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3 min read | अपडेटेड December 30, 2025, 10:51 IST
सारांश
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक कुल मिलाकर बैंकिंग सिस्टम में कर्मचारियों की संख्या में वृद्धि मुख्य रूप से लघु वित्त बैंकों द्वारा की गई भर्तियों के कारण हुई।

आरबीआई ने बैंकों को लेकर अहम डेटा किए शेयर
फाइनेंशियल ईयर 2024-25 में प्राइवेट सेक्टर के बैंकों में कुल कर्मचारियों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई। दूसरी ओर इसी पीरियड में सरकारी बैंकों में यह आंकड़ा मामूली रूप से बढ़ा। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक कुल मिलाकर बैंकिंग सिस्टम में कर्मचारियों की संख्या में वृद्धि मुख्य रूप से लघु वित्त बैंकों द्वारा की गई भर्तियों के कारण हुई। इस पीरियड में पब्लिक सेक्टर के बैंकों में कर्मचारियों की संख्या बढ़कर 7,57,641 हो गई, जो इससे एक साल पहले 7,56,015 थी। वहीं, प्राइवेट सेक्टर के बैंकों में कर्मचारियों की संख्या फाइनेंशियल ईयर 2023-24 के 8,45,407 से घटकर फाइनेंशियल ईयर 2024-25 में 8,38,150 रह गई।
आरबीआई ने कहा कि बैंकिंग सिस्टम में कुल कर्मचारियों की संख्या बढ़कर 18.08 लाख हो गई, जो एक साल पहले 17.87 लाख थी। इसमें लघु वित्त बैंकों में करीब 16,000 कर्मचारियों की बढ़ोतरी का अहम योगदान रहा और इनके कुल कर्मचारियों की संख्या बढ़कर 1.77 लाख हो गई। इसी पीरियड में भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) में कर्मचारियों की कुल संख्या बढ़कर 2,36,226 हो गई, जो इससे एक साल पहले 2,32,296 थी। आईसीआईसीआई बैंक में कर्मचारियों की संख्या 1,41,009 से घटकर 1,30,957 रह गई।
आरबीआई ने छोटी राशि के कर्ज देने वाले वित्त संस्थानों से अपने ऋण बही-खाते में दबाव बनने पर नजर रखने को कहा है। फाइनेंशियल ईयर 2024-25 के लिए ‘बैंकिंग में रुझान और प्रगति’ रिपोर्ट में आरबीआई ने कहा कि चालू फाइनेंशियल ईयर में दक्षिणी राज्यों में ऋण वितरण कम रहा। यह रिपोर्ट कर्नाटक और तमिलनाडु में उद्योग को प्रभावित करने वाले कई कदमों के बीच आई है। इसके मुताबिक प्रदर्शन में सुधार के लिए उद्योग ने कई कदम उठाए हैं और साथ ही 'विनियमित इकाइयों को इस खंड में आगे चलकर दबाव बनने पर निगरानी रखने की आवश्यकता है।' पिछली कुछ तिमाहियों में ऋणदाताओं को सूक्ष्म वित्त खंड में चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, जिसका कारण उधारकर्ताओं पर अत्यधिक कर्ज का बोझ रहा। इसके चलते उद्योग ने मिलकर कुछ सुरक्षा उपाय अपनाए, जिनमें एक ही उधारकर्ता को दिए जाने वाले ऋणों की संख्या सीमित करना भी शामिल है।
आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, स्व-नियामक संगठनों माइक्रोफाइनेंस इंस्टीट्यूशंस नेटवर्क (एमएफआईएन) और सा-धन ने इन सुरक्षा उपायों को लागू किया है, जिसका उद्देश्य इस सेक्टर में स्थिर और संतुलित वृद्धि को प्राथमिकता देना है। आरबीआई ने कहा कि 2022 में सूक्ष्म वित्त ऋणों के लिए नियामकीय ढांचे में किए गए उसके संशोधनों ने इस क्षेत्र में प्रणालीगत और टिकाऊ वृद्धि की नींव रखी। केंद्रीय बैंक ने यह भी कहा कि यह ढांचा वित्तीय समावेश को आगे बढ़ाने के एक प्रभावी साधन के रूप में कार्य करते हुए सामाजिक समानता और सशक्तीकरण को बढ़ावा देता है।
पैसे निकालने के लिए इस्तेमाल होने वाली एटीएम की संख्या में FY2024-25 के दौरान हल्की गिरावट आई जबकि बैंक ब्राजेंज में बढ़ोतरी दर्ज की गई। रिपोर्ट के मुताबिक, देशभर में मार्च, 2025 तक कुल 2,51,057 एटीएम एक्टिव थे, जबकि एक साल पहले यह आंकड़ा 2,53,417 था।
प्राइवेट सेक्टर के बैंकों के एटीएम नेटवर्क में तुलनात्मक रूप से अधिक गिरावट आई है। प्राइवेट बैंकों के एटीएम साल भर पहले के 79,884 से घटकर 77,117 रह गए। वहीं पब्लिक सेक्टर के बैंकों के एटीएम 1,34,694 से घटकर 1,33,544 रह गए। रिपोर्ट कहती है, ‘एटीएम की संख्या घटने के पीछे डिजिटलीकरण के बढ़ते कदम और दोनों तरह के बैंकों द्वारा एटीएम की बंदी मुख्य कारण रहे।’ हालांकि इसी दौरान स्वतंत्र रूप से संचालित व्हाइट लेबल एटीएम की संख्या बढ़कर 36,216 हो गई।
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