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RBI ने बदला लोन रेट नियम, क्या आपकी EMIs अब होंगी तेजी से कम, क्या कुछ बदलेगा?

Upstox

2 min read | अपडेटेड September 30, 2025, 10:10 IST

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सारांश

भारतीय रिजर्व बैंक ने लोन रेट नियम में कुछ बदलाव किए हैं, इन बदलावों से क्या फायदा मिलेगा, आम इंसान की जिंदगी में इससे क्या कुछ बदलेगा, चलिए नजर डालते हैं। ब्याज दरों में कटौती का फायदा उधारकर्ताओं तक तेजी से पहुंचाने के लिए आरबीआई ने एक अहम कदम उठाया है।

आरबीआई

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बदला लोन रेट नियम, क्या कुछ है नया?

Reserve Bank of India (RBI) यानी कि भारतीय रिजर्व बैंक ने लोन रेट नियम में कुछ बदलाव किए हैं, इन बदलावों से क्या फायदा मिलेगा, आम इंसान की जिंदगी में इससे क्या कुछ बदलेगा, चलिए नजर डालते हैं। ब्याज दरों में कटौती का फायदा उधारकर्ताओं तक तेजी से पहुंचाने के लिए आरबीआई ने एक अहम कदम उठाया है। आरबीआई ने बैंकों को फ्लोटिंग रेट वाले लोनों पर इंटरेस्ट रेट को अधिक बार कम करने की अनुमति दी है, यह कुछ स्प्रेड कंपोनेंट्स में संशोधन पर पहले के तीन साल के प्रतिबंध से हटकर है। बुधवार से प्रभावी यह बदलाव, खुदरा, व्यक्तिगत और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSME) को दिए गए लोनों के लिए ब्याज दरों पर RBI के 2016 के निर्देशों में संशोधन करता है। हालांकि ऐसे लोनों को एक्टर्नल रिफ्रेंस रेट्स के अनुसार ही बेंचमार्क किया जाना चाहिए, लेकिन अब बैंकों के पास पहले के तीन साल के लॉक-इन पीरियड से पहले लोन स्प्रेड के नॉन-क्रेडिट-रिस्क कंपोनेंट्स को कम करने का अधिक लचीलापन होगा।

उधारकर्ता पुनर्निर्धारण के समय निश्चित दर वाले लोन पर स्विच करने का ऑप्शन भी चुन सकते हैं, यह 2023 में पहली बार शुरू किए गए प्रावधानों का ही विस्तार है। आरबीआई ने कहा कि ये बदलाव ‘उधारकर्ताओं को फायदा पहुंचाते हैं, जबकि ऋणदाताओं को अधिक लचीलापन प्रदान करते हैं।’ इसके समानांतर, आरबीआई ने गहनों विक्रेताओं के लिए ऋण मानदंडों में ढील दी, जिससे बैंकों को कच्चे माल के रूप में सोने का उपयोग करने वाले निर्माताओं को बुलियन के बदले वर्किंग कैपिटल लोन देने की अनुमति मिली। इस राहत में टियर-3 और टियर-4 शहरों के शहरी सहकारी बैंक शामिल हैं, जो अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों से आगे पहुंच का विस्तार करते हैं। पूंजी जुटाने के नियमों में भी ढील दी गई।

बैंक अब अपनी अतिरिक्त टियर 1 (एटी1) पूंजी के हिस्से के रूप में विदेशी या रुपये-मूल्यवर्ग वाले बॉन्ड में विदेशों में जारी किए गए सतत ऋण उपकरणों (Perpetual debt instruments, PDIs) को शामिल कर सकते हैं, जोखिम-भारित परिसंपत्तियों के 1.5% तक। पहले, एक सख्त दोहरी सीमा के आधार पर, पात्र राशि के केवल 49% की ही अनुमति थी। केंद्रीय बैंक ने चार मसौदा परिपत्र भी जारी किए हैं, जिन पर 20 अक्टूबर तक टिप्पणी की जा सकती है। ये गोल्ड लोन, बड़े जोखिम ढांचे, अंतर-समूह जोखिम और ऋण सूचना रिपोर्टिंग से संबंधित हैं।

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Upstox Hindi News Desk पत्रकारों की एक टीम है जो शेयर बाजारों, अर्थव्यवस्था, वस्तुओं, नवीनतम व्यावसायिक रुझानों और व्यक्तिगत वित्त को उत्साहपूर्वक कवर करती है।

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