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RBI MPC Meeting: गवर्नर संजय मल्होत्रा आज पेश करेंगे मॉनिटरी पॉलिसी रिपोर्ट, रेपो रेट घटा तो आप पर क्या असर?

Upstox

3 min read | अपडेटेड June 06, 2025, 06:41 IST

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सारांश

RBI MPC Meeting Report: जून में हो रही मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक के बाद भारतीय रिजर्व बैंक गवर्नर संजय मल्होत्रा आज रिव्यू रिपोर्ट पेश करेंगे। उम्मीद की जा रही है कि इस बार भी रेपो रेट में कटौती की जाएगी। अगर ऐसा होता है तो कर्ज लेने वालों को राहत मिल सकती है।

रेपो रेट को मुद्रास्फीति कंट्रोल करने के लिए इस्तेमाल करती है रिजर्व बैंक।

रेपो रेट को मुद्रास्फीति कंट्रोल करने के लिए इस्तेमाल करती है रिजर्व बैंक।

RBI MPC Meeting in June: भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India, RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा आज सुबह 10 बजे मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी (Monetary Policy Committee, MPC) की रिपोर्ट पेश करेंगे। फरवरी और अप्रैल की तरह इस बार भी MPC से रेपो रेट में कटौती की उम्मीद की जा रही है।
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RBI की ब्याज दर तय करने वाली मौद्रिक नीति समिति की तीन-दिवसीय बैठक 4 जून को शुरू हुई थी। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ लगाने से पैदा व्यापार तनाव के बीच आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए लगातार तीसरी बार प्रमुख नीतिगत दर रेपो में 0.25% या इससे ज्यादा की कटौती की उम्मीद है।

रेपो रेट कट की उम्मीद

अप्रैल के महीने में खुदरा मुद्रास्फीति की दर घटकर लगभग छह साल के निचले स्तर 3.16% पर आ गई थी। उसके बाद से अंदाजा लगाया जा रहा था कि मुद्रास्फीति दर में गिरावट से RBI के रेपो दर में एक और कटौती करने की पर्याप्त गुंजाइश बन गई है। आरबीआई को सरकार ने मुद्रास्फीति 2% घट-बढ़ के साथ 4% पर (2-6% के बीच) बनाए रखने का दायित्व सौंपा है।

RBI के एक आकलन के मुताबिक, फरवरी 2025 से रेपो दर में 0.50 प्रतिशत की कटौती के जवाब में, ज्यादातर बैंकों ने अपनी रेपो से संबद्ध बाह्य मानक-आधारित ब्याज दरों (External benchmark Lending Rate, EBLR) और कोष की सीमांत लागत-आधारित उधार दर (Marginal Cost of Funds based Lending rate, MCLR) को कम कर दिया है।

केंद्रीय बैंक ने गवर्नर की अध्यक्षता वाली MPC की सिफारिशों पर इस वर्ष फरवरी और अप्रैल में प्रमुख ब्याज दर (रेपो) में 0.25-0.25 प्रतिशत की कटौती की थी। ज्यादातर एक्सपर्ट्स का मानना है कि RBI इस बार भी रेपो में 0.25 प्रतिशत की कटौती करेगा। वहीं, भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की रिसर्च रिपोर्ट में 0.50 प्रतिशत की बड़ी कटौती की बात कही गई है।

रेपो रेट कट का असर

रिजर्व बैंक रेपो रेट का इस्तेमाल पैसे की सप्लाई को रेग्युलेट करने के लिए करता है ताकि अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति दर को नियंत्रित किया जा सके। रिजर्व बैंक रेपो रेट पर बैंकों को लोन देता है, इसलिए उसका असर बैंकों द्वारा ग्राहकों को दिए जाने वाले कर्ज की ब्याज दर पर पड़ता है।

जब होम लोन जैसे पर्सनल लोन पर लगाया जा रहा इंटरेस्ट रेट फ्लोटिंग होता है तो यह RBI के रेपो रेट जैसे बाहरी बेंचमार्क से जुड़ा होता है। यानी RBI के रेपो रेट को कम-ज्यादा करने से ब्याज दर पर सीधा असर पड़ता है। रेपो रेट बढ़ने से EMI भी बढ़ता है और घटाने से कम होता है।

MPC में RBI के तीन सदस्य और सरकार द्वारा नियुक्त तीन बाहरी सदस्य शामिल हैं। RBI के सदस्य हैं: गवर्नर संजय मल्होत्रा, डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव और कार्यकारी निदेशक राजीव रंजन जबकि बाहरी सदस्य हैं: नयी दिल्ली स्थति औद्योगिक विकास अध्ययन संस्थान के निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी नागेश कुमार; अर्थशास्त्री सौगत भट्टाचार्य और दिल्ली स्थित दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के निदेशक प्रो. राम सिंह।

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Upstox
Upstox Hindi News Desk पत्रकारों की एक टीम है जो शेयर बाजारों, अर्थव्यवस्था, वस्तुओं, नवीनतम व्यावसायिक रुझानों और व्यक्तिगत वित्त को उत्साहपूर्वक कवर करती है।

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