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China curbs rare earth exports: Suzuki ने रोका Swift का प्रोडक्शन, कई ऑटो कंपनियों पर संकट

Upstox

3 min read | अपडेटेड June 05, 2025, 15:20 IST

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सारांश

Rare earth exports: वर्ष 2023 में चीन दुनिया के लगभग 70 फीसदी रेयर अर्थ मेटल्स और 90 फीसदी रेयर अर्थ मैग्नेट की मैन्युफैक्चरिंग करता है। अप्रैल में नए नियंत्रण लागू करने के बाद से चीन ने निर्यात लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया को धीमा कर दिया है।

Rare earth exports

Rare earth exports: भारतीय ऑटो कंपनियों के पास रेयर अर्थ मैग्नेट्स का सिर्फ एक महीने का स्टॉक बचा है।

China curbs rare earth exports: जापान की सुजुकी मोटर (Suzuki Motor) ने घरेलू प्लांट्स में अपनी Swift कॉम्पैक्ट कार के अधिकांश मॉडलों का प्रोडक्शन रोक दिया है। इसका कारण चीन की ओर से रेयर अर्थ मेटल्स के निर्यात पर लगी पाबंदी है। बिजनेस डेली निक्केई एशिया ने आज गुरुवार को यह जानकारी दी। चीन के प्रतिबंधों से जापानी ऑटोमेकर को यह पहला सीधा झटका है।

एक्सपर्ट्स की मानें तो आगे इसकी वजह से और बड़ी दिक्कतें पैदा हो सकती हैं। इसका असर में भारत की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री पर भी दिख सकता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक भारतीय ऑटो कंपनियों के पास रेयर अर्थ मैग्नेट्स का सिर्फ एक महीने का स्टॉक बचा है।

स्विफ्ट स्पोर्ट मॉडल का प्रोडक्शन जारी

स्विफ्ट के प्रोडक्शन पर यह रोक 26 मई को शुरू हुई और 6 जून तक जारी रहेगी। हालांकि, स्विफ्ट स्पोर्ट मॉडल का प्रोडक्शन जारी है। सुजुकी ने आधिकारिक तौर पर इसका कारण नहीं बताया। हालांकि, रिपोर्ट बताती है कि यह कदम चीन से पार्ट्स आने में देरी के चलते उठाया गया है।

वर्ष 2023 में चीन दुनिया के लगभग 70 फीसदी रेयर अर्थ मेटल्स और 90 फीसदी रेयर अर्थ मैग्नेट की मैन्युफैक्चरिंग करता है। अप्रैल में नए नियंत्रण लागू करने के बाद से चीन ने निर्यात लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया को धीमा कर दिया है। ये उपाय अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा चीनी वस्तुओं पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाए जाने के जवाब में किए गए हैं।

Ford, Mercedes-Benz भी प्रभावित

यह सिर्फ जापान तक सीमित नहीं है। Ford ने अमेरिका में अपनी Explorer SUV का प्रोडक्शन रोक दिया है। Mercedes-Benz और BMW जैसी कंपनियां भी प्रभावित हो रही हैं। Mercedes अपने जरूरी पार्ट्स को स्टॉक करने पर विचार कर रही है। BMW ने माना कि उनकी सप्लाई चेन पहले से ही प्रभावित हो रही है।

हालांकि ये कंपनियां सीधे रेयर अर्थ मेटल्स नहीं खरीदतीं, लेकिन उनके सप्लायर्स इनका इस्तेमाल इलेक्ट्रिक मोटर व हाइब्रिड सिस्टम में करते हैं। इसलिए ये कंपनियां भी इस संकट से अछूती नहीं हैं।

इस संकट को देखते हुए जापान अमेरिका के साथ मिलकर रेयर अर्थ सप्लाई चेन पर सहयोग बढ़ाने का प्रस्ताव रखने जा रहा है। यह प्रस्ताव आगामी टैरिफ वार्ताओं में रखा जा सकता है।

भारत पर क्या है असर?

भारत में इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स ने अधिकारियों को रेयर अर्थ मैग्नेट्स की उपलब्धता में तेजी से कमी आने के बारे में चेतावनी दी है। उन्होंने चेतावनी दी है कि जब तक चीन से आयात तेजी से शुरू नहीं होता, तब तक कई इलेक्ट्रिक और ICE व्हीकल फैक्ट्री में उत्पादन बंद हो सकता है।

भारत जल्द ही एक उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल चीन भेजेगा, जिसमें SIAM और ACMA जैसे ऑटोमोबाइल संगठनों के सदस्य शामिल होंगे। यह टीम चीन में अधिकारियों से बातचीत कर इन खनिजों के एक्सपोर्ट को फिर से शुरू करवाने की कोशिश करेगी।

रेयर अर्थ मेटल्स क्या होते हैं?

ये खनिज इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) में मजबूत और हल्के मोटर बनाने में काम आते हैं। इनसे बनी मैग्नेट्स — जैसे neodymium, dysprosium, terbium — मोटर को छोटा, हल्का और ज्यादा प्रभावी बनाते हैं। इससे EV की रेंज और परफॉर्मेंस बेहतर होती है। पेट्रोल-डीजल कारों (ICE) में भी ये खनिज कैटेलिटिक कन्वर्टर्स, सेंसर, और डिस्प्ले सिस्टम में इस्तेमाल होते हैं।

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लेखकों के बारे में

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Upstox Hindi News Desk पत्रकारों की एक टीम है जो शेयर बाजारों, अर्थव्यवस्था, वस्तुओं, नवीनतम व्यावसायिक रुझानों और व्यक्तिगत वित्त को उत्साहपूर्वक कवर करती है।