return to news
  1. Work-Life Balance: अधिक काम से घट रही है प्रोडक्टिविटी, सर्वे में सामने आए हैरान करने वाले नतीजे

ट्रेंडिंग न्यूज़

Work-Life Balance: अधिक काम से घट रही है प्रोडक्टिविटी, सर्वे में सामने आए हैरान करने वाले नतीजे

Upstox

3 min read | अपडेटेड March 12, 2025, 18:27 IST

Twitter Page
Linkedin Page
Whatsapp Page

सारांश

Work-Life Balance: इस सर्वेक्षण में एक चौंकाने वाला निष्कर्ष भी सामने आया कि आठ-नौ घंटे की शिफ्ट में 20 फीसदी से अधिक कर्मचारी केवल 2.5 से 3.5 घंटे ही प्रोडक्टिव होते हैं। यह दिखाता है कि काम के घंटे बढ़ाने से कर्मचारी की प्रोडक्टिविटी और क्रिएटिविटी काफी कम हो सकती है।

Work-Life Balance: वर्टेक्स ग्रुप ने भारत के पांच राज्यों में किए गए एक सर्वे के आधार पर यह नतीजा निकाला है।

Work-Life Balance: वर्टेक्स ग्रुप ने भारत के पांच राज्यों में किए गए एक सर्वे के आधार पर यह नतीजा निकाला है।

Work-Life Balance: भारत के लगभग 52 फीसदी कर्मचारी कामकाज और निजी जिंदगी के बीच खराब संतुलन की वजह से ‘बर्नआउट’ जैसी स्थिति का अनुभव करते हैं। एक रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला गया है। ‘बर्नआउट’ का मतलब है कि कर्मचारी लंबे समय तक तनाव रहने की वजह से शारीरिक, मानसिक, और भावनात्मक स्तर पर थकान महसूस करने लगता है।
Open FREE Demat Account within minutes!
Join now

52 फीसदी कर्मचारी ‘बर्नआउट’ के शिकार

न्यूयॉर्क स्थित बिजनेस प्रोसेस मैनेजमेंट प्लेयर वर्टेक्स ग्रुप ने भारत के पांच राज्यों में किए गए एक सर्वे के आधार पर यह नतीजा निकाला है। सर्वे से पता चलता है कि महामारी के बाद की दुनिया की चुनौतियों का सामना कर रहे 52 फीसदी कर्मचारी कामकाज और निजी जिंदगी के बीच सही संतुलन न होने की वजह से ‘बर्नआउट’ का अनुभव करते हैं।

प्रोडक्टिविटी हो रही है प्रभावित

इस सर्वेक्षण में एक चौंकाने वाला निष्कर्ष भी सामने आया कि आठ-नौ घंटे की शिफ्ट में 20 फीसदी से अधिक कर्मचारी केवल 2.5 से 3.5 घंटे ही प्रोडक्टिव होते हैं। यह दिखाता है कि काम के घंटे बढ़ाने से कर्मचारी की प्रोडक्टिविटी और क्रिएटिविटी काफी कम हो सकती है।

1500 कर्मचारियों पर आधारित है सर्वे

सर्वेक्षण में दिल्ली, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, पंजाब और आंध्र प्रदेश में रहने वाले 1500 से अधिक कामकाजी व्यक्तियों से जानकारी एकत्र की गई। वर्टेक्स ग्रुप ने बयान में कहा कि इस सर्वेक्षण में कर्मचारियों की अपने कार्यस्थल से अपेक्षा पर बल दिया गया है। इसमें लचीले कामकाजी घंटों की बढ़ती मांग और व्यक्तिगत और पेशेवर कर्तव्यों के बीच एक स्वस्थ संतुलन पर प्रकाश डाला गया है।

"वीकेंड पर ना हो काम का बोझ"

वर्टेक्स ग्रुप के संस्थापक गगन अरोड़ा ने कहा, ‘‘कामकाज और जिंदगी के बीच संतुलन समय की मांग है, खासकर आईटी क्षेत्र में। संगठनों को कर्मचारियों की अपेक्षाओं के अनुरूप ढलना चाहिए और वीकेंड पर उन पर काम का बोझ नहीं डालना चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘वीकेंड कर्मचारियों के लिए तरोताजा होने और अगले हफ्ते के लिए खुद को तैयार करने का समय होना चाहिए। जब तक बहुत जरूरी न हो, कर्मचारियों को इस समय काम नहीं सौंपा जाना चाहिए।’’ सर्वे से यह भी पता चला कि 23 फीसदी से अधिक कर्मचारी निर्धारित कामकाजी घंटों से अधिक काम करते हैं।

कर्मचारियों का मानसिक स्वास्थ्य कंपनी की ग्रोथ के लिए अहम

इसके मुताबिक, कर्मचारियों का मानसिक स्वास्थ्य कंपनी की ग्रोथ के लिए अहम है और काम से जुड़े तनाव के चलते हाल ही में कई कारोबारी दिग्गजों और कर्मचारियों की असमय मौत उच्च तनाव वाले बिजनेस में स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने की तत्काल जरूरत पर बल देती है।

अरोड़ा ने कहा, ‘‘इस टेक-केंद्रित दौर में इंसान काम और जिंदगी के बीच खराब संतुलन की वजह से रोबोट में तब्दील होते जा रहे हैं और आखिरकार अपनी जान गंवा दे रहे हैं। ऐसी स्थिति में कार्यालय से परे काम के घंटे बढ़ाने के बजाय स्किल और प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के लिए टेक का उपयोग करना अहम है।’’

ELSS
2025 के लिए पाएं बेस्ट टैक्स बचाने वाले फंड्स एक्सप्लोर करें ELSS
promotion image

लेखकों के बारे में

Upstox
Upstox Hindi News Desk पत्रकारों की एक टीम है जो शेयर बाजारों, अर्थव्यवस्था, वस्तुओं, नवीनतम व्यावसायिक रुझानों और व्यक्तिगत वित्त को उत्साहपूर्वक कवर करती है।

अगला लेख