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New Tax Regime: सैलरीड एम्प्लॉयीज के लिए टैक्स बचाने के 5 स्मार्ट तरीके, नए टैक्स रिजीम में भी संभव

Upstox

3 min read | अपडेटेड July 29, 2025, 14:54 IST

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सारांश

Income Tax: अगर आपका एम्प्लॉयर आपके NPS अकाउंट में योगदान देता है, तो वह राशि सेक्शन 80CCD(2) के तहत टैक्स से छूट के दायरे में आती है। यह छूट आपकी बेसिक सैलरी के 14% तक दी जा सकती है। रिटायरमेंट पर NPS से मिलने वाले कुल पैसे का 60% हिस्सा टैक्स-फ्री होता है।

New Tax Regime

New Tax Regime: वित्त वर्ष 2024-25 (AY2025-26) के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की प्रक्रिया जारी है।

Save tax in new tax regime: क्या आप सैलरीड एम्प्लॉयी हैं और नए टैक्स रिजीम में टैक्स बचाना चाहते हैं? अगर हां, तो यहां हमने इसके 5 तरीके बताए हैं। नए टैक्स रिजीम में ज्यादातर पुराने टैक्स छूट खत्म कर दिए गए हैं। हालांकि, अब भी आप कुछ उपाय अपनाकर टैक्स बचा सकते हैं। वित्त वर्ष 2024-25 (AY2025-26) के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की प्रक्रिया जारी है। आप यहां बताए गए उपायों के जरिए आसानी से टैक्स की बचत कर सकते हैं।

NPS (नेशनल पेंशन सिस्टम) से टैक्स बचाएं

अगर आपका एम्प्लॉयर आपके NPS अकाउंट में योगदान देता है, तो वह राशि सेक्शन 80CCD(2) के तहत टैक्स से छूट के दायरे में आती है। यह छूट आपकी बेसिक सैलरी के 14% तक दी जा सकती है। रिटायरमेंट पर NPS से मिलने वाले कुल पैसे का 60% हिस्सा टैक्स-फ्री होता है। बाकी 40% से एन्युटी प्लान खरीदना होता है।

EPF में ज्यादा योगदान देकर टैक्स बचाएं

EPF (एम्प्लॉयी प्रॉविडेंट फंड) में एम्प्लॉयर का योगदान टैक्स-फ्री होता है। रिटायरमेंट के समय EPF से निकाली गई रकम भी टैक्स-फ्री होती है। नियमों के अनुसार सैलरीड टैक्सपेयर अपने एक्चुअल बेसिक सैलरी का 12% तक योगदान कर सकते हैं। आप चाहें तो VPF (Voluntary PF) के जरिए अपनी ओर से ज्यादा योगदान कर सकते हैं। इसके लिए आपको अपने HR से अनुरोध करना होगा।

NPS और EPF में मिलाकर एम्प्लॉयर का कुल योगदान सालाना ₹7.5 लाख से ज्यादा नहीं होना चाहिए। वहीं, खुद का EPF योगदान सालाना ₹2.5 लाख से ज्यादा नहीं होना चाहिए वरना उस पर टैक्स लगेगा।

अर्बिट्राज फंड में निवेश

फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) में ब्याज पर आपकी इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लगता है। लेकिन अर्बिट्राज फंड में 1 साल के बाद रिडेम्प्शन (निकासी) करने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) पर सिर्फ 12.5% टैक्स लगता है।

सालाना ₹1.25 लाख तक के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स नहीं लगता है। आप इस लिमिट का फायदा उठाकर हर साल इतने गेन बुक कर सकते हैं और फिर उसी पैसे को दोबारा निवेश कर सकते हैं। SIP निवेश करते हैं तो FIFO (First-In First-Out) पद्धति से कैपिटल गेन की गणना करनी होती है।

CTC (Cost to Company) को ऑप्टिमाइज करें

कर्मचारी अपने एनुअल CTC के कई कंपोनेंट्स को बेहतर बनाकर भी टैक्स बचा सकते हैं। नए रिजीम में किताबों और पत्रिकाओं, पढ़ाई, आधिकारिक मोबाइल और ब्रॉडबैंड इस्तेमाल, लर्निंग या स्किल डेवेलपमेंट खर्च, कंपनी कार लीज और मील वाउचर जैसे कुछ खर्चों को टैक्स-फ्री रीइम्बर्समेंट के रूप में शामिल किया गया है।

आप अपनी कंपनी से कह सकते हैं कि आपकी सैलरी में इन खर्चों को टैक्स-फ्री रीइम्बर्समेंट के रूप में शामिल किया जाए। इन खर्चों पर टैक्स नहीं लगता अगर आप सही बिल प्रदान करते हैं। अगर कंपनी पहले से ये दे रही है, तो आपको कुछ और करने की जरूरत नहीं है।

किराए पर दिए गए मकान से टैक्स बचाएं

नई टैक्स व्यवस्था में खुद के घर के लिए HRA या होम लोन के ब्याज की छूट नहीं मिलती है। लेकिन अगर आपने मकान किराए पर दिया है, तो उस पर लिए गए होम लोन के ब्याज की छूट मिल सकती है, केवल उतनी जितनी सालाना किराए की कमाई है।

(डिस्क्लेमर: यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना के लिए दी जा रही है। यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें।)
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लेखकों के बारे में

Upstox
Upstox Hindi News Desk पत्रकारों की एक टीम है जो शेयर बाजारों, अर्थव्यवस्था, वस्तुओं, नवीनतम व्यावसायिक रुझानों और व्यक्तिगत वित्त को उत्साहपूर्वक कवर करती है।