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FY 2026-27 के बजट के लिए AAI का एल्युमीनियम पर सीमा शुल्क बढ़ाने का सुझाव, क्यों रखी ऐसी मांग?

Upstox

3 min read | अपडेटेड November 12, 2025, 19:21 IST

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सारांश

केंद्रीय बजट 2026-27 से पहले एल्युमीनियम इंडस्ट्री के निकाय एएआई (एल्युमीनियम एसोसिएशन ऑफ इंडिया) ने सरकार से कबाड़ (स्क्रैप) समेत सभी एल्युमीनियम प्रोडक्ट्स पर मूल सीमा शुल्क को बढ़ाकर 15% करने का अनुरोध किया है ताकि निम्न-गुणवत्ता वाले आयात में वृद्धि को रोका जा सके और घरेलू उत्पादकों की सुरक्षा की जा सके।

एल्युमीनियम

FY27 के बजट के लिए AAI का एल्युमीनियम पर सीमा शुल्क बढ़ाने का सुझाव

केंद्रीय बजट 2026-27 से पहले एल्युमीनियम इंडस्ट्री के निकाय एएआई (एल्युमीनियम एसोसिएशन ऑफ इंडिया) ने सरकार से कबाड़ (स्क्रैप) समेत सभी एल्युमीनियम प्रोडक्ट्स पर मूल सीमा शुल्क को बढ़ाकर 15% करने का अनुरोध किया है ताकि निम्न-गुणवत्ता वाले आयात में वृद्धि को रोका जा सके और घरेलू उत्पादकों की सुरक्षा की जा सके। इसने कहा कि इस तरह के कदम से यूरोपीय संघ और चीन जैसे ग्लोबल काउंटरपार्ट्स के अनुरूप एल्युमीनियम कबाड़ की गुणवत्ता सुनिश्चित होगी और भारत को धातु कचरे का डंपिंग ग्राउंड बनने से रोका जा सकेगा।

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एएआई ने किया लिखा लेटर में?

खान सचिव पीयूष गोयल को लिखे एक पत्र में, एएआई ने कहा, ‘...एल्युमीनियम सेक्टर में 'आत्मनिर्भर भारत' के दृष्टिकोण को पूरा करने के लिए, हमें अध्याय 76 के तहत सभी एल्युमीनियम प्रोडक्ट्स पर मूल सीमा शुल्क को बढ़ाकर 15% करने की आवश्यकता है।’ इसने यह भी संकेत दिया कि मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त घरेलू क्षमता उपलब्ध होने के बावजूद घरेलू उद्योग बेरोकटोक आयात से जूझ रहा है। इसमें कहा गया है कि बढ़ते आयात के साथ, फाइनेंशियल ईयर 2025-26 में एल्युमीनियम के संबंध में भारत का व्यापार घाटा 3.4 अरब डॉलर (30,000 करोड़ रुपये) के ऑलटाइम हाइ पर पहुंचने की आशंका है।

प्राथमिक एल्युमीनियम प्रोडक्ट्स पर मौजूदा शुल्क 7.5% है, जबकि एल्युमीनियम स्क्रैप पर 2.5% और डाउनस्ट्रीम एल्युमीनियम वस्तुओं पर 7.5% से 10% के बीच शुल्क लगता है। भारत को कचरे का डंपिंग ग्राउंड बनने से रोकने के लिए, एएआई ने सरकार से एल्युमीनियम स्क्रैप पर यूरोपीय संघ (ईयू), मलेशिया और चीन द्वारा लागू किए गए मानकों के अनुरूप सख्त गुणवत्ता मानक लाने का भी अनुरोध किया है।

क्या होगा इससे फायदा?

एएआई ने कहा कि इससे घरेलू कबाड़ बाजार का विकास होगा और चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। एल्युमीनियम रक्षा, राष्ट्रीय सुरक्षा, बुनियादी ढांचे, वैमानिकी, बिजली, परिवहन और समग्र आर्थिक वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है। इसे आधिकारिक तौर पर अमेरिका, यूरोपीय संघ और ब्रिटेन सहित अन्य देशों द्वारा एक महत्वपूर्ण, रणनीतिक धातु के रूप में मान्यता प्राप्त है। पत्र में, एएआई ने कहा कि पर्याप्त शुल्क संरक्षण के बिना, भारत अधिशेष ग्लोबल एल्युमीनियम के लिए डंपिंग ग्राउंड बनने के जोखिम का सामना कर रहा है, जिससे घरेलू प्रोडक्ट्स के निवेश को खतरा है, जिनका उद्देश्य आत्मनिर्भरता हासिल करना है। इसमें कहा गया है कि दुनिया के सबसे बड़े स्क्रैप आयातक भारत को प्राथमिक प्रोडक्ट्स के मानकों के अनुरूप, द्वितीयक एल्युमीनियम इंडस्ट्री के लिए स्क्रैप की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए सख्त बीआईएस (भारतीय मानक ब्यूरो) मानदंडों को अपनाना चाहिए।

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