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  1. निर्यातकों के लिए सरकार की सौगात, क्रेडिट गारंटी स्कीम और EPM से कैसे बनेगी बात? यहां समझें फायदे

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निर्यातकों के लिए सरकार की सौगात, क्रेडिट गारंटी स्कीम और EPM से कैसे बनेगी बात? यहां समझें फायदे

Upstox

4 min read | अपडेटेड November 13, 2025, 09:43 IST

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सारांश

25,060 करोड़ रुपये के निर्यात संवर्धन मिशन (Export Promotion Mission, EPM) का उद्देश्य खासतौर से एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम), पहली बार निर्यात करने वाले और श्रम-प्रधान क्षेत्रों के लिए निर्यात प्रतिस्पर्धी क्षमता को मजबूत करना है। दूसरी योजना निर्यातकों के लिए ऋण गारंटी योजना (Credit Guarantee Scheme for Exporters, CGSE) है।

अमेरिकी टैरिफ

हाइ अमेरिकी टैरिफ से बचने में मदद करेंगी सरकार की ये दो पहल

सरकार ने बुधवार को निर्यातकों की सहायता के लिए 45,000 करोड़ रुपये की दो योजनाओं को मंजूरी दी। इस पहल का मकसद निर्यातकों को हाइ अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव से निपटने में मदद करना है। आधिकारिक बयान के अनुसार, 25,060 करोड़ रुपये के निर्यात संवर्धन मिशन (Export Promotion Mission, EPM) का उद्देश्य खासतौर से एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम), पहली बार निर्यात करने वाले और श्रम-प्रधान क्षेत्रों के लिए निर्यात प्रतिस्पर्धी क्षमता को मजबूत करना है। दूसरी योजना निर्यातकों के लिए ऋण गारंटी योजना (Credit Guarantee Scheme for Exporters, CGSE) है। यह निर्यातकों को 20,000 करोड़ रुपये तक की बिना किसी गारंटी के ऋण सहायता सुनिश्चित करेगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में ये निर्णय लिए गए। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा 27 अगस्त से भारतीय वस्तुओं पर 50% का भारी टैरिफ लगाने के बीच ये फैसले लिए गए हैं। भारत और अमेरिका एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर भी बातचीत कर रहे हैं।

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क्या है EPM?

निर्यात संवर्धन मिशन (EPM) को दो उप-योजनाओं- निर्यात प्रोत्साहन और निर्यात दिशा... के जरिए छह साल के लिए क्रियान्वित किया जाएगा। निर्यात प्रोत्साहन पर 10,401 करोड़ रुपये का खर्च होगा जबकि निर्यात दिशा पर 14,659 करोड़ रुपये खर्च होंगे। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने यहां संवाददाताओं से कहा कि यह एक व्यापक मिशन है और यह पूरे निर्यात परिवेश को सपोर्ट देगा। मिशन के तहत, हाल ही में ग्लोबल टैरिफ वृद्धि से प्रभावित क्षेत्रों को प्राथमिक आधार पर सहायता दी जाएगी। इन सेक्टरों में वस्त्र, चमड़ा, रत्न एवं आभूषण, इंजीनियरिंग सामान और समुद्री उत्पाद शामिल हैं। इन क्षेत्रों को अमेरिकी मार्केट में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। हाइ इंपोर्ट ड्यूटी के कारण, सितंबर में अमेरिका को भारत का वस्तु निर्यात 11.93% घटकर 5.46 अरब अमेरिकी डॉलर रह गया। निर्यात प्रोत्साहन के अंतर्गत ब्याज सहायता, तत्काल नकद के लिए इंटरनेशनल मार्केट में बेचे गए सामान के बिलों की बिक्री (निर्यात फैक्टरिंग), कर्ज सुविधा, ई-कॉमर्स निर्यातकों के लिए क्रेडिट कार्ड और नए बाजारों में विविधीकरण के लिए ऋण वृद्धि सहायता जैसे अलग-अलग साधनों के जरिए एमएसएमई के लिए किफायती बिजनेस फाइनेंस तक पहुंच में सुधार पर ध्यान दिया जाएगा। हालांकि, सरकार ने ब्याज सहायता का खुलासा नहीं किया है। इसी प्रकार, निर्यात दिशा के अंतर्गत, गैर-वित्तीय सहायता पर ध्यान दिया जाएगा जो मार्केट के लिए तैयार रहने में सहायता के साथ प्रतिस्पर्घी क्षमता को बढ़ाते हैं। इसमें निर्यात गुणवत्ता और अनुपालन सहायता, इंटरनेशनल ब्रांडिंग, पैकेजिंग और व्यापार मेलों में भागीदारी, निर्यात भंडारण और लॉजिस्टिक और व्यापार के बारे में सटीक जानकारी और क्षमता निर्माण पहल शामिल हैं।

क्या है CGSE?

निर्यातकों के लिए ऋण गारंटी योजना (सीजीएसई) को 100% क्रेडिट गारंटी देने के लिए वित्त मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय ऋण गारंटी ट्रस्टी कंपनी लि. (एनसीजीटीसी) के जरिए कार्यान्वित किया जाएगा, ताकि एमएसएमई सहित निर्यातकों को वित्तीय संस्थान अतिरिक्त क्रेडिट सहायता दे सके। वित्तीय सेवा विभाग के सचिव की अध्यक्षता में गठित एक प्रबंधन समिति इस योजना की प्रगति और क्रियान्वयन को देखेगी। आधिकारिक बयान के अनुसार, सीजीएसई योजना से भारतीय निर्यातकों की ग्लोबल प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ने और नए और उभरते बाजारों में विविधीकरण को समर्थन मिलने की उम्मीद है। बयान में कहा गया है कि सीजीएसई के तहत बिना किसी गारंटी के ऋण पहुंच की सुविधा से नकदी की स्थिति मजबूत होगी, सुचारू कामकाज सुनिश्चित होगा और 1,000 अरब डॉलर के निर्यात लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में भारत की प्रगति को गति मिलेगी।

फियो ने फैसले को लेकर क्या कहा?

निर्यातकों के शीर्ष निकाय फियो ने निर्यात संवर्धन मिशन (ईपीएम) को मंजूरी दिए जाने का स्वागत करते हुए कहा कि यह कई निर्यात संवर्धन योजनाओं को एक व्यापक, परिणाम-आधारित और डिजिटल रूप से संचालित ढांचे में समेकित करके एक प्रमुख संरचनात्मक सुधार है। फियो के अध्यक्ष एस सी रल्हन ने कहा, ‘निर्यात संवर्धन मिशन भारत के व्यापार क्षेत्र के लिए एक व्यावहारिक और दूरदर्शी दृष्टिकोण को बताता है। वित्तीय और गैर-वित्तीय हस्तक्षेपों को एक एकीकृत ढांचे के तहत लाकर, यह मिशन वैश्विक व्यापार के लिए निरंतरता, मजबूती और जवाबदेही प्रदान करता है।’

भाषा इनपुट के साथ
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