पर्सनल फाइनेंस
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7 min read | अपडेटेड October 26, 2024, 01:20 IST
सारांश
जब आप कमाने लगते हैं, तो आपके ऊपर इन्वेस्टमेंट का भी प्रेशर आना शुरू हो जाता है। फैमिली में बड़े भी आपको इसकी सलाह देते हैं और जब आप अपने दोस्तों के बीच बैठते हैं, तो वह भी इसको लेकर चर्चा करते हैं। इन्वेस्ट करने के वैसे तो कई तरीके हैं, जिनमें से एक अहम तरीका है एसआईपी यानी कि सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि एसआईपी है क्या और इसमें इन्वेस्ट करते हुए किन बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है।

सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) म्यूचुअल फंड्स स्कीम्स में इन्वेस्ट करने का एक तरीका है, जहां म्यूचुअल फंड यूनिट खरीदने के लिए हर महीने कुछ पैसे इन्वेस्ट किए जाते हैं
सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट करने का एक तरीका है। एसआईपी को समझने के लिए सबसे पहले चलिए समझ लेते हैं कुछ एकदम अहम पॉइंट्स-
म्यूचुअल फंड पब्लिक से इक्विटी या डेट (Debt) में जुटाए गए फंड्स की इन्वेस्टमेंट है।
सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) म्यूचुअल फंड स्कीम्स में इन्वेस्ट करने का एक तरीका है, जहां म्यूचुअल फंड यूनिट खरीदने के लिए हर महीने कुछ पैसे इन्वेस्ट किए जाते हैं।
म्यूचुअल फंड एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (एएमसी) द्वारा ऑफर किए जाते हैं। हर एक एएमसी अलग-अलग रिस्क और रिटर्न प्रोफाइल के साथ अलग-अलग तरह की स्कीम्स पेश करती है।
म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट करने के लिए आपको केवाईसी (Know your Customer) डिटेल्स जमा करनी होंगी। आप केवाईसी डिटेल्स ऑनलाइन या ऑफलाइन जमा कर सकते हैं।
म्यूचुअल फंड पब्लिक से इक्विटी या डेट में जुटाए गए फंड्स की इन्वेस्टमेंट है। म्यूचुअल फंड्स का मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स करते हैं, जो इन्वेस्टर्स से जुटाए गए फंड्स से कंपनियों/फर्मों में इक्विटी या डेट में इन्वेस्ट करते हैं। इन्वेस्टर्स को म्यूचुअल फंड की यूनिट अलॉट की जाती हैं, जिन पर आगे चलकर उन्हें रिटर्न मिलता है। ये रिटर्न मार्केट के व्यवहार के अधीन हैं और इसलिए इसमें रिस्क फैक्टर भी रहता है। किसी भी अन्य स्टॉक की तरह, म्यूचुअल फंड्स भी मार्केट में उतार-चढ़ाव को दर्शाते हैं, लेकिन हाई रिटर्न की संभावना से रिस्क की भरपाई हो जाती है। प्रॉस्पेक्टस में दी गई शर्तों के आधार पर, म्यूचुअल फंड के मैनेजर्स केवल खास तरह के शेयरों (यानी इक्विटी), डेट या इक्विटी और डेट दोनों में इन्वेस्ट कर सकते हैं।
इस प्रकार, अलग-अलग म्यूचुअल फंड्स स्कीम्स मौजूद हैं, जिनमें से हर स्कीम का रिस्क और रिटर्न प्रोफाइल अलग-अलग है। इस प्रकार, इन्वेस्टर्स के पास अपनी जोखिम उठाने की क्षमता के आधार पर चुनने के लिए म्यूचुअल फंड्स स्कीम की वाइड रेंज होती है।
सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) म्यूचुअल फंड्स स्कीम्स में इन्वेस्ट करने का एक तरीका है, जहां म्यूचुअल फंड यूनिट खरीदने के लिए हर महीने कुछ पैसे इन्वेस्ट किए जाते हैं। ये रेकरिंग डिपॉजिट बैंक अकाउंट में किए गए डिपॉजिट की तुलना में बहुत अधिक रिटर्न लाते हैं। रिटर्न म्यूचुअल फंड में फिर से इन्वेस्ट किया जाता है। एक एसआईपी ट्रैडिशनल सेविंग अकाउंट की तुलना में बहुत सारे फायदे देता है और शानदार रिटर्न और कम रिस्क के साथ एक शानदार लॉन्ग टर्म इन्वेस्ट बनाता है। अब चलिए समझते हैं कि कैसे एसआईपी में इन्वेस्ट करना चाहिए।
म्यूचुअल फंड अलग-अलग एएमसी द्वारा ऑफर किए जाते हैं। हर एक एएमसी अलग-अलग रिस्क और रिटर्न प्रोफाइल के साथ अलग-अलग तरह की स्कीम पेश करती है।
यहां पर आपको देखना होगा कि आपके ऑब्जेक्टिव के लिए कौन सी म्यूचुअल फंड स्कीम सबसे सही फिट होती है। आप कितना रिस्क उठा सकते हैं और आप कितने अच्छे रिटर्न की उम्मीद कर सकते हैं, यह सब इस बात पर निर्भर करता है। म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट सीधे या किसी थर्ड पार्टी के जरिए जैसे ब्रोकरेज या बैंक के जरिए से किया जा सकता है। आप जो मदद देते हैं, उसके लिए कुछ कमीशन फिक्स होता है, जो आपको मिलता है।
