return to news
  1. Making Gold from Lead: वैज्ञानिकों ने सीसे से बना दिया सोना, क्या दुनिया के हाथ लग गया अपार खजाना?

ट्रेंडिंग न्यूज़

Making Gold from Lead: वैज्ञानिकों ने सीसे से बना दिया सोना, क्या दुनिया के हाथ लग गया अपार खजाना?

Shatakshi Asthana

2 min read | अपडेटेड May 14, 2025, 15:59 IST

Twitter Page
Linkedin Page
Whatsapp Page

सारांश

CERN स्थित लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर में लाइट की स्पीड से पार्टिकल्स को दौड़ाया जाता है और उनकी आपस में टक्कर को ऑब्जर्व किया जाता है। ऐसे ही एक एक्सपेरिमेंट के दौरान वैज्ञानिकों ने पाया कि सीसे यानी lead के ऐटम सोने में बदल गए। पार्टिकल्स में टक्कर के जरिए वैज्ञानिक ये पता लगाने की कोशिश करते हैं कि ब्रह्मांड की शुरुआत में मैटर कैसे बनना शुरू हुआ था।

CERN स्थित वैज्ञानिकों ने LHC में पार्टिकल्स की टक्कर के दौरान पाए रोमांचक नतीजे। (तस्वीर: CERN/Shutterstock)

CERN स्थित वैज्ञानिकों ने LHC में पार्टिकल्स की टक्कर के दौरान पाए रोमांचक नतीजे। (तस्वीर: CERN/Shutterstock)

लोहे को सोने में बदलने वाला पारस पत्थर भले ही सच हो या काल्पनिक कहानी, सीसे यानी लेड से जरूर सोना बनाया जा सकता है। ये साबित कर दिया है लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर (LGC) के रिसर्चर्स ने। दिलचस्प बात ये है कि जैसे उम्मीद की जा रही थी कि पार्टिकल्स के एक-दूसरे से टकराने से सोना बनाया जा सकेगा, उससे उलट हुआ।

स्विजरलैंड में जेनेवा के पास CERN (यूरोपियन ऑर्गनाइजेशन फॉर न्यूक्लियर रिसर्च) में स्थित दुनिया के इस सबसे बड़े और सबसे ज्यादा एनर्जी वाले पार्टिकल एक्सेलरेटर में पार्टिकल्स को लाइट की स्पीड दी जाती है। इतनी तेज स्पीड से भाग रहे पार्टिकल्स की आपस में टक्कर से वैज्ञानिक ये समझने की कोशिश करते हैं कि ब्रह्मांड की शुरुआत में कैसे मैटर बनना शुरू हुआ था।

ऐसे ही एक एक्सपेरिमेंट के दौरान 82 अटॉमिक नंबर वाले लेड के न्यूक्लियस को एक्सेलरेट किया गया। आमतौर पर इन पार्टिकल्स में होने वाली टक्कर को ऑब्जर्व किया जाता है। हालांकि, जब ये पार्टिकल्स टकराने की जगह एक दूसरे के बेहद करीब से गुजरते हैं तो पैदा होने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड की वजह से कई अजीबो-गरीब न्यूक्लियर रिऐक्शन होते हैं।

इतनी तेज स्पीड पर इनसे एक शक्तिशाली मैग्नेटिक फील्ड पैदा हुई जिससे फोटॉन के पल्स को भी ऑब्जर्व किया गया। इस फोटॉन के न्यूक्लियस के साथ इंटरैक्ट करने पर न्यूट्रॉन्स और प्रोटॉन्स इजेक्ट होने लगे। तीन प्रोटॉन्स के निकलने पर जो नतीजा निकला वह था 79 अटॉमिक नंबर का गोल्ड यानी सोना।

इस प्रोसेस को न्यूक्लियर ट्रांसम्यूटेशन कहते हैं जब एक ऐटम का न्यूक्लियर इस तरह बदलता है कि वह दूसरा एलिमेंट या आइसोटोप बन जाता है। रिसर्चर्स की टीम ने बताया है कि एक सेकंड में लेड पार्टिकल्स की टक्कर से सोने के 89 हजार न्यूक्लियाई बनाए जा सकते हैं। हालांकि, सीसे से पर्याप्त मात्रा में सोना बनाने में अभी काफी वक्त लगेगा।

दरअसल, इस प्रोसेस के दौरान निकलने वाले सोने के ऐटम में बहुत ज्यादा एनर्जी होती है और इसलिए ये सीधा LHC से जा टकराते हैं और तुरंत प्रोटॉन्स, न्यूट्रॉन्स और दूसरे सब-अटॉमिक पार्टिकल्स में टूट जाते हैं। यानी सिर्फ पलक झपकने भर के दौरान इन्हें ऑब्जर्व किया जा सकता है।

ELSS
2025 के लिए पाएं बेस्ट टैक्स बचाने वाले फंड्स एक्सप्लोर करें ELSS
promotion image

लेखकों के बारे में

Shatakshi Asthana
Shatakshi Asthana बिजनेस, एन्वायरन्मेंट और साइंस जर्नलिस्ट हैं। इंटरनैशनल अफेयर्स में भी रुचि रखती हैं। मुंबई के सेंट जेवियर्स कॉलेज से लाइफ साइंसेज और दिल्ली के IIMC से पत्रकारिता की पढ़ाई करने के बाद अब वह जिंदगी के हर पहलू को इन्हीं नजरियों से देखती हैं।

अगला लेख