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4 min read | अपडेटेड May 22, 2025, 08:53 IST
सारांश
Reserve Bank of India (RBI) के लेटेस्ट बुलेटिन में कहा गया है कि बढ़ती ग्लोबल टेंशन के बीच भारत एक कनेक्टर देश के रूप में तेजी से काम करने के लिए तैयार है। इस बुलेटिन में बताया गया कि कौन से सेक्टर्स इसमें अहम रोल निभाएंगे।
RBI के लेटेस्ट बुलेटिन में भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर क्या कुछ लिखा गया?
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) यानी कि भारतीय रिजर्व बैंक के लेटेस्ट बुलेटिन में कहा गया है कि ग्लोबल ट्रेड रिअलाइनमेंट (वैश्विक ट्रेड पुनर्गठन) और इंडस्ट्रियल पॉलिसी में बदलाव के बीच, भारत एक ‘कनेक्टर देश’ के रूप में तेजी से काम करने के लिए तैयार है। इसमें कहा गया भारत टेक्नॉलिजी, डिजिटल सर्विसेज और फार्मास्यूटिकल्स जैसे सेक्टर्स में एक अहम कनेक्टर बन सकत है। मई बुलेटिन में पब्लिश की गई, ‘अर्थव्यवस्था की स्थिति’ पर एक आर्टिकल में कहा गया है कि इस परिदृश्य में, हाल ही में ब्रिटेन के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट का पूरा होना द्विपक्षीय व्यापार संबंधों के मजबूत होने की ओर इशारा करता है।
इस बुलेटिन में कहा गया कि ‘आने वाले समय की चुनौतियों को बावजूद, भारत ग्लोबल चुनौतियों का आत्मविश्वास के साथ सामना करने, उभरते मौकों का फायदा उठाने और ग्लोबल डेवलपमेंट के अहम ड्राइवर के रूप में अपनी भूमिका को मजबूत करने के लिए अच्छी स्थिति में है।’ इसमें आगे कहा गया है कि लगातार ट्रेड फ्रिक्शन, पॉलिसी को लेकर अनिश्चितता में बढ़ोत्तरी और कमजोर कंज्यूमर सेंटीमेंट्स ग्लोबल डेवलपमेंट के लिए मुश्किलें पैदा कर रही हैं। आर्टिकल में कहा गया है कि इन चुनौतियों के बीच, भारतीय अर्थव्यवस्था ने लचीलापन दिखाया है। इसमें कहा गया है, ‘इंडस्ट्रियल और सर्विस सेक्टर्स के अलग-अलग हाइ फ्रिक्वेंसी इंडेक्सों ने अप्रैल में अपनी स्पीड बनाए रखी। बंपर रबी फसल और गर्मियों की फसलों के लिए अधिक रकबा, साथ ही 2025 के लिए अनुकूल दक्षिण-पश्चिम मानसून पूर्वानुमान, एग्रीकल्चरल सेक्टर के लिए शुभ संकेत हैं।’
जुलाई 2019 के बाद से लगातार छठे महीने मुख्य सीपीआई मुद्रास्फीति में गिरावट आई है, जो मुख्य रूप से खाद्य कीमतों में निरंतर कमी के कारण हुई है। घरेलू वित्तीय बाजार के सेंटीमेंट्स, जो अप्रैल में तनाव में रहे, मई के तीसरे सप्ताह से बदल गए हैं। बुलेटिन में कहा गया है कि मुद्रास्फीति का दबाव काफी कम हो गया है और 2025-26 में लक्ष्य के साथ एक स्थायी अलाइनमेंट के लिए तैयार है।
नीति परिदृश्य में बदलाव और कमजोरियों के बीच ग्लोबल फाइनेंशियल दृष्टिकोण धुंधला बना हुआ है। इस बुलेटिन को लिखने वालों ने कहा कि इन अनिश्चितताओं के बीच, भारत के लिए दृष्टिकोण सतर्क आशावाद का है। अप्रैल 2025 के आईएमएफ अनुमानों के अनुसार, भारत 2025 में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा और इस साल जापान को पीछे छोड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
आरबीआई की डिप्टी गवर्नर पूनम गुप्ता ने राइटर्स की टीम को मार्गदर्शन दिया। बुलेटिन में कहा गया है कि कमर्शियल बैंकों (SCB) की जमा वृद्धि 21 मार्च, 2025 को 10.6% से घटकर 2 मई, 2025 को 10.3% हो गई, जिसमें आधार और गति प्रभाव एक दूसरे को संतुलित करते हैं। एससीबी का वृद्धिशील ऋण-जमा अनुपात पिछले दो महीनों के दौरान घटकर 2 मई, 2025 को 82.3% हो गया, इस अवधि के दौरान जमा वृद्धि ऋण की तुलना में अधिक रही।
वित्त वर्ष 2024-25 में, एससीबी मुख्य रूप से वित्त पोषण के लिए जमा पर निर्भर थे, जबकि उधार पर उनकी निर्भरता कम हो गई। एससीबी द्वारा जुटाए गए ज्यादातर फंड का इस्तेमाल मुख्य रूप से ऋण देने और उसके बाद निवेश करने में किया गया, जबकि उनकी नकदी होल्डिंग्स (हाथ में नकदी) और आरबीआई के पास बचे फंड में गिरावट दर्ज की गई - बाद में दिसंबर 2024 में नकद आरक्षित अनुपात में 4% से 4.5% की कमी के कारण गिरावट दर्ज की गई। फरवरी 2025 से नीतिगत रेपो दर में 50-बीपीएस की कटौती के जवाब में, अधिकांश बैंकों ने अपनी रेपो-लिंक्ड बाहरी बेंचमार्क आधारित उधार दरों (ईबीएलआर) और फंड-आधारित उधार दर की सीमांत लागत (एमसीएलआर) को कम कर दिया है, लेख में कहा गया है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि आर्टिकल में व्यक्त विचार राइटर्स के हैं और भारतीय रिजर्व बैंक के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।
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