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Income Tax Bill 2025: नए बिल में किए गए कई अहम बदलाव? यहां समझिए हर जरूरी बात

Upstox

3 min read | अपडेटेड August 11, 2025, 18:07 IST

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सारांश

Income Tax Bill 2025: सरकार ने नए इनकम टैक्स बिल में सेलेक्ट कमेटी की लगभग सभी सिफारिशों को शामिल किया है। चार महीने की गहन समीक्षा के बाद सेलेक्ट कमेटी ने 285 से ज्यादा सिफारिशों वाली 4500 से ज्यादा पेज की रिपोर्ट तैयार की थी।

Income Tax Bill

Income Tax Bill 2025: आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इनकम टैक्स (नंबर 2) बिल को लोकसभा में फिर से पेश किया।

Income Tax Bill 2025: नया इनकम टैक्स बिल 2025 आज सोमवार को लोकसभा में पारित हो गया। आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इनकम टैक्स (नंबर 2) बिल को लोकसभा में फिर से पेश किया। कुछ दिनों पहले इसे लोकसभा की सेलेक्ट कमेटी की प्रमुख सिफारिशों को शामिल करने के लिए सदन से वापस ले लिया गया था। इसके अलावा, आज टैक्सेशन लॉ (अमेंडमेंट) बिल भी लोकसभा में पारित हो गया। इसका उद्देश्य यूनिफाइड पेंशन स्कीम के सब्सक्राइबर्स को टैक्स में छूट प्रदान करना है।

सरकार ने नए इनकम टैक्स बिल में सेलेक्ट कमेटी की लगभग सभी सिफारिशों को शामिल किया है। चार महीने की गहन समीक्षा के बाद सेलेक्ट कमेटी ने 285 से ज्यादा सिफारिशों वाली 4500 से ज्यादा पेज की रिपोर्ट तैयार की थी। वित्त मंत्री सीतारमण ने नए इनकम टैक्स बिल पर कहा कि यह विधेयक आयकर से संबंधित कानून को कंसोलिडेट और संशोधित करेगा और इनकम टैक्स एक्ट 1961 की जगह लेगा।

1961 के कानून और 2025 के नए बिल में क्या फर्क है?

पुराना कानून (Income Tax Act, 1961) कई दशकों से लागू था, लेकिन भाषा और स्ट्रक्चर आम लोगों के लिए काफी उलझा हुआ था। हालांकि, नए बिल (Income Tax Bill, 2025) में कुल 536 सेक्शन और 16 शेड्यूल होंगे, जो कि साफ-सुथरे तरीके से और व्यवस्थित हैं।

नए कानून के मुताबिक अब "टैक्स ईयर" का एक ही कॉन्सेप्ट होगा, “प्रीवियस ईयर” और “असेसमेंट ईयर” जैसे अलग-अलग टर्म नहीं रहेंगे। इसके अलावा, बेकार और आपस में टकराने वाले प्रावधान हटा दिए गए हैं ताकि केस और विवाद कम हों। CBDT (केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड) को डिजिटल युग के हिसाब से नियम बनाने के ज्यादा अधिकार मिलेंगे। इसे पढ़ना, समझना और लागू करना पहले से कहीं ज्यादा आसान होगा।

इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में विदेशी पेंशन फंड और सरकारी फंड के निवेश पर टैक्स लाभ की व्यवस्था पहले जैसी है और अब इसे साफ और व्यवस्थित तरीके से लिखा गया है। पहले जिन प्रावधानों पर आपत्ति जताई गई थी, उनमें से कई सिलेक्ट कमेटी ने अब मान लिए हैं। उदाहरण के लिए LLPs पर Alternate Minimum Tax खत्म हो गई है और चैरिटेबल ट्रस्ट पर लगी कड़ी शर्तें हट गई है। वहीं, ट्रांसफर प्राइसिंग और “Associated Enterprise” की परिभाषा में ढील दी गई है।

सेलेक्ट कमेटी की अहम सिफारिशें

  • रिफंड में लचीलापन – देर से रिटर्न भरने वालों को भी रिफंड का अधिकार मिलेगा।
  • डिविडेंड में राहत – इंटर-कॉरपोरेट डिविडेंड पर ₹80 लाख की कटौती फिर से मिलेगी।
  • NIL-TDS ऑप्शन – जिन पर टैक्स देनदारी नहीं है, वे पहले से NIL-TDS सर्टिफिकेट ले सकेंगे।
  • खाली मकान पर टैक्स में राहत – केवल “नोटशनल रेंट” पर टैक्स लगाने का प्रावधान हटा दिया गया।
  • हाउस प्रॉपर्टी कटौती में स्पष्टता – म्यूनिसिपल टैक्स घटाने के बाद 30% स्टैंडर्ड डिडक्शन और किराए वाले मकान पर ब्याज कटौती भी मिलेगी।
  • कंप्लायंस नियम आसान – PF निकासी पर TDS, एडवांस रूलिंग फीस और पेनल्टी के नियम साफ किए गए।
  • MSME की परिभाषा में एकरूपता – MSME Act के अनुसार ही परिभाषा तय होगी।
  • भाषा और ड्राफ्टिंग में सुधार – सेक्शन नंबरिंग और शब्दावली ठीक की गई।
  • प्रॉपर्टी वर्गीकरण में स्पष्टता – ‘Occupied’ शब्द हटाकर ऐसा शब्द लाया गया जिससे गलत वर्गीकरण न हो।
  • पेंशन बेनिफिट का विस्तार – गैर-कर्मचारी लोग भी कम्यूटेड पेंशन कटौती ले सकेंगे।
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लेखकों के बारे में

Upstox
Upstox Hindi News Desk पत्रकारों की एक टीम है जो शेयर बाजारों, अर्थव्यवस्था, वस्तुओं, नवीनतम व्यावसायिक रुझानों और व्यक्तिगत वित्त को उत्साहपूर्वक कवर करती है।