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  1. Fitment Factor: 8वें वेतन आयोग से बड़ी उम्मीदें, 7वें वेतन आयोग ने क्यों तय किया 2.57 का फिटमेंट फैक्टर?

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Fitment Factor: 8वें वेतन आयोग से बड़ी उम्मीदें, 7वें वेतन आयोग ने क्यों तय किया 2.57 का फिटमेंट फैक्टर?

Upstox

3 min read | अपडेटेड May 03, 2025, 09:58 IST

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सारांश

8th Pay Commission: 8वें वेतन आयोग के गठन के पहले फिटमेंट फैक्टर को लेकर चर्चा तेज है। फिटमेंट फैक्टर के आधार पर ही तय होता है कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों की सैलरी में इजाफा कैसे और कितना किया जाएगा। 7वें वेतन आयोग ने काफी कैलकुलेशन के बाद न्यूनतम वेतन और 2.57 का फिटमेंट फैक्टर तय किया था।

7वें केंद्रीय वेतन आयोग के फिटमेंट फैक्टर को 2.57 तय करने के पीछे एक बड़ा कारण था।

7वें केंद्रीय वेतन आयोग के फिटमेंट फैक्टर को 2.57 तय करने के पीछे एक बड़ा कारण था।

Fitment Factor and Central Pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन और रिटायर्ट कर्मियों की पेंशन समेत दूसरे भत्तों में बदलाव का सुझाव देने के लिए केंद्र सरकार ने 8वें वेतन आयोग के गठन का ऐलान किया था। अब इसे लेकर भर्ती प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है और कर्मचारियों के प्रतिनिधि आयोग के सामने अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपने की तैयारी में जुटे हैं।

इस बीच एक मुद्दा सबसे ज्यादा चर्चा का विषय बना है और वह है फिटमेंट फैक्टर है। 8वां वेतन आयोग क्या फिटमेंट फैक्टर तय करेगा, इस पर अटकलों का सिलसिला जारी है। कर्मचारी संगठनों को उम्मीद है कि वेतन आयोग 2.86 के फिटमेंट फैक्टर का प्रस्ताव दे सकता है। इसी फिटमेंट फैक्टर के आधार पर तय होता है कि कर्मचारियों का वेतन कितना बढ़ेगा।

हालांकि, पहले के उदाहरण देखें तो पाएंगे कि कर्मचारियों के प्रतिनिधि संगठनों की मांग के मुताबिक वेतन आयोग वेतन में इजाफे के लिए फिटमेंट फैक्टर का प्रस्ताव नहीं देते हैं। जैसे 7वें वेतन आयोग ने 2.57 का प्रस्ताव दिया था जिसके बाद कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन ₹7000 से बढ़ाकर ₹18,000 कर दिया गया था।

इससे एक दिलचस्प सवाल उठता है कि आखिर 7वें वेतन आयोग ने फिटमेंट फैक्टर 2.57 ही क्यों किया, 2.6 या 2.9 क्यों नहीं। इसका जवाब मिलता है उस कैलकुलेशन में जिसके मुताबिक 7वें वेतन आयोग ने न्यूनतम वेतन तय किया था।

दरअसल, साल 1957 में हुए 15वें लेबर कॉन्फ्रेंस के निर्देशों के आधार पर 7वें वेतन आयोग ने न्यूनतम वेतन कैलकुलेट करने के लिए कुछ जरूरी चीजों पर होने वाले खर्च को जोड़ा। इसके लिए सबसे पहले खाने-पीने की जरूरतों, जैसे चावल, गेहूं, दाल, सब्जियां, फल, दूध, शक्कर और मांस-मछली जैसे खाद्य पदार्थों की कीमतों को जोड़ा गया।

इनकी मात्रा को तीन लोगों के एक परिवार के हिसाब से जोड़ा गया था। इसकी कुल राशि हुई ₹9217.99। इसमें फिर रोजमर्रा की दूसरी जरूरतों, जैसे बिजली, ईंधन, पानी का बिल जोड़ा गया। साथ में शादी-त्योहार, मनोरंजन पर होने वाले खर्च, कौशल विकास के लिए लगने वाली कीमत और घर के किराये जैसी जरूरतों को जोड़ा गया।

इन सबका कुल अमाउंट हुआ ₹17468.91 जिसमें 3% यानी करीब ₹524.07 डियरनेस अलाउएंस जोड़ा गया। इसके साल 2016 में 125% पर पहुंचने का आकलन किया गया था। इसे जोड़ने के बाद राशि हुई ₹17,992.98 जिसे राउंड ऑफ करके ₹18,000 तय किया गया।

इसी राशि को 7वें वेतन आयोग ने न्यूनतम वेतन के तौर पर 1 जनवरी 2016 से लागू करने का प्रस्ताव दिया। ये जो ₹18,000 का न्यूनतम वेतन था, ये ₹7,000 का 2.57 गुना था। इसलिए, 7वें वेतन आयोग ने नए पे ढांचे में वेतन को 2.57 से मल्टिप्लाई करने का प्रस्ताव दिया।

जॉइंट कंसल्टेटिव मशीनरी की नेशनल काउंसिल- स्टाफ साइड आयोग के सामने अपनी मांगों का ज्ञापन देने की तैयारी में भी जुट गया है। 8वें वेतन आयोग के सामने अपनी मांगों का ज्ञापन रखने के पहले उस पर चर्चा के लिए सदस्य जून में बैठक करेंगे।

ड्राफ्टिंग कमिटी के ज्ञापन तैयार करने के बाद इस पर स्टाफ साइट/कॉन्स्टिट्यूंट ऑर्गनाइजेशन की बैठक में चर्चा भी की जाएगी। कमिटी को संबंधित मुद्दों पर अपनी राय 20 मई तक ईमेल करने को कहा गया है।

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