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3 min read | अपडेटेड May 07, 2025, 14:48 IST
सारांश
इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (ITI) यानी कि औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान के अपग्रेडेशन और स्किल डेवलपमेंट के लिए 5 नैशनल सेंटर ऑफ एक्सिलेंस की स्थापना के लिए एक केंद्र प्रायोजित योजना को मंजूरी मिल गई है। इसका कुल खर्चा 60,000 करोड़ रुपये होगा।
आईटीआई को बेहतर बनाने के लिए केंद्र सरकार ने उठाया बड़ा कदम (Shutterstock)
भारत की व्यावसायिक शिक्षा में बदलाव लाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (ITI) यानी कि औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान के अपग्रेडेशन और स्किल डेवलपमेंट के लिए 5 नैशनल सेंटर ऑफ एक्सिलेंस की स्थापना के लिए एक केंद्र प्रायोजित योजना को मंजूरी दे दी है। इसका कुल खर्चा 60,000 करोड़ रुपये होगा। इसे भारत की व्यावसायिक शिक्षा में बदलाव की दिशा में उठाया गया एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
आधिकारिक बयान के मुताबिक, ‘योजना का लक्ष्य 1,000 सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) को उद्योग से जुड़े नए ‘ट्रेड’ (पाठ्यक्रमों) के साथ ‘हब’ व ‘स्पोक’ व्यवस्था में उन्नत बनाना और पांच राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थानों (एनएसटीआई) की क्षमता बढ़ाना है। इसमें इन संस्थानों में कौशल विकास के लिए पांच राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करना भी शामिल है।’
वित्त वर्ष 2024-25 और वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में की गई घोषणा के अनुसार, इसे केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में क्रियान्वित किया जाएगा, जिसका खर्चा 60,000 करोड़ रुपये होगा। इसमें केंद्र की हिस्सेदारी 30,000 करोड़ रुपये, राज्य की 20,000 करोड़ रुपये और उद्योग की 10,000 करोड़ रुपये हिस्सेदारी होगी। साथ ही एशियाई विकास बैंक और वर्ल्ड बैंक द्वारा केंद्रीय हिस्से के 50% की सीमा तक समान रूप से सह-वित्तपोषण किया जाएगा।
पांच साल में, 20 लाख युवाओं को ऐसे पाठ्यक्रमों के जरिएकुशल बनाया जाएगा, जिनसे उद्योग जगत की मानव पूंजी की जरूरतें पूरी होती हों। यह योजना स्थानीय कार्यबल आपूर्ति और उद्योग जगत की मांग के बीच तालमेल सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करेगी, जिससे एमएसएमई सहित उद्योग जगत को रोजगार के लिए तैयार श्रमिकों तक पहुंचने की सुविधा मिलेगी।
भारत 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने की अपनी महत्वाकांक्षी यात्रा पर है, ऐसे में व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण, आर्थिक विकास और उत्पादकता का एक बड़ा परिचालक हो सकता है। 1950 के दशक से ही औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) भारत में व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण के मुख्य आधार रहे हैं, जिनका संचालन राज्य सरकारों के अधीन होता है। 2014 से आईटीआई नेटवर्क में लगभग 47% का विस्तार हुआ है, जो 14.40 लाख नामांकन के साथ 14,615 तक पहुंच गया है, आईटीआई के माध्यम से व्यावसायिक प्रशिक्षण से जुड़ी आकांक्षा में कमी बनी हुई है और इसे अपनी अवसंरचना और महत्त्व में सुधार के लिए प्रणालीगत हस्तक्षेप की कमी से भी जूझना पड़ा है। हालांकि, अतीत में आईटीआई को बढ़ावा देने के लिए योजनाएं रही हैं, लेकिन आईटीआई की पुनर्कल्पना के लिए पिछले दशक के वृद्धिशील प्रयासों को राष्ट्रीय स्तर पर कार्यक्रम के माध्यम से विस्तार देने का यह शायद सबसे अच्छा समय है। इसमें उद्योग की जरूरतों के अनुरूप पाठ्यक्रम सामग्री और डिजाइन शामिल किया गया है, ताकि कुशल कार्यबल का एक समूह बनाया जा सके, जो विकसित भारत के लक्ष्य को साकार करने के लिए प्रमुख क्षमता-प्रदाताओं में से एक हो।
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