बिजनेस न्यूज़
.png)
4 min read | अपडेटेड December 24, 2025, 15:06 IST
सारांश
Shaping India's New Taxation Ideology: Simplification, Moderation and Growth शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया कि गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) 2.0 के तहत हाल के सुधारों से यह साफ हुआ है कि मजबूत रेवेन्यू वृद्धि के साथ-साथ टैक्स सिस्टम का सरलीकरण और टैक्स रेट्स में संतुलन संभव है।

बजट 2026 में किन बातों पर ध्यान देना बेहद जरूरी?
केंद्रीय बजट 2026-27 में डायरेक्ट टैक्स बेस को व्यापक बनाने, प्राइवेट सेक्टर की इन्वेस्टमेंट को बढ़ावा देने और वृद्धि को और तेज करने के साथ-साथ रोजगार के अवसर बनाने के लिए हायर डायरेक्ट टैक्स रेट्स को स्थिर रखने पर ध्यान देने की जरूरत है। एक रिपोर्ट में यह बात कही गई। ‘भारत की नई कराधान विचारधारा का स्वरूप: सरलीकरण, संतुलन एवं वृद्धि (Shaping India's New Taxation Ideology: Simplification, Moderation and Growth)’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया कि गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) 2.0 के तहत हाल के सुधारों से यह साफ हुआ है कि मजबूत रेवेन्यू वृद्धि के साथ-साथ टैक्स सिस्टम का सरलीकरण और टैक्स रेट्स में संतुलन संभव है। इससे लंबे समय से जारी इस धारणा को चुनौती मिली है कि टैक्स कलेक्शन बढ़ाने के लिए टैक्स की ऊंची दरें जरूरी होती हैं।
शोध संस्थान ‘थिंक चेंज फोरम’ (टीसीएफ) द्वारा बुधवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है, ‘भारत जल्द केंद्रीय बजट पेश करने वाला है और इसमें लिए जाने वाले फैसले यह तय करेंगे कि टैक्सेशन लॉन्ग-टर्म इकॉनमिक विस्तार के लिए उत्प्रेरक बनता है या फिर महत्वाकांक्षाओं पर अंकुश लगाने वाला कारक।’ रिपोर्ट में नीति-निर्माताओं के लिए छह सूत्रीय सलाह पेश की गई है जिसमें उनसे डायरेक्ट टैक्स, प्रवर्तन एवं निवेश नीति तक जीएसटी सुधारों के सिद्धांतों का विस्तार करने का आग्रह किया गया है।
इन सुझावों में मुख्य तौर पर नीतिगत स्थिरता और अनुपालन-आधारित वृद्धि को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है। इसमें हायर टैक्स रेट्स को स्थिर रखने, रेट्स बढ़ाने के बजाय टेक्नॉलिजी के जरिए डायरेक्ट टैक्स बेस का विस्तार करने, मुआवजा उपकर (Cess) खत्म होने के बाद ‘एमआरपी’ (अधिकतम खुदरा मूल्य) आधारित टैक्सेशन से बचने, जीएसटी इनपुट कर लाइन ऑफ क्रेडिट को पूरा करने, मुनाफे के उत्पादक पुनर्निवेश को प्रोत्साहित करने और तस्करी एवं अवैध कारोबार सहित समानांतर अर्थव्यवस्था के खिलाफ कार्रवाई तेज करने की सिफारिश की गई है।
केंद्रीय बजट में दीर्घकालिक नीतिगत स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए अर्थशास्त्र के संतुलन सिद्धांत के अनुरूप हायर डायरेक्ट टैक्स रेट्स को स्थिर रखने की प्रतिबद्धता जतानी चाहिए और रेवेन्यू जुटाने का जोर रेट्स बढ़ाने के बजाय टैक्स बेस के विस्तार पर होना चाहिए। रिपोर्ट में कहा गया है कि टैक्स-जीडीपी रेशियो में सुधार के लिए डायरेक्ट टैक्स बेस का विस्तार करना बहुत जरूरी है। 140 करोड़ की आबादी में केवल 2.5 से तीन करोड़ प्रभावी टैक्सपेयर्स हैं, ऐसे में बजट को रेट्स बढ़ाने के बजाय जीएसटी, इनकम टैक्स और उच्च मूल्य उपभोग से जुड़े आंकड़ों को एकीकृत कर टेक्नॉलिजी आधारित टैक्स बेस विस्तार को प्राथमिकता देनी चाहिए। टैक्स-जीडीपी रेशियो, यह मापने का पैमाना है कि किसी देश के कुल रेवेन्यू (जीडीपी) का कितना हिस्सा सरकार टैक्स के रूप में इकट्ठा करती है।
रिपोर्ट में भारतीय अर्थव्यवस्था में बढ़ते निवेश विरोधाभास को भी रेखांकित किया गया है। इसमें कहा गया कि पिछले एक दशक में कंपनियों की प्रॉफिबिलिटी में सुधार हुआ है लेकिन निवेश-से-जीडीपी रेशियो 2011 से पहले के उच्च स्तर से काफी नीचे बना हुआ है, जिससे संकेत मिलता है कि मुनाफा उत्पादक क्षमता के बजाय फाइनेंशियल एसेट्स में लगाया जा रहा है। निवेश-से-जीडीपी रेशियो, यह मापता है कि किसी देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का कितना प्रतिशत नए निवेश (जैसे मशीनरी, भवन, बुनियादी ढांचा) में लगाया जा रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार, बढ़ते मुनाफे के बावजूद निवेश में ठहराव को देखते हुए बजट में लक्षित कर प्रोत्साहनों (टारगेटेड टैक्स इंसेंटिव) के जरिए कॉरपोरेट इनकम को वित्तीय निवेशों के बजाय विनिर्माण, अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) और रोजगार सृजन करने वाली परिसंपत्तियों की ओर प्रवाहित किया जाना चाहिए। बजट में पेट्रोलियम, बिजली और अन्य गैर-प्रतिबंधित वस्तुओं को जीएसटी के दायरे में लाने के लिए चरणबद्ध खाके की रूपरेखा भी तैयार की जानी चाहिए ताकि टैक्स तटस्थता बहाल हो सके और उद्योग पर पड़ने वाले अतिरिक्त बोझ को कम किया जा सके।
इसमें कहा गया कि आने वाले बजट में तस्करी, अवैध व्यापार और टैक्स चोरी के खिलाफ प्रवर्तन को मजबूत किया जाना चाहिए ताकि अनुपालन न करने पर अनुपालन से अधिक लागत आए और ईमानदार टैक्सपेयर्स को दंडित न किया जाए। रिपोर्ट में एक विशिष्ट भारतीय कराधान विचारधारा की आवश्यकता पर जोर दिया गया है, जो पारंपरिक भारतीय ज्ञान को आधुनिक आर्थिक सोच के साथ जोड़ते हुए अल्पकालिक राजस्व वसूली के बजाय संतुलन, निष्पक्षता, अनुपालन एवं वृद्धि को प्राथमिकता दे।
संबंधित समाचार
इसको साइनअप करने का मतलब है कि आप Upstox की नियम और शर्तें मान रहे हैं।
लेखकों के बारे में
.png)
अगला लेख
इसको साइनअप करने का मतलब है कि आप Upstox की नियम और शर्तें मान रहे हैं।