म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट करने के लिए आपको केवाईसी डिटेल्स जमा करनी होंगी। आप केवाईसी डिटेल्स ऑनलाइन या ऑफलाइन जमा कर सकते हैं। इसके लिए आपको आईडी प्रूफ, एड्रेस प्रूफ, कैंसेल्ड चेक, फोटो और पैन कार्ड जैसे डॉक्यूमेंट्स देने पड़ते हैं, यहां ध्यान रखने वाली बात यह है कि यह सब 50,000 रुपये से अधिक के लेन-देन के लिए है।
केवाईसी डिटेल्स या तो एक लाइसेंस्ड बैंक या ब्रोकरेज या एएमसी के पास जमा किया जा सकता है, जहां से आप म्यूचुअल फंड यूनिट खरीदना चाहते हैं। यहां पर केवाईसी को सीकेवाईसी कर दिया गया है, इसलिए आपको केवल एक बार केवाईसी डिटेल्स जमा करनी होंगा और आप किसी भी स्कीम और एएमसी से जितनी चाहें उतनी म्यूचुअल फंड यूनिट खरीद सकते हैं।
केवाईसी डिटेल्स ऑनलाइन देने के लिए, एएमसी/म्यूचुअल फंड हाउस की वेबसाइट या अपने ब्रोकरेज की वेबसाइट या सेंट्रल रिपॉजिटरी वेबसाइट (केवाईसी रजिस्ट्रेशन एजेंसी) पर जाएं।
ऑफलाइन सबमिशन के लिए, ब्रोकरेज या एएमसी ब्रांच या बैंक ब्रांच पर जाएं जो केवाईसी रजिस्ट्रेशन की सर्विस देती हैं।
केवाईसी फॉर्म जमा करने के बाद और व्यक्तिगत रूप से वेरिफिकेशन किए जाने के बाद (यह वीडियो कॉल के जरिए किया जा सकता है या अगर आप लाइसेंस्ड बैंक या ब्रोकरेज के जरिए इन्वेस्ट कर रहे हैं तो इसकी जरूरत शायद ना भी पड़े), आपको एक 14 अंकों की केवाईसी आइडेंटीफिकेशन नंबर दिया जाएगा, म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट करने के लिए इसका इस्तेमाल करें।
अब, बस वह स्कीम चुनें जिसमें आप इन्वेस्ट करना चाहते हैं और लाइसेंस्ड बैंक, ब्रोकरेज या एएमसी के साथ जरूरी डिटेल्स भरें, या तो ब्रोकरेज/बैंक ब्रांच/एएमसी ऑफिस में ऑफलाइन या बैंक/ब्रोकरेज की वेबसाइट/एएमसी की वेबसाइट पर ऑनलाइन।
आपको जो डिटेल्स भरना होगा उनमें वह अमाउंट शामिल है जिसे आप हर महीने इन्वेस्ट करना चाहते हैं, टॉप अप अमाउंट, इन्वेस्टमेंट की ड्यूरेशन, हर महीने ऑटोडेबिट के लिए बैंक अकाउंट की डिटेल्स, किस डेट पर आप अमाउंट ऑटोडेबिट कराना चाहते हैं जैसी चीजें…
एसआईपी में इन्वेस्ट करने से कम जोखिम पर अधिक रिटर्न मिलता है। इस तरह से, एसआईपी शानदार लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट साबित होते हैं।
रुपये की एवरेज कॉस्ट इक्विटी कॉस्ट की अस्थिरता के कारण रिस्क को काफी कम कर देती है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि ऊंची कीमत पर, तय इन्वेस्टमेंट अमाउंट पर कम म्यूचुअल फंड यूनिट खरीदी जाती हैं जबकि कम कीमत पर, अधिक यूनिट खरीदी जाती हैं। इस तरह से, अधिक यूनिट कम कीमतों पर खरीदी जाती हैं जिससे नुकसान होने का रिस्क कम हो जाता है।
डिवाडेन्स का इस्तेमाल अधिक म्यूचुअल फंड यूनिट खरीदने के लिए किया जाता है, इसलिए इन्वेस्ट किए गए अमाउंट की कंपाउंडिंग होती है और ज्यादा रिटर्न मिलता है। अपस्टॉक्स एसआईपी में इन्वेस्ट करने के लिए काफी आसान स्टेज आपको देता है। आप अपस्टॉक्स के म्यूचुअल फंड प्लैटफॉर्म पर म्यूचुअल फंड स्कीम्स पर सभी जरूरी जानकारी हासिल कर सकते हैं। इन्वेस्टमेंट प्रोसेस एकमद आसान है और लिंक किए गए बैंक अकाउंट से हर महीने तय अमाउंट ऑटो डेबिट हो जाएगा। आज ही अपस्टॉक्स के साथ एक डीमैट अकाउंट खोलें और स्मार्ट तरीके से अपने पैसे से पैसा बनाएं।
सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) म्यूचुअल फंड्स स्कीम्स में इन्वेस्ट करने का एक तरीका है, जहां म्यूचुअल फंड यूनिट खरीदने के लिए हर महीने कुछ पैसे इन्वेस्ट किए जाते हैं। ये रेकरिंग डिपॉजिट बैंक अकाउंट में किए गए डिपॉजिट की तुलना में बहुत अधिक रिटर्न लाते हैं। रिटर्न म्यूचुअल फंड में फिर से इन्वेस्ट किया जाता है।
एसआईपी में इन्वेस्ट करने से कम जोखिम पर अधिक रिटर्न मिलता है। इस तरह से, एसआईपी शानदार लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट साबित होते हैं।
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