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  1. ये TOR क्या 'बला' है? जिसके बिना आगे ही नहीं बढ़ पाता 8th Pay Commission, यहां समझें पूरी कहानी

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ये TOR क्या 'बला' है? जिसके बिना आगे ही नहीं बढ़ पाता 8th Pay Commission, यहां समझें पूरी कहानी

Upstox

3 min read | अपडेटेड October 30, 2025, 16:33 IST

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सारांश

8वें वेतन आयोग के लिए ToR यानी 'टर्म्स ऑफ रेफरेंस' को सरकार ने मंजूरी दे दी है। यह एक फ्रेमवर्क है जो आयोग का दायरा, काम करने के नियम और समयसीमा तय करता है। अब आयोग तय करेगा कि सैलरी, भत्ते और पेंशन में कितनी बढ़ोतरी होनी चाहिए।

8th pay commission

8वें वेतन आयोग के ToR को मंजूरी, अब जल्द शुरू होगा काम।

8th Pay Commission Update: केंद्रीय कर्मचारियों के 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) को लेकर एक शब्द बार-बार सामने आ रहा है - ToR। हाल ही में सरकार ने 8वें वेतन आयोग के लिए 'टर्म्स ऑफ रेफरेंस' (ToR) को मंजूरी दे दी है, जिसके बाद से कर्मचारियों में सैलरी बढ़ने की उम्मीदें तेज हो गई हैं। लेकिन बहुत से लोग यह नहीं समझ पा रहे हैं कि आखिर यह ToR क्या बला है? और यह इतना जरूरी क्यों है कि इसके बिना आयोग का काम एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाता। तो चलिए, आज आसान भाषा में समझते हैं कि यह ToR क्या होता है और 8वें वेतन आयोग के लिए इसका क्या मतलब है।

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क्या होता है ToR (टर्म्स ऑफ रेफरेंस)?

ToR यानी 'टर्म्स ऑफ रेफरेंस' को आप किसी भी आयोग के लिए 'काम करने का एजेंडा' या 'दिशा-निर्देश' समझ सकते हैं। जब भी सरकार किसी नए आयोग का गठन करती है, तो सबसे पहले उसके लिए ToR तैयार किया जाता है। इस दस्तावेज को केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिलती है।

ToR में यह साफ-साफ लिखा होता है कि आयोग को क्या-क्या काम करने हैं, उसकी सीमाएं क्या होंगी, किन मुद्दों पर उसे अपनी सिफारिशें देनी हैं और उसे अपनी रिपोर्ट कब तक जमा करनी है। सीधे शब्दों में कहें तो ToR ही वह आधिकारिक दस्तावेज है, जो वेतन आयोग को काम शुरू करने का अधिकार देता है। इसके बिना आयोग का कोई कानूनी आधार नहीं होता और वह कोई बैठक या समीक्षा नहीं कर सकता।

8वें वेतन आयोग के लिए ToR क्यों है अहम?

8वें वेतन आयोग के लिए ToR का इंतजार महीनों से हो रहा था। अब जब इसे मंजूरी मिल गई है, तो आयोग का काम आधिकारिक तौर पर शुरू हो गया है। 8वें वेतन आयोग के ToR में मुख्य रूप से ये बातें शामिल होंगी:

सैलरी स्ट्रक्चर की समीक्षा: आयोग मौजूदा पे-मैट्रिक्स (Pay Matrix) और फिटमेंट फैक्टर की समीक्षा करेगा और नई सैलरी तय करने का फार्मूला सुझाएगा।
भत्तों का रिव्यू: कर्मचारियों को मिलने वाले तमाम भत्तों जैसे महंगाई भत्ता (DA), मकान किराया भत्ता (HRA) और यात्रा भत्ता (TA) की समीक्षा करना।
पेंशन: रिटायर हो चुके कर्मचारियों की पेंशन और अन्य फायदों पर भी आयोग अपनी सिफारिशें देगा।
आर्थिक स्थिति: आयोग को सिफारिशें देते समय देश की मौजूदा आर्थिक स्थिति, वित्तीय अनुशासन और सरकारी खजाने पर पड़ने वाले बोझ का भी ध्यान रखना होगा।

आगे क्या होगा?

ToR को मंजूरी मिलने के बाद अब 8वां वेतन आयोग (जिसके अध्यक्ष की घोषणा भी हो चुकी है) अपना काम शुरू कर देगा। आयोग अगले 18 महीनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगा। आयोग इस दौरान कर्मचारी यूनियनों, विभिन्न मंत्रालयों और एक्सपर्ट्स से बात करेगा। यह उम्मीद की जा रही है कि 8वें वेतन आयोग की सिफारिशों को 1 जनवरी 2026 से लागू किया जा सकता है। ToR को मंजूरी मिलना इस पूरी प्रक्रिया का सबसे पहला और सबसे अहम कदम है, जिसके बाद ही कर्मचारियों की सैलरी बढ़ने का रास्ता साफ होता है।

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लेखकों के बारे में

Upstox
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