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  1. 2019 के बाद CEOs की एवरेज सैलरी बढ़ी 50%, वहीं कर्मचारियों की कमाई में महज .9% का इजाफा, क्यों चिंताजनक है यह स्टडी?

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2019 के बाद CEOs की एवरेज सैलरी बढ़ी 50%, वहीं कर्मचारियों की कमाई में महज .9% का इजाफा, क्यों चिंताजनक है यह स्टडी?

Upstox

3 min read | अपडेटेड May 02, 2025, 10:50 IST

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सारांश

ग्लोबल सीईओ की औसत सैलरी 2019 के बाद वास्तविक रूप से 50% बढ़ी है, जबकि कर्मचारियों की औसत सैलरी में बढ़ोतरी सिर्फ 0.9% है। ऑक्सफैम की एक स्टडी रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।

CEO वर्सेस कर्मचारियों की सैलरी

सीईओ की सैलरी में 2019 के बाद दिखा 50% का इजाफा

कंपनियों के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर्स (CEOs) और सामान्य कर्मचारियों की सैलरी में असमानता चिंताजनक स्तर पर पहुंच गई है। ग्लोबल सीईओ की औसत सैलरी 2019 के बाद वास्तविक रूप से 50% बढ़ी है, जबकि कर्मचारियों की औसत सैलरी में बढ़ोतरी सिर्फ 0.9% है। ऑक्सफैम की एक स्टडी रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। भारत में कंपनियों के सीईओ की सालाना सैलरी भी औसतन 20 लाख डॉलर (16.78 करोड़ रुपये) पहुंच चुकी है। यह स्टडी बताती है कि सीईओ और आम कर्मचारियों के बीच सैलरी की खाई चौंकाने वाले स्तर तक बढ़ चुकी है। हकीकत यह है कि अरबपति एक घंटे में एक औसत कर्मचारी की पूरे साल की इनकम से कहीं ज्यादा कमाई कर रहे हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, ‘सीईओ की सैलरी में 2019 के 29 लाख डॉलर से 50% की वास्तविक वृद्धि आ चुकी है। यह वृद्धि एक औसत कर्मचारी के वेतन में समान अवधि में हुई 0.9% की वास्तविक वृद्धि से बहुत अधिक है।’ स्टडी में अलग-अलग देशों में सीईओ की सैलरी को भी एनालाइज किया गया है, जिसमें आयरलैंड और जर्मनी क्रम से औसतन 67 लाख डॉलर और 47 लाख डॉलर के साथ टॉप पर हैं। भारत में भी कंपनियों के सीईओ की औसत सैलरी 2024 में 20 लाख डॉलर तक पहुंच गया है।

किस वजह से होता है ऐसा?

ऑक्सफैम इंटरनेशनल के कार्यकारी निदेशक अमिताभ बेहर ने इस सैलरी असमानता पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा, ‘यह कोई सिस्टमैटिक गड़बड़ी नहीं है, बल्कि फंड के लगातार ऊपर की ओर फ्लो के लिए बनाया गया एक सिस्टम है, जबकि लाखों मेहनतकश लोग जीवन-यापन के लिए संघर्ष कर रहे हैं।’ यह सैलरी असमानता ऐसे समय में बढ़ रही है जब जीवन-यापन की लागत तेजी से बढ़ रही है और श्रमिकों का वेतन महंगाई के साथ तालमेल बिठा पाने में नाकाम हो रहा है।

महिला-पुरुषों की औसत सैलरी में कुछ कम हुआ फासला

इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन (आईएलओ) के मुताबिक, साल 2024 में वास्तविक वेतन में 2.7% की मामूली वृद्धि हुई है, लेकिन कई देशों में श्रमिकों का वेतन स्थिर रहा है। स्टडी में महिला-पुरुष के वेतन में अंतर पर भी प्रकाश डाला गया है। हालांकि ग्लोबल लेवल पर महिला-पुरुष के बीच सैलरी अंतर में मामूली कमी आई है, लेकिन यह अभी भी चिंताजनक रूप से उच्च स्तर पर है। एनालिसिस के मुताबिक, 2022 और 2023 के दौरान महिला-पुरुष के बीच औसत सैलरी अंतर 27% से घटकर 22% हो गया।

ट्रंप की टैरिफ नीतियों से पड़ेगा नेगेटिव असर

ऑक्सफैम की यह स्टडी बताती है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ कदमों से ग्लोबल लेवल पर श्रमिकों के लिए नौकरी छूटने और बुनियादी वस्तुओं की बढ़ती लागत का खतरा बढ़ गया है जो आगे चलकर असमानता बढ़ाने का काम करेगा।

बेहर ने आगाह करते हुए कहा कि अमेरिका की टैरिफ नीतियां न केवल उसके कामकाजी परिवारों को नुकसान पहुंचाएंगी, बल्कि गरीब देशों के श्रमिकों के लिए भी विनाशकारी साबित होंगी। यह स्टडी ग्लोबल लेवल पर बढ़ती इनकम असमानता और श्रमिकों पर इसके गंभीर प्रभावों पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत पर बल देता है।

भाषा इनपुट के साथ
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