hindi News Desk पत्रकारों की एक टीम है जो शेयर बाजारों, अर्थव्यवस्था, वस्तुओं, नवीनतम व्यावसायिक रुझानों और व्यक्तिगत वित्त को उत्साहपूर्वक कवर करती है।

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